कर्नाटक में चुनावी आहट से चढ़ा सियासी पारा: अमित शाह ने कांग्रेस सरकार को कहा एंटी हिंदू तो सिद्धारमैया ने संघ को बताया कट्टर

कर्नाटक में कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने की मांग पहले से ही उठती रही है. माना जा रहा है कि कर्नाटक चुनाव में स्थानीय मुद्दे अहम रहेंगे. स्थानीय संगठन इन मुद्दों पर कांग्रेस और बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ाने का काम करेंगे. महादयी नदी के पानी से अभी तक स्थानीय लोग वंचित हैं. यह मुद्दा सिद्धारमैया की मुश्किलें बढ़ा सकता है. बीजेपी की परिवर्तन यात्रा के समापन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बेंगलुरू पहुंचेंगे. वहीं कांग्रेस की तरफ से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी स्टार प्रचारक होंगे.

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कर्नाटक में चुनावी आहट से चढ़ा सियासी पारा: अमित शाह ने कांग्रेस सरकार को कहा एंटी हिंदू तो सिद्धारमैया ने संघ को बताया कट्टर

Aanchal Pandey

  • January 10, 2018 5:15 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

बेंगलुरू. कर्नाटक में विधानसभा चुनावों की आहट के साथ ही दिग्गज पार्टियों में चुनावी जंग शुरू हो गई है. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बुधवार को एक दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए. भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने राज्य में कर्नाटक परिवर्तन यात्रा के दौरान राज्य सरकार को एंटी हिंदू करार दिया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार वोट बैंक की पॉलिटिक्स कर रही है. यह एंटी हिंदू सरकार है. शाह ने कहा कि कर्नाटक सरकार ने SDPI (सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया) जो कि भारत विरोधी संगठन है, के खिलाफ चल रहे सभी केसों वापस ले लिया है.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आरोप पर पलटवार करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा कि बीजेपी, आरएसएस और बजरंग दल में कट्टरपंथी तत्व भरे हुए हैं. जो भी शांति में विध्न डालेगा, उसे हमारी सरकार छोड़ेगी नहीं. राज्य की शांति में खलल डालने वाले को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे वो बजरंग दल का हो या SDPI का. बता दें कि राज्य में इसी साल चुनाव होने हैं. कांग्रेस की तरफ से पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी स्टार प्रचारक होंगे. राहुल गांधी 27 जनवरी से 29 जनवरी तक राज्य के विभिन्न जिलों में यात्राएं करेंगे.

कर्नाटक में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा 28 जनवरी को समाप्त हो रही है. बेंगलुरु में आयोजित इस समारोह में प्रधानमंत्री उपस्थित होंगे. राज्य में चुनावी आहट के साथ ही पानी और स्थानीय भाषा कन्नड का मामला जोर पकड़ने लगा है. कर्नाटक के किसान और आम नागरिक महादयी नदी का लंबे समय से इंतजार करने के कारण आक्रोश में हैं. कन्नड़ भाषा को बढ़ावा देने की मांग को लेकर प्रदेश में पहले से ही आंदोलन चलता रहा है. कन्नड़ ग्राहक कूट (केजीके) और बनवासी बलग जैसे संगठन के युवाओं की सोशल मीडिया पर इन दिनों काफी सक्रियता बढ़ गई है.

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