Jammu Kashmir History 1948 to 2019: 1948 में अंतराष्ट्रीय मुद्दा बना जम्मू-कश्मीर 1971 में द्विपक्षीय मुद्दा बन गया जिसे 2019 में नरेंद्र मोदी ने घरेलू मुद्दा बनाकर सुलझा दिया

Jammu Kashmir History 1948 to 2019: नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर राज्य से विशेषाधिकार छीन लिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले से राज्य के नागरिकों को मिलने वाला विशेष अधिकार खत्म हो गया है. केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर राज्य से लद्दाख को भी अलग कर बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश बना दिया है. यहां जानें 1948 से लेकर अब तक जम्मू कश्मीर राज्य का पूरा इतिहास.

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Jammu Kashmir History 1948 to 2019: 1948 में अंतराष्ट्रीय मुद्दा बना जम्मू-कश्मीर 1971 में द्विपक्षीय मुद्दा बन गया जिसे 2019 में नरेंद्र मोदी ने घरेलू मुद्दा बनाकर सुलझा दिया

Aanchal Pandey

  • August 5, 2019 6:24 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

श्रीनगर. नरेंद्र मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का संकल्प प्रस्ताव पेश कर दिया है और राष्ट्रपति ने इसे मंजूरी भी दे दिया है. अब जम्मू कश्मीर को राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. इसके अलावा केंद्र सरकार ने इसका विभाजन भी कर दिया है यानी जम्मू-कश्मीर राज्य से लद्दाख को अलग कर चंडीगढ़ की तरह बिना विधानसभा के केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है. अनुच्छेद 370 हटने से जम्मू-कश्मीर के लोगों को मिला विशेषाधिकार भी खत्म हो गया है. केंद्र सरकार के इस फैसले का जहां जम्मू-कश्मीर की प्रमुख पार्टियां विरोध कर रही हैं, वही अन्य पार्टियां जैसे- बीएसपी, आम आदमी पार्टी, बीजेडी ने केंद्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है.

एक नजर में जानें 1948 से लेकर 2019 तक जम्मू-कश्मीर के ऐतिहासिक सफर को-

1947 में भारत और पाकिस्तान को अंग्रेजी से आजादी मिली. देश आजाद होने के बाद जो रियासते थी (जहां पर राजाओं यानी निजामों का शासन था.) उन्हें स्वेच्छा से भारत या पाकिस्तान में विलय करने के लिए कहा गया. आजादी के समय देश की सबसे बड़ी रियासत जम्मू-कश्मीर थी और इसके उत्तराधिकारी राजा हरिसिंह थे. पाकिस्तान को उम्मीद थी कि राजा हरिसिंह जम्मू-कश्मीर का विलय पाकिस्तान में करेंगे, लेकिन राजा हरिसिंह के ऐसा नहीं करने पर पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर रियासत पर हमला कर दिया है. ऐसे में राजा हरिसिंह के समाने मरता क्या न करता जैसी उत्पन्न हो गई.

पाकिस्तान के जम्मू-कश्मीर रियासत में हमला करते हीं वहां पर हाहाकार मच गया और घाटी में खून की नदियां बहने लगी. पाकिस्तान की इस हरकत से तंग आकर राजा हरिसिंह ने 26 अक्टूबर 1947 को भारत सरकार के साथ एक समझौता किया. राजा हरिसिंह ने भारत सरकार से समझौता इस शर्त पर किया था कि भारत सरकार पाकिस्तानी सैनिकों को घाटी से खदेड़ दे और भारत ने ऐसा किया भी. इसके बाद से ही पाकिस्तान भारत शासित कश्मीर को हमेशा से अशांत करता रहा है.

भारत सरकार ने 1 जनवरी 1948 को कश्मीर मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के समक्ष रखा. भारत-पाकिस्तान में संघर्ष विराम हो इसके लिए संयुक्त राज्य सुरक्षा परिषद ने 21 अप्रैल 1948 को प्रस्ताव 47 पारित किया. इसके बाद जब भारतीय सेना कश्मीर में दाखिल हुई तो शेख अबदुल्ला ने जनमत संग्रह कराने के लिए कहा. हालांकि दोनों देश 1948 में जनमत संग्रह के लिए राजी हो गए, लेकिन बाद में भारत ने इससे किनारा कर लिया और पाकिस्तान को पहले कश्मीर से सेना हटाने के लिए कहा. इसके बाद 1949 में संविधान सभा ने अऩुच्छेद 370 बनाया.

आजादी के बाद से पाकिस्तान को कश्मीर का भारत का हिस्सा होने की बात खटकती रही. इसी का नतीजा था कि उसने कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियां शुरू कर दी. पाकिस्तान की इस हरकत ने शांतिप्रिय भारत को युद्ध नीति अपनाने पर मजबूर कर दिया. कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 में युद्ध में हुआ और इस युद्ध में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी. 1971 युद्ध में भारतीय सेना ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिकों बंदी भी बना लिया था.

पाकिस्तानी सैनिकों को छुड़ाने के लिए भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई को 1972 में शिमला संधि पर हस्ताक्षर हुआ जिसे शिमला समझौता के नाम से जाना जाता है. शिमला समझौता में भारत और पाकिस्तान के बीच राजनयिक संबंधों को सामान्य बनाना, व्यापार शुरू करना और बंग्लादेश को अलग देश का दर्जा दिलाने पार विचार किया गया. शिमला समझौता भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान की प्रधानमंत्री जुल्फिकार अली भुट्टो शामिल थे. दोनों देश के प्रधानमंत्रियों ने जम्मू-कश्मीर जैसे मुद्दें को आपसी बातचीत के माध्यम से सुलझाने का प्रयास किया.

जब आपसी बातचीत से भी कश्मीर मुद्दा ने हल नहीं हुआ तो भारत सरकार ने इस घरेलू मुद्दा बनाकर कर लगभग हल कर दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले कई जम्मू-कश्मीर के मामले में जानकारी रखने वाले विशेषज्ञ भी सकते में हैं.  जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने के निर्णय के बाद राज्य में सुरक्षा और कड़ी हो गई है. साथ ही धारा 144 लागू है. राज्य में मोबाइल और इंटरनेट सेवा पर रोक है. करीब 8 हजार अर्धसैनिक बलों को उत्तर प्रदेश, ओडिशा, असम और देश के अन्य हिस्सों से कश्मीर घाटी में लाया गया है. घाटी में सैनिकों की तैनाती जारी है.

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