नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 का बिगुल फुंक चुका है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट यूपी के अमेठी के साथ-साथ केरल की वायनाड सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. हालांकि राहुल गांधी ने इस बात की पुष्टि नहीं की है लेकिन कांग्रेस एमएलसी दीपक सिंह ने खबर को पुख्ता किया है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी को उनकी सुरक्षित सीट अमेठी के साथ दूसरी सीटों से भी चुनाव क्यों लड़ना चाहती है. हमारे अनुसार, इसके दो मुख्य कारण ये भी हो सकते हैं.
1. राहुल गांधी के नई लोकसभा सीट पर खड़ा होने से मजबूत होगा कांग्रेस का कैडर
अमेठी और वायनाड सीट तो ठीक, कांग्रेस के कार्यकर्ता तो राहुल गांधी को तमिलनाडु और कर्नाटक से भी चुनाव लड़ना चाहते हैं. दरअसल राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद लगातार अच्छा परफॉर्म करते आ रहे हैं. साल 2014 में नरेंद्र मोदी और बीजेपी से मिली करारी हार का झटका कांग्रेस के लिए किसी परमाणु हमले से कम नहीं था. एक समय पर कांग्रेस को लगातार हार मिल रही थी. इस बीच राहुल गांधी की ताजपोशी हुई और कांग्रेस की किस्मत बदलना शुरू हो गई.
राहुल गांधी की अध्यक्षता में कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव में अच्छा करके दिखाया, कर्नाटक में भी कांग्रेस-जेडीएस की गठबंधन सरकार बन गई. और साल 2018 के दिसंबर में आए राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की जीत ने तो राहुल गांधी को रातों-रात कांग्रेस का हीरो बना दिया. इसका असर भी अच्छा देखने को मिला. 2018 के इन नतीजों में मिली कांग्रेस की जीत से राजनीति की दुनिया में राहुल को तंज नहीं बल्कि तारीफ मिलने लगी.
राहुल गांधी की लोकप्रियता में अच्छा-खासा इजाफा हुआ जिसका असर हिंदी बेल्ट के साथ दक्षिण भारत पर भी पड़ा. कई सर्वे भी आए जिसमें साउथ इंडिया के लोगों ने पीएम नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी को प्रभावशाली नेता माना. राहुल गांधी की बढ़ती लोकप्रियता से दक्षिण में कांग्रेस कैडर की जमीनी पकड़ भी मजबूत होनी शुरू हो गई. ऐसे में तमिलनाडु, कर्नाटक और केरला के स्थानीय कांग्रेसी नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी उनके क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ें.
2. कांग्रेस को डर कहीं राहुल गांधी हार न जाएं अमेठी लोकसभा सीट
उत्तर प्रदेश की अमेठी और रायबरेली सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती है. यहां तक अखिलश यादव की सपा और मायावती की बसपा के गठबंधन ने भी कांग्रेस के लिए ये सीटें शिष्टाचार भाव से छोड़ दीं हैं. साल 2014 में राहुल गांधी अमेठी और सोनिया गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ी थीं. उस समय राहुल गांधी के सामने बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा था. नतीजों में स्मृति ईरानी को हार मिली लेकिन बीजेपी का वोटर सीट पर बढ़ गया, जिसे बीजेपी बहुत अच्छे से भांप गई.
भाजपा ने 2019 चुनाव के लिए भी स्मृति ईरानी को मैदान में उतारा. भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी ने अपनी ससंदीय क्षेत्र में कुछ काम नहीं कराया, जिससे जनता उनसे नाराज है. भाजपा नेताओं की मानें तो यूपी विधानसभा में बीजेपी को मिली बड़ी जीत के बाद कांग्रेस अध्यक्ष का अमेठी से जीतना मुश्किल हो सकता है.
अमेठी से तीसरी बार लगातार सांसद बनें राहुल गांधी को साल 2014 में 408,651 वोट मिले थे. जबकि स्मृति ईरानी को 300,074 को मत हासिल हुए. गढ़ होते हुए भी राहुल गांधी को सिर्फ 1 लाख वोटों से जीत मिली. 2009 में राहुल की जीत का आकंड़ा दूसरे प्रत्याशी से 3,50,000 वोटों से अधिक रहा था.
हो सकता है कि कांग्रेस पार्टी को अमेठी सीट की जीत को लेकर संदेह है, इसलिए राहुल गांधी को सुरक्षित जीत को देखते हुए दूसरी लोकसभा सीट से भी चुनाव लड़ाने का विचार किया जा रहा हो. हालांकि, राहुल गांधी या कांग्रेस पार्टी की ओर से अभी तक दो सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर कोई ऑफिशियल बयान नहीं आया है.
इस लेख में लेखक ने राजनीतिक हलचल को समझते हुए विचार प्रकट किए हैं जिनसे इनखबर का कोई लेना-देना नहीं है.
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