मुंबई: बीते बुधवार महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुई हिंसा तो थम गई है लेकिन पूरे राज्य में इस घटना पर सियासत तेज हो गई है. यही सियासी संग्राम शुक्रवार को भी जारी रहा जहां AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने इस हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसी कड़ी में शिवसेना (उद्धव गुट) […]
मुंबई: बीते बुधवार महाराष्ट्र के कोल्हापुर में हुई हिंसा तो थम गई है लेकिन पूरे राज्य में इस घटना पर सियासत तेज हो गई है. यही सियासी संग्राम शुक्रवार को भी जारी रहा जहां AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी समेत कई नेताओं ने इस हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया दी है. इसी कड़ी में शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत की भी प्रतिक्रिया सामने आई है जिन्होंने इस पूरे विवाद पर बड़ा बयान दिया है.
दरअसल संजय राउत ने इस पूरी हिंसा के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने सवाल उठाया कि कोल्हापुर में जिस तरह से दंगे भड़के हैं या भड़काए गए हैं उसके पीछे कौन है? 400 साल पहले जिस औरंगजेब को हमने महाराष्ट्र में दफनाया उसे अब राजनीतिक स्वार्थ के लिए ज़िंदा कर दिया गया है. संजय राउत ने भाजपा पर निशाना साधते हुए आगे कहा, क्योंकि कर्नाटक में बजरंग बली का जादू नहीं चल पाया इसलिए आप औरंगज़ेब को लेकर राजनीति कर रहे हैं. इसके लिए आप(भाजपा) ही जिम्मेदार हैं. इस दौरान उन्होंने ये भी कहा कि पोस्टर लगाने वालों को ठोक देना चाहिए, जैसे यूपी में कर रहे हैं.
मुंबई में मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा, “इसके (कोल्हापुर झड़प) के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार है, इसके लिए राज्य का गृह विभाग और मुख्यमंत्री जिम्मेदार हैं…महाराष्ट्र में 400 साल बाद भी औरंगजेब के नाम पर हिंसक घटनाएं हो रही हैं…औरंगजेब को फिर से जिंदा किया जा रहा है और फिर से राजनीतिक लाभ के लिए ‘
दरअसल दो समुदायों के बीच ये पूरा विवाद एक वाट्सऐप स्टेटस से शुरू हुआ जिसमें तीन युवकों ने औरंगजेब की तारीफ की थी. ये स्टेटस वायरल होने के बाद कुछ हिंदू संगठनों ने कोल्हापुर बंद का आव्हान किया जिसके बाद हजारों की संख्या में हिंदू कार्यकर्ता छत्रपति शिवाजी महाराज चौक पर बुधवार को एकत्रित हो गए. इस बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने परथारबाजी भी की और दुकानों में तोड़-फोड़ भी की गई. हालात इतने बिगड़ गए कि पुलिस को प्रदर्शनकारियों को शांत करने के लिए लाठीचार्ज किया.
बताया जा रहा है कि वायरल होने वाले बवाली वाट्सऐप स्टेटस को डालने वाले तीनों नाबालिग युवकों के खिलाफ FIR दर्ज़ कर ली गई थी. लेकिन हिंदू संगठनों ने तीनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की और सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया मांग की जिसपर पूरा विवाद हुआ.
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