नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 14 सितंबर को होने वाले जेएनयू छात्र संघ चुनाव के लिए 12 सितंबर की रात आयोजित प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान अपने-अपने संगठन के पैनल और कैंडिडेट का उत्साह बढ़ाने वाली कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़ में सेलिब्रिटी छात्र नेता कन्हैया कुमार, शेहला राशिद और उमर खालिद नहीं दिखे.
जेएनयू नारेबाजी कांड से रातों रात स्टार बने कन्हैया, शेहला या उमर का प्रेसिडेंशियल डिबेट में गायब रहना जेएनयू कैंपस में चर्चा का विषय है. हालांकि डिबेट के दौरान कुछ लोग ये कहते सुने गए कि कन्हैया के आने से लेफ्ट यूनिटी के कैंडिडेट्स को फायदा के बदले नुकसान हो जाता इसलिए उनको बुलाया तक नहीं गया.
एआईएसएफ के टिकट पर 2015 में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष का चुनाव जीते कन्हैया कुमार को लेकर चर्चा है कि वो बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से सीपीआई के टिकट पर महागठबंधन उम्मीदवार के तौर पर लड़ने की तैयारी कर रहे हैं इसलिए अब उनका ध्यान बेगूसराय और पटना पर ज्यादा है.
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पीएचडी की पढ़ाई पूरी कर चुके कन्हैया ने कैंपस भी छोड़ दिया है और कैंपस की राजनीति से ऊपर अब वो संसदीय राजनीति में रमने जा रहे हैं. प्रेसिडेंशियल डिबेट में कन्हैया का ना आना चुनावी राजनीति में उनकी बढ़ती दिलचस्पी और बदलती प्राथमिकता का मामला है जिसमें छात्र राजनीति और कैंपस की राजनीति पीछे चली गई है.
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कन्हैया कुमार 2017 के जेएनयू छात्र संघ चुनाव में प्रेसिडेंशियल डिबेट में लेफ्ट यूनिटी की कैंडिडेट गीता कुमारी के लिए नारेबाजी करते नजर आए थे. ऐसा हमेशा होता है कि डिबेट के दौरान संगठन के पुराने और वरिष्ठ नेता सपोर्ट करने पहुंच जाते हैं. इस बार जेएनयू छात्र संघ चुनाव में कन्हैया कुमार के मित्र और सहयोगी रहे जयंत कुमार जिज्ञासु लालू यादव के छात्र राजद के टिकट पर अध्यक्ष का चुनाव लड़ रहे हैं.
जयंत जिज्ञासु ने कन्हैया के काम करने के तौर-तरीकों को पार्टी और संगठन के खिलाफ बताते हुए सीपीआई के छात्र संगठन एआईएसएफ से इस्तीफा दे दिया था. कन्हैया कुमार की ही तरह जयंत भी अच्छा भाषण करते हैं और प्रेसिडेंशियल डिबेट में जयंत जिज्ञासु का भाषण सबसे ज्यादा स्कोरिंग माना गया.
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शेहला राशिद आइसा की नेता हैं और 2015 में जब कन्हैया ने अध्यक्ष का चुनाव जीता था तो शेहला ने जेएनयू छात्र संघ चुनाव में उपाध्यक्ष का पद जीता था. शेहला राशिद की कमी भी लेफ्ट यूनिटी के कार्यकर्ताओं को खल रही थी. कश्मीर से ताल्लुक रखने वालीं शेहला भी लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं.
शेहला के नहीं आने को लेकर भी जब वहां मौजूद लेफ्ट यूनिटी कार्यकर्ताओं से पूछा गया तो उनके अलग-अगल जवाब का सार ये था कि कल के छात्र नेता अब राष्ट्रीय नेता हो गए हैं और अब ये लोग संसद और विधानसभा जाने की राजनीति कर रहे हैं, कैंपस की राजनीति उनके लिए छोटी चीज है.
तीसरे सेलिब्रिटी छात्र नेता उमर खालिद हैं जिनका संगठन है बासो BASO (Bhagat Singh Ambedkar Students Organisation). उमर खालिद का संगठन इस बार सेंट्रल पैनल का चुनाव नहीं लड़ रहा है लेकिन उनका संगठन भाजपा और संघ से जुड़े छात्र संगठन एबीवीपी के कैंडिडेट को हराने की अपील कर रहा है.
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उमर खालिद ने एक ट्वीट भी किया है जिसमें बासो का वो पोस्टर है. उमर के इस ट्वीट को छोड़ दें तो ना तो उमर खालिद ने और ना ही कन्हैया कुमार या शेहला राशिद ने जेएनयू छात्र संघ चुनाव में शुक्रवार को लेफ्ट यूनिटी के कैंडिडेट को वोट करने या समर्थन करने की कोई अपील की है.
कन्हैया कुमार ने पिछले दो-चार दिन में कुछ ट्वीट किए हैं पर वो देश के तमाम मसले हैं. शेहला ने तो कई ट्वीट और रीट्वीट किए हैं लेकिन कोई भी जेएनयू के चुनाव से जुड़ा नहीं है. इसे इस बात को सामने रखकर देखें तो उनकी बेरूखी समझ आएगी कि आरजेडी कैंडिडेट जयंत कुमार जिज्ञासु के लिए तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मनोज झा, संजय यादव समेत राष्ट्रीय जनता दल के कई नेता, प्रवक्ता लगातार ट्वीट कर रहे हैं, रीट्वीट कर रहे हैं और जेएनयू के छात्र-छात्राओं से जयंत जिज्ञासु को वोट देने की अपील कर रहे हैं.
ऊपर उमर खालिद की ट्वीट वाली अपील आप पढ़ चुके. अब तक ये एकमात्र ट्वीट है कन्हैया, शेहला और उमर की तिकड़ी का जेएनयू छात्र संघ के चुनाव पर. अब पढ़िए जयंत कुमार जिज्ञासु के समर्थन में आरजेडी के बड़े-बड़े नेताओं की अपील जिनकी पार्टी पहली बार जेएनयू का चुनाव लड़ रही है.
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