Lok Sabha 2019 Elections: ईवीएम से वीवीपीएटी के 50 फीसदी मिलान को लेकर 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट जमा किया है. इसमें कहा गया कि उन्हें चुनाव के नतीजों में 6 दिन की देरी मंजूर है क्योंकि VVPAT पर्ची के 50% ईवीएम मतगणना के साथ मिलान करने से चुनाव की निष्पक्षता साबित होगी.
नई दिल्ली. लोकसभा चुनाव में ईवीएम से वीवीपीएटी के 50 फीसदी मिलान को लेकर 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इसमें कहा गया कि लोकसभा चुनावों के नतीजों की घोषणा में 6 दिनों की देरी मंजूर है क्योंकि VVPAT पर्ची के 50% ईवीएम मतगणना के साथ मिलान करने से चुनाव की निष्पक्षता सुनिश्चित होगी.
अगर चुनाव आयोग वीवीपीएटी पर्चियों की गिनती के लिए तैनात कर्मचारियों को बढ़ाता है तो 50% मतगणना में 2.6 दिनों की देरी होगी, 33% में 1.8 दिनों में परिणाम में देरी होगी और 25% में 1.3 दिनों की देरी होगी. विपक्षी पार्टियों ने कहा कि एक विधानसभा क्षेत्र में एक बूथ पर ही औचक मिलान की प्रणाली चुनाव की निष्पक्षता और ईवीएम की दक्षता को कमजोर करेगी क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों पर चुनाव आयोग ने 100% ईवीएम में वीवीपीएटी के लिए प्रावधान किया है. पार्टियों के मुताबिक, वह ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल नहीं उठा रहे हैं लेकिन उनका प्रयास ईवीएम में मतदाता विश्वास सुनिश्चित करना है. इस मामले की अगली सुनवाई 8 अप्रैल को होगी.
29 मार्च को चुनाव आयोग ने विपक्षी दलों की ईवीएम और वीवीपीएटी के 50 प्रतिशत नमूनों के मिलान की मांग खारिज कर दी थी. आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उसे मौजूदा सिस्टम ही जारी रखने की इजाजत दी जाए. चुनाव आयोग ने 21 विपक्षी पार्टियों की याचिका खारिज करने की मांग को लेकर कहा कि अर्जी नमूना चेक करने के वर्तमान सिस्टम को बदलने का कोई आधार पेश नहीं करती.
सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च कर निर्वाचन आयोग से जवाब मांगा था. कोर्ट ने ईसी के उस तर्क की निंदा की थी, जिसमें उसने कहा था कि ईवीएम और वीवीपीएट की पर्चियों के मिलान के लिए नमूनों की संख्या बढ़ाए जाने की कोई जरूरत नहीं है. इसके बाद कोर्ट ने विपक्षी पार्टियों की याचिका पर सुनवाई सोमवार तक के लिए टाल दी और उन्हें चुनाव आयोग के एफिडेविट पर 8 अप्रैल तक जवाब देने को कहा. 11 अप्रैल को पहले चरण का चुनाव होना है. अब एक हफ्ते से भी कम का वक्त रह गया है. इतने कम वक्त में भी सिस्टम को उस स्वरूप में ढालना मुश्किल है लेकिन फिर भी कोर्ट ने याचियों से जवाब दाखिल करने को कहा है.