नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव 2019 के पहले चरण के मतदान में अब सिर्फ 4 दिन शेष हैं. चुनाव आयोग ने सभी राजनीतिक पार्टियों को निर्देश दिया है कि वोटिंग या उससे एक दिन पहले किसी भी दल का विज्ञापन अखबार में प्रकाशित न कराएं. चुनाव आयोग ने कहा कि अगर कोई राजनीतिक पार्टी ऐसा करती है तो उसे आचार संहिता का उल्लंघन माना जाएगा. आयोग का यह निर्देश राजनीतिक पार्टी, उम्मीदवार, संस्थान और किसी शख्स पर भी लागू होगा. अगर किसी ने चुनाव आयोग से विज्ञापन की मंजूरी ली है तो उसे अखबार में प्रकाशित किया जा सकता है. लेकिन उसके लिए राज्य और जिला स्तर के निर्वाचन अधिकारियों की मंजूरी लेनी जरूरी है.
2019 लोकसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग का रवैया बेहद सख्त नजर आ रहा है. 2 अप्रैल को निर्वाचन आयोग के आदेश पर झारखंड के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजी) अनुराग गुप्ता का तबादला कर दिल्ली भेज दिया. चुनाव आयोग ने गुप्ता को मंगलवार दोपहर 1 बजे तक नई दिल्ली के रेजिडेंट कमीश्नर झारखंड को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया था.
निर्वाचन आयोग ने साफ किया कि जब तक चुनावी प्रक्रिया पूरी होने तक उन्हें कोई छुट्टी न मिले और न ही ऐसी ड्यूटी मिले, ताकि उन्हें झारखंड जाना पड़े. साल 2016 में अनुराग गुप्ता पर राज्यसभा चुनाव के मद्देनजर एक एफआईआर दर्ज है. उनके खिलाफ चुनाव प्रक्रिया में दखल देने, पद का गलत इस्तेमाल करने को लेकर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था और अनुशासनात्मक कार्रवाई भी शुरू की थी.
पिछले दिनों चुनाव आयोग ने गाजियाबाद में एक रैली के दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ द्वारा भारतीय सेना को मोदी की सेना कहे जाने पर रिपोर्ट मांगी है. प्रदेश के चीफ इलेक्शन ऑफिसर एल वेंकेटेश्वरलु ने बताया कि इस मामले में गाजियाबाद के डीएम से रिपोर्ट मांगी गई है और अगर आचार संहिता का उल्लंघन पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी.
इस मामले पर कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता मुकेश चौहान ने कहा कि बीजेपी के पास काम का ब्योरा बताने जैसा कुछ नहीं है, लिहाजा चुनाव प्रचार के लिए उन्हें सेना का सहारा लेना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि सीएम योगी का बयान साफ तौर पर आचार संहिता का उल्लंघन है. इस पर चुनाव आयोग को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
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