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Lok Sabha 2019 Elections: इस तरह लोकसभा चुनावों में बढ़ा प्रति वोटर खर्च, 2014 में तीन गुना ज्यादा हुआ खर्चा

Lok Sabha 2019 Elections: लोकसभा 2019 चुनाव में कितना खर्च हुआ है, यह तो बाद में मालूम चलेगा. लेकिन 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में प्रति वोटर खर्च 1 रुपये के आसपास था.लेकिन 2009 में जो प्रति वोटर खर्च 15.54 रुपये था वह 2014 में 46.4 रुपये हो गया.

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lok sabha election Expenses
  • March 26, 2019 12:04 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. लोकसभा 2019 चुनाव की तारीखों का ऐलान हो चुका है. लोकतंत्र के महापर्व के लिए सात चरणों में 11 अप्रैल से 19 मई के बीच वोट डाले जाएंगे. अगली सरकार किसकी बनेगी, यह 23 मई को पता चलेगा. लेकिन चुनाव यूं ही नहीं हो जाते. इसके लिए भारी-भरकम राशि खर्च होती है. उपकरण से लेकर सामान हर बूथ पर लाए जाते हैं.

2019 लोकसभा चुनाव में कितना खर्च हुआ, इसका खुलासा तो बाद में होगा. 2014 में चुनावी खर्च में बेतहाशा बढ़ोतरी देखी गई थी. मशीन और अन्य चीजों के अलावा हर वोटर को बूथ तक लाने के लिए भी पानी की तरह पैसा बहाया गया. बताया जाता है कि 2014 का लोकसभा चुनाव सबसे खर्चीला साबित हुआ. जितना पैसा इस चुनाव में खर्च हुआ, उसका तीन चौथाई खर्च इसके पिछले चुनावों में हुआ था.

1957 में हुआ दूसरा लोकसभा चुनाव सबसे कम खर्चीला साबित हुआ, जिसमें कुल 10 करोड़ रुपये खर्च हुए थे. लेकिन अगर बात प्रति वोटर खर्च की करें तो इसमें वक्त से साथ बहुत ज्यादा बढ़ोतरी हुई है. 1951 में हुए पहले लोकसभा चुनाव में कीमत 1 रुपये से भी कम थी और अगले 6 लोकसभा चुनाव तक भी 1 रुपया ही खर्च आया.

लेकिन 2014 के चुनाव में प्रति वोटर खर्च 50 रुपये तक पहुंच गया, जो तीन गुना ज्यादा है. इस चुनाव में चुनाव अधिकारियों की नियुक्ति, पोलिंग बूथ, उपकरणों की खरीद और उनके इन्स्टॉलेशन, चुनावी केंद्र पर टेंपरेरी फोन की सुविधा, मतदान की इंक से लेकर अमोनिया पेपर जैसी सामग्रियों पर खर्च आया.

यह है पूरा आंकड़ा: साल 1951-52 के चुनाव में औसत खर्च प्रति वोटर पर 0.6 पैसे था. 1957 में 0.3, 1962 में 0.34, 1967 में 0.43, 1971 में 0.42, 1977 में 0.72, 1980 में 1.54 रुपये, 1984 में 2.04 रुपये, 1989 पर 3.09 रुपये तक पहुंच गया. साल 1991 में 7.02 रुपये, 1996 में 10.08, 1998 में 11 रुपये, 1999 में 15.3 रुपये, 2004 में 15.13 रुपये, 2009 में 15.54 रुपये आया. लेकिन 2014 में इसमें अचानक बढ़ोतरी हुई और यह खर्च 46.4 तक पहुंच गया.

जब भारत का पहला लोकसभा चुनाव हुआ था तो देश में 20 करोड़ वोटर थे. हर साल मतदाता बढ़ते गए. इस बार 900 मिलियन मतदाता वोट डालेंगे. यह तादाद अमेरिका, ब्राजील और इंडोनेशिया की कुल आबादी से भी ज्यादा है. पॉपुलेशन के लिहाज से देखें तो ये तीनों देश तीसरे, चौथे और पांचवे नंबर पर आते हैं.

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