नई दिल्ली: राहुलजी फनफना रहे थे, मार गुस्से के धुआं दे रहे थे। इतनी जोर जोर से आवाजें आ रही थीं, कि बाहर खड़े दिग्गी बाबू, सिब्बल साहब और अय्यर जी की नजर उनकी एड्रेस पट्टिका पर चली जाती थी- 12, ‘तुगलक’ लेन। पहले तो ऐसी सिचुएशन में सोनियाजी रैफरी का काम कर देती थीं, अब तो उन्होंने अपने घर में रिटायरमेंट का बोर्ड लगवा लिया है गोया ये दुकान यहां से शिफ्ट होकर बाजू की मार्केट में तीसरे माले पर पहुंच गई हो। इतने में पीडी आ गया, राहुल जी उस पर प्यार उड़ेलने लगे, पीडी ने लगे हाथ दो चार ट्वीट भी कर डाले राहुलजी के मोबाइल से। तब जाकर राहुल बाबा के अंदर का इंसान जागा और वफादारी की कद्र उनके दिल में आई। बोले- सुरजेवाला जी.. पहले ये बताइए. आपका कोई निक नेम नहीं है, काफी लम्बा नाम है, सुरजेवाला जी ने कहा—आप ऱणवीर बोल सकते हैं, राहुल ने फौरन व्यंग्यास्त्र मारा— एक भी रण अगर आप जीत पाए तो, तब तक के लिए मैं खाली सुरजे से ही काम चला लूंगा। क्या कहते बेचारे, राहुल जी फिर बोले—वो तो अच्छा किया मैंने दिग्गी चाचा के कहने पर एक इंटरनल कमेटी बना दी थी एक्जिट पोल वाली रात को ही कि हमें क्या क्या वजह बतानी है अगर हार गए तो, आप तो वो क्या लिखा है गीताजी में.. अति-आत्मविश्वास के शिकार हैं।
बुलाइए दिग्गी चाचा को..और केवल दिग्गी चाचा को। दिग्गी चाचा ने दरबार में अपनी वैल्यू आते ही भांप ली थी, सो मुस्कराहट रोक तो नहीं पा रहे थे, जब जब आती थी, स्वत: ही उनका चेहरा पीडी की तरफ घूम जाता था। लिस्ट पढ़ते राहुल बोले—लेकिन ईवीएम पर तो हमारे सपोर्टर कई पत्रकारों ने कह दिया है कि सवाल उठाने की जरूरत नहीं। दिग्गी ने समझाया—दूध फटने की शिकायत सदियों से हो रही है, पर दूधवाला आज तक गृहणी के बर्तन की गंदगी को ही दोष देता आ रहा है। राहुल (मुस्कराते हुए)—आपने गीताजी पूरी पढ़ी है क्या? दिग्गी मुसकराए (मन ही मन मैं- मैं चेहरे पढ़ता हूं जी)। राहुल—आपने दूसरे नंबर पर वीवीपीटी लिखा है, सुप्रीम कोर्ट ने इसे पहले खारिज कर दिया। दिग्गी—नई बहू की फेवर उसकी ददिया सास या ददिया श्वसुर ज्यादा ही लेते हैं, इसका मतलब ये नहीं कि सास उसको उलाहना देना बंद कर देती है। मैंने तो वीवीपीटी की फुल फॉर्म भी ढूंढ निकाली है- वैरी वैरी पूअर टैक्नोलॉजी, ईसी और कोर्ट कहेगी अरे आपको तो पर्ची मिल गई आपने किसको वोट दिया, लेकिन हम कहेंगे कि मशीन में किसको गया, ये कैसे पता। राहुलजी की आंखों से इम्प्रेशन झर झर के बाहर आ रहा था, दिग्गी चचा कनखियों से गेट की तरफ झांक लेते थे कि सिब्बल और अय्यर निकले कि नहीं।
राहुल—अरे आपने हार्दिक और अल्पेश का नाम भी लिख दिया? दिग्गी—जब सेनापति कोई गलती करता है, तो तोहमत नए रंगरूट पर मढी जाती है, गीता सॉरी गीताजी में भी नहीं लिखा। अल्पेश के मशरूम वाले बयान और ‘हार्ड डिस्क’ की सीडी पर बहाना फोड़ दीजिए कि अश्लीलता और अत्यधिक बोलना, ये कांग्रेस की कल्चर से मेल नहीं खाते। राहुल—तब तो पटेल और ओबीसी छिटक जाएंगे? दिग्गी—भूल गए आप मुलायम और माया से गठबंधन यूपी में कांग्रेस को ले डूबा है, ये कहीं के नहीं रहेंगे और कांग्रेस मजबूत रहेगी, हार्दिक कांग्रेस में आते तो ठीक वरना अगले चुनाव तक हरी चुगने दीजिए। कन्फ्यूजन स्टेट में राहुल—और ये अय्यर को तो हमने निकाल दिया, सिब्बल साहब कह चुके हैं कि वो सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील नहीं थे और ये अहमद पटेल साहब क्यों? दिग्गी—आपको अब तमाम लपूझन्ना नेताओं की आस पास से छुट्टी करनी होगी (मुझे छोड़कर), जो केवल बयान देकर खेल बिगाड़ते हैं, यही मौका है… पटेल साहब को भी सोनियाजी के साथ रिटायर कर देना चाहिए। उनकी वजह से बेचारे शक्ति सिंह और अर्जुन मोडवाडिया भी दबे कुचलों की तरह रहते हैं।
राहुलजी कोई रिएक्शन दें, इससे पहले ही दिग्गी राजा बोले, अगर आप हर प्वॉइंट पर बीच में ना बोलें तो मैंने कई और वजहें गुजरात की हार की तलाशी हैं, आपको पूरी लिस्ट दे देता हूं, पहले पढ़ लीजिए, फिर डिसकस करते हैं। राहुल की जगह पीडी ने सर हिलाकर गो अहेड का इशारा कर दिया। राहुल लिस्ट पढ़ने लगे–
लॉजिक नंबर 1—ये मेरी नहीं दुनियां भर के शिव भक्तों की हार है.
