नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावों के दौरान 2002 में हिंसा का प्रसार करने वाले प्रदर्शनकारियों को लेकर जो बयान दिया था, उसमें उन्हें राहत मिल सकती है. दरअसल, चुनाव आयोग ने इस बयान को आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना है. बीते महीने खेड़ा जिले के महुधा शहर में एक चुनावी […]
नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने चुनावों के दौरान 2002 में हिंसा का प्रसार करने वाले प्रदर्शनकारियों को लेकर जो बयान दिया था, उसमें उन्हें राहत मिल सकती है. दरअसल, चुनाव आयोग ने इस बयान को आचार संहिता का उल्लंघन नहीं माना है. बीते महीने खेड़ा जिले के महुधा शहर में एक चुनावी रैली में दिए गए अमित शाह के बयान को लेकर एक पूर्व नौकरशाह ने चुनाव आयोग का रूख किया था.
आपको बता दें, इस रैली में अमित शाह ने कहा, “गुजरात में 1995 से पहले कांग्रेस के शासन के दरमियान सांप्रदायिक दंगे बड़े पैमाने पर थे. कांग्रेस पार्टी तमाम समुदायों और जातियों के लोगों को आपस में लड़ाई-झगड़े और उकसाने का काम करती थी. ऐसे दंगों के जरिए ही कांग्रेस पार्टी ने अपने वोट बैंक को मजबूत बनाया जिससे बैंक और समाज के एक बड़े हिस्से के साथ अन्याय हुआ है. उन्होंने कहा कि 2002 के दंगे गुजरात में इसलिए हुए क्योंकि लंबे समय से कांग्रेस के समर्थन के कारण अपराधी हिंसा के आदी हो गए थे.”
“……लेकिन साल 2002 में इन्हें सबक सिखाने के बाद इन तत्वों ने हिंसा का रास्ता छोड़ दिया है. वह 2002 से 2022 तक हिंसा से दूर रहे. भाजपा ने साम्प्रदायिक हिंसा में लिप्त लोगों पर नकेल कस कर गुजरात में स्थायी शांति स्थापित की है। साल 2002 में गुजरात के गोधरा रेलवे स्टेशन पर फरवरी में एक ट्रेन में आग लगने की घटना के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क उठी थी.”
वहीं गुजरात विधानसभा के चुनावों में ऐतिहासिक जीत के साथ सत्ता बरकरार रखने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल ने शनिवार को औपचारिक रूप से प्रधान मंत्री भूपेंद्र पटेल को अपना नेता चुना। इसके साथ ही पटेल लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए राज्य की कमान संभालेंगे।विधायक दल की बैठक के बाद पटेल ने राजभवन में राज्यपाल आचार्य देवव्रत से मुलाकात की और सरकार बनाने का दावा भी प्रस्तुत किया।