पटना: अगले साल देश में लोकसभा चुनाव है जिसे लेकर गैर भाजपाई पार्टियों ने एकता के नारे लगाने शुरू कर दी है. विपक्षी एकता को साधने की कवायद भी तेज हो गई है जिसकी जिम्मेदारी बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ली है. इसी कड़ी में 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में सभी विपक्षी पार्टियों के लिए महाबैठक का आयोजन किया गया है जहां सभी विपक्षी दल साथ आकर अपना शक्ति प्रदर्शन करेंगे. हालांकि एक सवाल ये भी है कि विपक्षी एकता अगर जीत जाती है तो प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कौन बैठेगा.
इसी कड़ी में JDU के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने रविवार को बड़ा बयान दिया है. उन्होंने साफ़ कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं हैं. वह देश को भजपामुक्त बनाने के लिए विपक्षी एकता में लगे हुए हैं. उन्होंने आगे कहा कि जिस तरह पटना में विपक्षी पार्टियों की एकता को लेकर बैठक हो रही है जब भाजपा सत्ता से बाहर हो जाएगी तब भी इसी तरह एक बैठक बुलाई जाएगी जिसमें सर्वसम्मति से देश का प्रधानमंत्री चुना जाएगा. इस दौरान नेता जो भी चाहें देश के लोकतंत्र की रक्षा की जाएगी.
जदयू दफ्तर में मिलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा ललन सिंह ने जदयू कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे नीतीश कुमार को लेकर पीएम पद का नारा न लगाएं। इससे विपक्षी एकता कमजोर होगी। जदयू दफ्तर में मिलन समारोह को संबोधित करते हुए कहा, 23 की बैठक में अब 18 दल शामिल होंगे। फारुख अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती ने भी सहमति दी है।
ललन सिंह का ये बयान रविवार को जदयू दफ्तर में मिलन समारोह के दौरान आया है जब वह मीडिया को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने JDU कार्यकर्ताओं से अपील भी की कि वह सभी सीएम नीतीश कुमार का नाम लेकर पीएम पद का नारा ना दें. ऐसा करने से विपक्षी एकता कमजोर हो सकती है.
JDU दफ्तर में मिलन समारोह में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए वह कहते हैं कि 23 की बैठक में 18 दल शामिल होने वाले हैं. इसमें फारुख अब्दुल्ला तथा महबूबा मुफ्ती की भी सहमति मिल गई है. इस दौरान JDU अध्यक्ष ने ये भी कहा कि भाजपा आरक्षण के विरोधी हैं. कर्पूरी ठाकुर ने 1977 में आरक्षण लागू किया था तो भाजपा ने उस सरकार को गिरा दिया था ।
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