2—चार बार पीडी मेरी स्पीच ही खा गया, सो मैं कई जरूरी एनाउंसमेंट कर ही नहीं पाया, जो सपने हमने 22 वीं सदी के गुजरात के लिए देखे थे.
3—जब मोदी जी ने मेरी दादी के नाक पर रूमाल रखने वाली घटना बताई, तो मारे गुस्से और सदमे के मैं तीन दिन तक ना इलेक्शन कैम्पेन में जा पाया और ना मीटिंग ली.
4—ब्लू व्हेल गेम भी इसके लिए जिम्मेदार है, जब मोदी जी ने झूठा आरोप लगा दिया कि ब्लू व्हेल खेल रही है कांग्रेस तो तमाम जवान बच्चों के अभिभावकों को इससे बुरा लगा.
5—सट्टा बाजार भी कम जिम्मेदार नहीं, अफसोस कांग्रेस की कोई पकड़ सट्टा बाजार पर नहीं, आखिर आम आदमी तो सट्टा बाजार देख कर ही वोट देता है, और उस बाजार में बीजेपी ने अपने दाम गिरा लिए थे.
6—इलेक्शन क्मीशन ने पप्पू शब्द पर रोक लगा दी, मुझे गुस्सा आना इससे कम हो गया.
7—बीजेपी ने ब्लूटूथ के जरिए ईवीएम की हैकिंग की.
8—कुछ हमारे यहां भी लोग बेवकूफ हैं, जिन्होंने कपडों के ऊपर जनेऊ वाले फोटोज बिना गीताजी में देखकर तस्दीक किए जारी कर दिए… राहुल ने फिर अगला पन्ना पलटा….!
9—ये पाकिस्तान की भी साजिश है, आखिर अपने नेताओं को उसी वक्त मीटिंग के लिए भेजना क्यों जरूरी था, पाकिस्तान हमारे परिवार से 1971 का बदला लेना चाहता है.
10—मुझे तो ये भी पता चला है कि मशरूम वाले बयान के चलते फेयर एंड लवली कंपनी की बिक्री गिर गई, सो उसने गुस्से में बीजेपी को मोटा चंदा भिजवा दिया और बीजेपी सपोर्टर्स को फ्री फेयर एंड लवली बंटवाई.
11—हमारे वो लोग भी जिम्मेदार हैं जो अंग्रेजी में ही गीताजी पढ़ते हैं, हिंदी में नहीं, लो का ट्रांसलेशन नीच तो इसी वजह से हुआ.
12—हमारे दामाद के दामाद ने भी ऐन वक्त पर राय़ता फैलाया.
13—हमारे पिता के नानाजी भी वकील थे और हमारी दादी के दादाजी भी, सो हम पार्टी में वकीलों की सारी बदतमीजियां माफ करते आए थे, लेकिन अब तो खानदान में इतना पढ़ा लिखा कोई है नहीं, सो इन सब बेलगाम वकीलों की भी समीक्षा की जाएगी.
14—हमारे चाचा, पिताजी प्लेन उडाया करते थे, पीएम साहब सी–प्लेन ले आए, और हमारे कुछ सलाहकार हमें बैलगाड़ी यात्रा, बस यात्रा और खाट सभा में उलझाए रहे, विकास तो उलटा हो गया.
15—हमें एक दो नहीं 26 मंदिरों में ले जाया गया, कमीने एक मस्जिद में नहीं ले गए, कट्टर हिंदू वोटर तो जुड़ा नहीं, टैम्पल टूरिज्म की बात से कोर वोटर भी छिटक गया, पता करूंगा कि ये किसका आइडिया था.
16—कई बार पीडी ने गलत ट्वीट भी कर दिए, हमें वो ट्वीट, वो डाटा वापस लेना पड़ा, एक फेक सर्वे भी पीडी की गलती से सर्कुलेट हो गया, बेचारे मासूम जानवर पर तो मैं कोई एक्शन भी नहीं ले सकता.
ये लिस्ट पढ़ते पढ़ते राहुल के चेहरे के रंग बदलते जा रहे थे, इधर दिग्गी राजा अति आत्मविश्वास में कमरे में लगे सोनिया और अहमद पटेल के एक फोटो के सामने खड़े होकर उनमें खुद का और राहुलजी का अक्श देख रहे थे कि अचानक उन्हें गुर्राने की आवाज और पीडी का लाल आंखों वाला चेहरा दिखा.. दिग्गी राजा ने फौरन पलटकर देखा। राहुलजी पीडी के गले से पट्टा उतारकर ले जा चुके थे। अब पीडी आजाद था, दिग्गी बाबू की घिग्घी ही बंध गई थी, आंखों के पीछे राहुल और अपनी साथ साथ वाली तस्वीर का कांच बिखरता देख रहे थे और सामने पीडी को गुर्राते हुए… दिग्गी राजा ने मौका देखकर एक टांग दरवाजे से बाहर निकाली और धर छूटे…आगे आगे दिग्गी…पीछे पीछे पीडी…..!
( ये व्यंगात्मक लेख है)
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