कैराना/लखनऊ। समाजवादी पार्टी ने कैराना से मौजूदा विधायक नाहिद हसन की छोटी बहन इकरा हसन (Iqra Hasan)को लोकसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी बनाया है। 28 वर्षीय इकरा हसन सोशल मीडिया पर काफी लोकप्रिय हैं। उन्होंने दिल्ली के लेडी श्री राम कॉलेज से ग्रेजुएशन और लंदन के SOAS यूनिवर्सिटी से Msc कर रखा है। हसन परिवार की बेटी से Inkhabar ने खास बातचीत की है। पढ़िए उनका पूरा इंटरव्यू…
सवाल: सबसे पहले हम आपसे ये जानना चाहेंगे कि आप तीसरी पीढ़ी है, अचानक राजनीति में आना हुआ?
जवाब: अचानक नहीं आई। परिस्थितियां कुछ ऐसी बनी की राजनीति में आना पड़ा। हम तीन साल से लोगों के बीच में है। मेहनत कर रहे हैं तो उम्मीद है कि जनता हमारा साथ देगी।
सवाल: जब लोग आपको लंदन वाली बिटिया कहते हैं तो कैसा लगता है? ऐसा लग रहा है कि आप बाहर से पढ़ लिख कर आईं और कैराना की राजनीति में कूद पड़ीं।
जवाब: मैं बाहर पढ़ने गई थी लेकिन मैं यहीं की हूं लंदन की नहीं। मैं वहां से पढ़कर आई तो राजनीति में आना पड़ा। मुझे कोई लंदन की नहीं कहते हैं बल्कि कैराना की इकरा कहते हैं।
सवाल: दादा अख्तर हसन, पिता मुनव्वर हसन और मां तबस्सुम हसन, भाई नाहिद हसन के बाद इकरा हसन। …कैराना के लिए क्या करना चाहेंगी?
जवाब: कैराना में सबसे पहले भाईचारा स्थापित करना चाहेंगे। भाजपा ने जो बदनामी हमारे क्षेत्र की कराई है उसे धोने का काम करेंगे। महिलाओं की उच्च शिक्षा के लिए यहां पर काम करना चाहूंगी।
सवाल: कैराना कभी पलायन को लेकर सुर्ख़ियों में आया था, आप उस दाग को कैसे मिटाएंगी?
जवाब: देखिए। पलायन कोई मुद्दा ही नहीं है बल्कि यह बीजेपी का प्रोपेगेंडा है। कैराना का दाग जनता मिटा चुकी है। उन्होंने 2017 में जनादेश दिया फिर 2022 में जिताया। पलायन धरातल पर कोई मुद्दा है ही नहीं। जनता इसे पूरी तरह से रिजेक्ट कर चुकी है।
सवाल: जयंत चौधरी अचानक से इस पाले को छोड़कर उधर चले गए, इसका क्या असर होगा?
जवाब: ये तो जयंत चौधरी ही बेहतर बता सकते हैं कि क्या वजह रही है। यहां के किसानों और हमने जो इकट्ठे संघर्ष किया है भुलाया वो नहीं जा सकता। यह वैचारिक लड़ाई है। भाजपा कभी भी किसानों की पार्टी नहीं रही है और वो उसने समय-समय पर साबित किया है। किसानों से किया वादा कभी पूरा नहीं किया। न ही MSP को लेकर कोई कानून बनाया गया, जो किसान शहीद हुए उनके लिए सरकार ने कुछ नहीं किया। हमारे प्रधानमंत्री ने कभी किसानों के मन की बात नही की। लखीमपुर खीरी में जिनके बेटे ने किसानों को कुचला था, उन्हें आज टिकट मिला हुआ है।
सवाल: जयंत चौधरी को जो 7 सीटें मिली थी, उसमें आपका नाम भी था?
जवाब: जयंत चौधरी जी से पारिवारिक रिश्ते हैं। मेरे पिता जी की शुरुआत अजीत सिंह जी के साथ हुई थी। मेरा नाम सबसे पहले जयंत चौधरी जी ने दिया था। उनसे पुराना ताल्लुक रहा है। मैं हमेशा उनकी आभारी रहूंगी कि मेरी राजनीतिक शुरुआत में उनका हाथ था। जयंत चौधरी हमारे पश्चिम की मजबूत आवाज है। हम लोग उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। यहां के सभी लोग चौधरी चरण सिंह जी के अनुयायी है। जो लगाव और सम्मान है, वो हमेशा रहेगा। क्या परिस्थितियां रही वो हमें भी अभी नहीं पता।
सवाल: अखिलेश यादव के लिए क्या कहेंगी? उन्होंने भी आप पर भरोसा जताया।
जवाब: अखिलेश यादव जी का तो मुझ पर बहुत बड़ा अहसान है। इस पूरे दौरान वो मेरे मार्गदर्शक रहे हैं। उन्होंने बिल्कुल परिवार की तरह, बड़े भाई की तरह मुझे हौसला और हिम्मत दी है। उतार-चढ़ाव जितने भी आए, गठबंधन रहा और टूटा, उसके बावजूद भी उन्होंने मेरे पर भरोसा जताया। हर परेशानी के लिए मुझसे पूछते हैं। तुम्हें बस जीतकर आना है। उनका कहना है कि भाजपा की तरह हम सिर्फ मोदी जी-योगी जी के चेहरे पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। प्रत्याशी के नाम पर जीतकर आएंगे। मुझे उम्मीद है कि जनता मुझे आशीर्वाद देगी।
सवाल: राजनीति में आने का मन कब मनाया था?
जवाब: देखिए 2022 में मेरे भाई और मेरी मां पर झूठे मुकदमे किए गए थे। चुनाव से ठीक पहले मरे भाई को जेल में डाल दिया गया था। उस दौरान मेरा बाहर से आना हुआ और पहली बार चुनावी कमान संभाली। मेरे भाई जब एक साल तक जेल में रहे तो उनके काम को मैंने ही संभाला। उस दौरान जनता से लगाव हुआ फिर इस बारे में सोचा। अखिलेश यादव जी ने मुझे पहले ही कह दिया था कि आप तैयारी करो, आपको चुनाव लड़ाएंगे।
सवाल: बीजेपी परिवारवाद को लेकर बहुत अटैक करती है, आप तीसरी पीढ़ी चुनाव लड़ रही हैं?
जवाब: जी, भाजपा जो है वो भी परिवारवाद से ही बनी हुई है। उनके भी बहुत सारे नेता हैं , चाहे वो पंकज सिंह हो या और भी दूसरे। ये सब भी परिवारवाद को बढ़ावा देते हैं। हमारे क्षेत्र में कई ऐसे परिवार है, जिनकी दूसरी-तीसरी पीढ़ी राजनीति में है। हमारे देश में कोई भी दल इससे अछूता नहीं है। बीजेपी का ये कहना शोभा नहीं देता, पहले अपने गिरेबान में झांके।
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