Kanhaiya Kumar Begusarai Giriraj Singh Tanweer Hassan: बेगूसराय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के अपने अंतिम चरण में प्रवेश करने के बाद, बेगूसराय में वरिष्ठ वाम नेताओं की भीड़ देखी जा रही है और इनमें समान विचारधारा वाले लोग भी हैं जो कन्हैया कुमार के लिए प्रचार करने के लिए आ रहे हैं. जावेद अख़्तर, शबाना आज़मी और योगेंद्र यादव जैसी हस्तियां उनके समर्थन में बेगूसराय पहुंचकर प्रचार कर चुकी हैं.
बेगूसराय. बिहार की पांच लोकसभा सीटों पर मंगलवार को तीसरे चरण के मतदान के बाद अब सभी की निगाहें चौथे चरण पर हैं जिसमें बेगूसराय बिहार में सबसे अहम निर्वाचन क्षेत्र के रूप में उभरा है. पूर्व जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष और सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुमार बेगूसराय सीट से एक त्रिकोणीय मुकाबले में हैं. सीट पर चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होगा. हालांकि ये कन्हैया कुमार का पहला चुनाव है. 32 वर्षीय सीपीआई उम्मीदवार कन्हैया कुनार बेगूसराय के बरौनी प्रखंड में बीहट पंचायत के निवासी हैं. बेगूसराय को कभी सीपीआई का गढ़ माना जाता था और यहां तक कि 1967 में यहां से एक सांसद भी भेजा गया था. हालांकि, तब से निर्वाचन क्षेत्र पर सीपीआई की पकड़ में तेजी से गिरावट आई है. पार्टी कन्हैया के जरिए अपने पुनर्जीवित होने पर दांव खेल रही है.
कन्हैया को फायरब्रांड बीजेपी नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह और राजद के तनवीर हसन के खिलाफ खड़ा किया गया है. 2014 के आम चुनाव में बेगूसराय में पहली बार बीजेपी का सांसद चुना गया. यह सीट 2014 में भाजपा के भोला सिंह ने जीती थी, लेकिन 2018 में उनकी मृत्यु के साथ ही ये खाली हो गई. सीपीआई शुरू में चाहती थी कि राजद बेगूसराय में कन्हैया कुमार को समर्थन दे. लेकिन लालू प्रसाद की पार्टी ने कन्हैया कुमार को समर्थन देने से इनकार कर दिया. 2014 के लोकसभा चुनावों में, राजद के उम्मीदवार तनवीर हसन ने नरेंद्र मोदी की लहर के बावजूद 3.69 लाख वोट हासिल किए थे. यही वजह है कि राजद ने सीपीआई के उम्मीदवार का समर्थन करने के बजाय फिर से इस सीट से चुनाव लड़ने का फैसला किया. एक बार फिर तनवीर हसन को इस सीट से उतारा गया. वो लोकप्रिय व्यक्ति हैं जिन्हें अपने मिलनसार स्वभाव और पहुंच के लिए जाना जाता है. कहा जाता है कि उन्हें यादवों का साथ आराम से मिलता है और कहा जाता है कि मुसलमान उनके लिए रैली करते हैं.
बेगूसराय निर्वाचन क्षेत्र में चुनाव प्रचार के अपने अंतिम चरण में प्रवेश करने के बाद, बेगूसराय में वरिष्ठ वाम नेताओं की भीड़ देखी जा रही है और इनमें समान विचारधारा वाले लोग भी हैं जो कन्हैया कुमार के लिए प्रचार करने के लिए आ रहे हैं. इनमें से कोई खुद को देश में निरंकुश ताकतों के खिलाफ प्रतिरोध का प्रतीक बताता है. बेगूसराय की लड़ाई को कन्हैया कुमार की मौजूदगी ने एक राष्ट्रीय मुकाबले में बदल डाला है. देश भर से कई प्रतिष्ठित लोग कन्हैया के समर्थन और प्रचार के लिए बेगूसराय पहुंच रहे हैं. इनमें जेएनयू के उनके पुराने साथियों के अलावा अलग-अलग प्रगतिशील आंदोलनों और मोर्चों से जुड़े लोग भी शामिल हैं. कुल मिलाकर माहौल कुछ ऐसा है कि कन्हैया से ज्यादा बाकि लोग कन्हैया के प्रचार में लगे हैं. जावेद अख़्तर, शबाना आज़मी और योगेंद्र यादव जैसी हस्तियां उनके समर्थन में बेगूसराय पहुंचकर प्रचार कर चुकी हैं.