उत्तर प्रदेश से राज्यसभा की दसवीं सीट पर शुक्रवार को देर रात तक घमासान चला. आखिरकार बीजेपी इस सीट पर कब्जा जमाने में कामयाब रही. बीजेपी समर्थित प्रत्याशी अनिल अग्रवाल ने इस सीट पर जीत हासिल करते हुए बसपा उम्मीदवार भीमराव अंबेडकर को हराया. दरअसल आंकड़ों के इस पूरे खेल में सीएम योगी आदित्यनाथ और रेल मंत्री पीयूष गोयल ने चुनाव शुरू होने से लेकर परिणाम घोषित हो जाने तक इस सीट को जिताने में एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया था.
लखनऊः उत्तर प्रदेश में 10 राज्यसभा सीटों पर शुक्रवार को चुनाव हुए. आंकड़ों के हिसाब से बीजेपी के पास 8 और 1 सीट समाजवादी पार्टी के पास जाना तय थी. 10वीं सीट के लिए बीजेपी और बीएसपी ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया लेकिन बीजेपी बसपा से यह सीट झटकने में कामयाब रही. बीजेपी के 9वें उम्मीदवार के तौर पर अनिल अग्रवाल ने जीत दर्ज की. इस सीट पर बीजेपी और बीएसपी के बीच करीब 6 घंटों तक कांटे का मुकाबला चला. सपा की ओर से समर्थन मिलने के बावजूद बसपा प्रत्याशी भीमराव अंबेडकर चुनाव हार गए.
23 तारीख को होने वाले चुनाव को लेकर पिछले कई दिनों से सभी पार्टियों में बैठकों का दौर जारी था. अखिलेश यादव की डिनर-डिप्लोमैसी हो या फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपने सभी विधायकों से मुलाकात या फिर मायावती द्वारा सपा से उनके विधायकों द्वारा बसपा प्रत्याशी के समर्थन की लिस्ट मांगना, शह और मात के खेल में राजनीति से भरपूर चालें बदस्तूर जारी रहीं. 403 विधानसभा सीटों वाले यूपी में नूरपुर विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक लोकेंद्र सिंह चौहान का निधन हो गया है. बसपा विधायक मुख्तार अंसारी और सपा विधायक हरिओम यादव को वोट डालने की अनुमति नहीं दी गई. यानी कुल 400 विधायकों ने 10 सीटों के लिए वोट डाला.
किसी भी प्रत्याशी को राज्यसभा की दहलीज लांघने के लिए कुल 37 वोट चाहिए थे. बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल के 9 और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4 विधायक हैं. बीजेपी गठबंधन के पास कुल 323 सीटें थीं यानी 8 प्रत्याशियों को जिताने के बाद भी बीजेपी के 27 वोट बच रहे थे. ऐसे में बीजेपी ने निर्दलीय प्रत्याशी अनिल अग्रवाल को समर्थन देने का फैसला किया. वोटिंग शुरू होने से लेकर परिणाम आने तक सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ 9वें प्रत्याशी की जीत के लिए हर संभव कोशिश करते नजर आए. दरअसल बीजेपी के 27 वोटों के बाद भी अनिल अग्रवाल को जीत के लिए 10 वोटों की दरकार थी. बीजेपी ने दूसरे दलों के विधायकों को साधा और तीर निशाने पर जा लगा.
निषाद पार्टी के विधायक विजय मिश्रा, निर्दलीय विधायक अमनमणि त्रिपाठी और बीएसपी विधायक अनिल सिंह ने भी अनिल अग्रवाल के लिए वोट किया. इनके अलावा रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया के करीबी निर्दलीय विधायक विनोद सरोज और एक निर्दलीय के वोट भी अनिल अग्रवाल को मिले. इस तरह अग्रवाल को बीजेपी के 14, अपना दल के 9, सुहेलदेव पार्टी के 4, निषाद पार्टी का 1, निर्दलीय 2 और 2 अन्य समेत कुल 32 वोट मिले. अग्रवाल की जीत में सबसे बड़ा योगदान बीएसपी के अनिल सिंह और एसपी के बागी विधायक नितिन अग्रवाल द्वारा की गई क्रॉस वोटिंग का रहा. अग्रवाल को पहली वरीयता में केवल 16 वोट मिले थे जबकि बीएसपी के भीमराव आंबेडकर को 32.
दूसरी प्राथमिकता में अनिल अग्रवाल को 300 से ज्यादा वोट मिले, जबकि भीमराव अंबेडकर को महज 1 वोट मिला. चूंकि दोनों उम्मीदवार के वोट 37 के आंकड़े से कम थे, इसलिए दूसरी प्राथमिकता के वोटों से जीत का फैसला हुआ और बीजेपी समर्थित अनिल अग्रवाल ने राज्यसभा की चौखट को पार किया. नतीजों की घोषणा के बाद बसपा के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि समाजवादी पार्टी की ओर से उन्हें पूरा समर्थन मिला लेकिन बीजेपी ने उनके दो विधायकों को पुलिस के दम पर अगवा कर लिया. मिश्रा ने बीजेपी पर आरोप लगाया कि जो दो विधायक दूसरे दल के थे, उनके साथ भी बीजेपी ने जबरदस्ती की और उनसे वोट लिया गया.