नई दिल्लीः बिहार में महागठबंधन से दरकिनार किए जाने के बाद सीपीआई ने लेफ्ट उम्मीदवार के रूप में जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और युवा छात्र नेता कन्हैया कुमार को बेगूसराय सीट से लोकसभा चुनाव लड़ाने की घोषणा कर दी है. कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट पर बीजेपी के दिग्गज कैंडिडेट एवं पूर्व में नवादा लोकसभा सीट से संसद रहे गिरिराज सिंह और महागठबंधन कैंडिडेट और पूर्व में बेगूसराय से ही आरजेडी के टिकट पर चुनाव लड़ चुके तनवीर हसन से मुकाबला है.
इस हाई वोल्टेड सीट पर कन्हैया की जीत की राह आसान नहीं है. दरअसल, खबरें चल रही थीं कि कन्हैया कुमार आरजेडी से नजदीकियों की वजह से महागठबंधन से टिकट पा सकते हैं, लेकिन ऐन मौके पर महागठबंधन से सीपीआई की छुट्टी के बाद खेल बिगड़ गया. ऐसे में सीपीआई के पास अकेले कन्हैया कुमार को उतारने के अलावा कोई अन्य विकल्प ही नजर नहीं आया. हालांकि उसे अन्य लेफ्ट पार्टी सीपीआई-एमएल का समर्थन हासिल है, लेकिन उनकी जीत के लिए ये नाकाफी है.
यहां बता दूं कि बेगूसराय को एक जमाने में लेनिनग्राद बोला जाता था और यह वाम दलों, खासकर सीपीआई का गढ़ माना जाता था. बेगूसराय लोकसभा सीट पर कई बार सीपीआई कैंडिडेट ने जीत का परचम लहराया, लेकिन 80 के दशकों में यहां वाद दलों की स्थिति बिगड़ी और फिर धीरे-धीरे सीपीआई कमजोर होने लगी. बाद में इसकी निर्भरता लालू प्रसाद यादव की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) बढ़ने लगी, लेकिन अब आरजेडी ने भी सीपीआई को भाव देना बंद कर दिया है. पिछले कुछ लोकसभा चुनाव के दौरान इस सीट पर रामविलास पासवान की लोजपा और बीजेपी का बर्चस्व रहा है.
आपको बता दें कि बेगूसराय से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को टिकट दिया है, लेकिन गिरिराज सिंह का मन अब भी नवादा में ही है. गिरिराज सिंह अपना पुराना नवादा सीट नहीं छोड़ना चाहते हैं, ऐसे में बेगूसराय की जनता को ये संदेश जा रहा है कि जो कैंडिडेट हमारे यहां से चुनाव ही नहीं लड़ना चाहता, वो जीतने के बाद हमें कितना समय दे पाएगा. दरअसल, गिरिराज सिंह रट लगाए बैठे हैं कि उन्हें नवादा सीट ही चाहिए, ऐसे में बेगूसराय की जनता में उनके प्रति गलत संदेश जा रहा है. गिरिराज सिंह की बुआ का घर भी बेगूसराय में ही है. बेगूसराय भूमिहारों का गढ़ है और पिछले लोकसभा में बीजेपी के भोला सिंह ने यहां से जीत दर्ज की थी, ऐसे में कुल मिलाकर बीजेपी के पास इस सीट पर अडवांटेज है.
मालूम हो कि बेगूसराय में आरजेडी की स्थिति भी काफी मजबूत है. पिछली बार आरजेडी कैंडिडेट तनवीर हसन मात्र 50 हजार मतों से भोला सिंह से हार गए थे. इस बार तो महागठबंधन में लालू प्रसाद यादव की आरजेडी के साथ ही राहुल गांधी की कांग्रेस, हाल ही में एनडीए छोड़ने वाली उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएसपी, दलित नेता जीतन राम मांझी की हम और मुकेश शहनी की विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) भी है, ऐसे में इनकी भूमिहार वोटर को छोड़ बाकी सभी जातियों यानी कोइरी, यादव, दलित, मुस्लिम और अन्य पर काफी अच्छी पकड़ है. ऐसे में महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन को इसका पूरा फायदा मिलने की उम्मीद है.
बेगूसराय की राजनीति को अच्छी तरह समझने वालों का कहना है कि इस बार बेगूसराय में महागठबंधन पहले नंबर पर, बीजेपी कैंडिडेट दूसरे नंबर पर और लेफ्ट कैंडिडेट कन्हैया कुमार तीसरे नंबर पर रहेंगे. जानकारों का कहना है कि इस बार महागठबंधन का उनके उम्मीदवार तनवीर हसन को काफी फायदा होगा और इस बार हालात भी मोदी लहर जैसे नहीं हैं. वहीं गिरिराज सिंह का नवादा प्रेम भी कहीं बेगूसराय में उन्हें भारी न पड़ जाए. इन सबके बीच कन्हैया कुमार पिछले 6 महीने से अक्सर बेगूसराय जाकर चुनावी माहौल बनाते देखे गए हैं, लेकिन जेएनयू राष्ट्र विरोधी नारे वाली घटना की वजह से उनकी सार्वजनिक मान्यता वैसी नहीं है कि वे उसे लोकसभा चुनाव में भुना सके.
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