नई दिल्लीः आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के घर पर बुधवार सुबह पार्टी की सर्वोच्च इकाई पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी (पीएसी) की बैठक में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए संजय सिंह, नारायण दास गुप्ता और सुशील गुप्ता के नाम का ऐलान किया गया. सुशील गुप्ता दिल्ली के बड़े कारोबारी और समाजसेवी हैं. किसी समय सुशील गुप्ता कांग्रेस की विचारधारा से प्रेरित हुआ करते थे. सुशील गुप्ता कई स्कूल-कॉलेजों और अस्पतालों के चेयरमैन हैं. सुशील गुप्ता अरविंद केजरीवाल के समर्थक रहे हैं और समाज में एक साफ-सुथरी छवि रखते हैं.
पिछले कई दिनों से आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा भेजे जाने के लिए कई चेहरों पर चर्चा हो रही थी. पार्टी के भीतर और बाहर से कुछ विशेष लोगों के नाम पर मंथन चलता रहा. आज इस मंथन पर फैसला हो गया और दिल्ली के बड़े कारोबारी सुशील गुप्ता को आम आदमी पार्टी की ओर से राज्यसभा भेजे जाने का फैसला किया गया. अब आपको बताते हैं कि कौन हैं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पसंद सुशील गुप्ता.
कारोबारी सुशील गुप्ता दिल्ली के पंजाबी बाग क्लब के पिछले 25 वर्षों से चेयरमैन हैं. सुशील गुप्ता 13 वर्षों से पंजाबी बाग को-ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के भी चैयरमैन हैं. सुशील गुप्ता ने कांग्रेस की स्टूडेंट विंग NSUI से एक छात्र नेता के तौर पर राजनीति की शुरुआत की थी. कारोबारी सुशील गुप्ता कांग्रेस से लंबे समय से जुड़े रहे. वह तीन महीने पहले तक कांग्रेस के सदस्य थे. 2013 के दिल्ली विधानसभा चुनावों में वह मोतीनगर सीट से कांग्रेस के उम्मीदवार भी थे तब उन्होंने 164 करोड़ की संपत्ति घोषित की थी.
इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. सुशील गुप्ता हाल ही में कांग्रेस पार्टी छोड़कर आम आदमी पार्टी के करीबियों की कतार में शामिल हुए हैं. मिली जानकारी के अनुसार, सुशील गुप्ता केवल सीएम अरविंद केजरीवाल के करीबी हैं, वह तकनीकी रूप से आम आदमी पार्टी के सदस्य नहीं हैं. पेशे से कारोबारी सुशील गुप्ता खुद को एक किसान बताते हैं. प्राइवेट शिक्षण संस्थानों के साथ-साथ अस्पतालों के निर्माण के लिए जमीन की तलाश करते हैं.
कई अन्य कारोबारियों के साथ मिलकर सुशील गुप्ता ‘दिल्ली गंगा ग्रुप’ नामक संस्थान भी चलाते हैं. दिल्ली से राज्यसभा भेजे जाने के लिए मीडिया में चल रहे नामों पर सुशील गुप्ता ने कहा था कि उन्हें इसके बारे में कुछ भी पता नहीं. मीडिया के जरिए ही उन्हें अपने नाम का पता चला है. वह सत्ता के भूखे नहीं हैं. सुशील गुप्ता का कहना है कि वह शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना चाहते हैं. इस क्षेत्र में योगदान के लिए जो भी सामने आएगा वह उसके साथ जाएंगे.
सुशील गुप्ता ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तो कहा था कि उनके दरवाजे सभी के लिए खुले हैं. हालांकि सुशील गुप्ता के नाम पर आप विधायकों में सहमति नहीं बनी थी. पीएसी की बैठक में सुशील गुप्ता के नाम पर सहमति बन गई और अब वह आम आदमी पार्टी की ओर से पहली बार राज्यसभा भेजे जाएंगे और दिल्ली की जनता से जुड़े मुद्दों को सदन में उठाएंगे.
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