अभी तक बीजेपी का परंपरागत वोटर माने जाते रहे लिंगायत समुदाय को एक ही चाल में कांग्रेस के सीएम सिद्धारमैया ने अपने पाले में कर लिया है. सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने की स्वीकृति देकर गेंद केंद्र सरकार के पाले में डाल दी है. अब बीजेपी के लिए मुश्किल खड़ी हो गई है. लिंगायत समुदाय के संतों ने कांग्रेस को समर्थन का ऐलान कर दिया है.
बेंगलुरू. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी को बड़ा झटका लग सकता है. चुनाव से पहले ही लिंगायत समुदाय के 220 लिंगायत मठों के संतों ने कांग्रेस को समर्थन करने का ऐलान कर दिया है. यह ऐलान बीजेपी के कांग्रेस मुक्त अभियान में एक बड़ी बाधा पैदा कर सकता है. लिंगायत समुदाय के संतों ने रविवार को बैठक के बाद यह ऐलान किया है. अगर लिंगायत समुदाय के लोगों ने मठाधीशों की बात मान ली तो बीजेपी के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है.
कर्नाटक में लिंगायत समुदाय की करीब 18 प्रतिशत आबादी है. ये अभी तक परंपरागत तौर पर बीजेपी के वोटर माने जाते थे. यह समुदाय राजीव गांधी के एक आदेश के बाद से कांग्रेस से लंबे समय से नाराज चल रहा था. लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री सिद्धारमैया द्वारा चुनावों से ऐन पहले उन्हें अलग धर्म का दर्जा देकर चली गई राजनीतिक चाल से एक ही झटके में उन्हें अपनी तरफ कर लिया गया.
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने लिंगायत समुदाय को धार्मिक अल्पसंख्यक का दर्जा देते हुए गेंद केंद्र की बीजेपी सरकार के पाले में डाल दी है. लेकिन बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह लिंगायत समुदाय को अलग धर्म का दर्जा देने से इंकार कर चुके हैं. संतों की बैठक के बाद चित्रदुर्गा मुरुगा मठ के संत शिवमुर्ती मुरुगा राजेंद्र स्वामी ने कहा कि हमने निर्णय किया है कि जो हमें सपोर्ट करेगा, हम उसे सपोर्ट करेंगे. बैश्वा धर्म पीठ की माते महादेवी ने कहा कि हमारे पास कांग्रेस का समर्थन करने के लिए कोई शब्द नहीं हैं. मैं व्यक्तिगत तौर पर कांग्रेस का समर्थन करती हूं और लिंगायत समुदाय से भी कांग्रेस का समर्थन करने की अपील करती हूं.
कर्नाटक में राजनीति हुई तेज, सरकार ने लिंगायत समुदाय को दिया अल्पसंख्यकों का दर्जा