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Interim Budget 2019: पहले की सरकारों ने जनता को लुभाने के लिए अंतरिम बजट में की थी ये बड़ी घोषनाएं, हुआ था फायदा

Interim Budget 2019: अंतरिम बजट में पहले की सरकारों ने बड़ी-बड़ी घोषनाएं की हैं और इसका लोकसभा चुनाव में फायदा भी उठाया है. माना जा रहा है कि इस बार नरेंद्र मोदी सरकार भी कुछ ऐसी घोषनाएं कर सकती हैं, जिसकी मदद से वह आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा ले सके और इन वादों-दावों को वोटबैंक में तब्दील कर सके. हम यहां बताने जा रहे हैं कि पूर्ववर्ती सरकारों ने अंतरिम बजट में किस तरह की घोषनाएं कीं और उनका असर क्या रहा.

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Interim Budget 2019
  • February 1, 2019 11:10 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः बस कुछ ही पलों में नरेंद्र मोदी सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल (2014-19) का अंतिम बजट पेश करने वाली है. पहले अटकलें चल रही थीं कि इसे पूर्ण बजट के रूप में सरकार संसद में पेश करेगी, लेकिन वित्त मंत्री का कार्यभार संभाल रहे पीयूष गोयल ने स्पष्ट किया कि यह पूर्ण नहीं बल्कि अंतरिम बजट है और इसमें अगले कुछ महीनों का ही लेखा जोखा होगा. चर्चा है कि नरेंद्र मोदी सरकार इस बजट में किसानों और मध्यम वर्ग को ध्यान में रखते हुए कुछ अहम घोषणाएं कर सकती है.. हालांकि, बजट सत्र के दौरान मात्र 4 महीने के ही आय-व्यय के ब्योरे को मंजूरी दी जाएगी. संभावना जताई जा रही है कि इस अंतरिम बजट में नरेंद्र मोदी सरकार आयकर छूट की सीमा बढ़ाने, गरीबों के लिये न्यूनतम आय योजना और किसानों के लिए सहायता पैकेज समेत कई तरह की लोक लुभावन घोषणाएं कर सकती हैं.
मालूम हो कि अंतरिम बजट में सरकार ऐसी-ऐसी घोषनाएं करती हैं, जिनका आगामी लोकसभा चुनाव पर असर हो. इसलिए माना जा रहा है कि इस बार नरेंद्र मोदी सरकार भी कुछ ऐसी घोषनाएं कर सकती हैं, जिसकी मदद से वह आगामी लोकसभा चुनाव में फायदा ले सके और इन वादों-दावों को वोटबैंक में तब्दील कर सके. हम यहां बताने जा रहे हैं कि पूर्ववर्ती सरकारों ने अंतरिम बजट में किस तरह की घोषनाएं की और उनका असर क्या रहा.

  1. 2014-15: यूपीए के दूसरे शासनकाल यानी 2009-14 के आखिर में तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने 2014-15 का अंतरिम बजट पेश करते हुए स्टूडेंट्स के लिए बड़ी घोषनाएं की थीं. उन्होंने 9 लाख स्टूडेंट्स के लिए 2,600 करोड़ रुपये के एजुकेशन लोन की घोषणा की थी. हालांकि उनकी इस घोषमा का चुनाव पर कोई सकारात्मक असर नहीं पड़ा था और यूपीए सरकार की बुरी हार हुई थी.
  2. 2009-2010: यूपीए 1 के आखिरी समय अंतरिम बजट पेश करते हुए तत्कालीनम वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) के लिए 60 पर्सेंट कमर्शल लोन देने का विकल्प दिया था. इस घोषणा का फायदा भी हुआ था और यूपीए सरकार दोबारा सत्ता में आई.
  3. 2004-2005: साल 1999-2004 के दौरान एनडीए की सरकार के दौरान वित्त मंत्री जसवंत सिंह ने 50 पर्सेंट बेसिक पे में डियरनेस अलाउंस (डीए) को मर्ज कर दिया था. ऐसा कर्मचारियों को खुश करने के लिए किया गया था, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ था और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी.
  4. 1971-72: साल 1971-72 के दौरान तत्कालीन वित्त मंत्री वाईबी चव्हान ने दक्षिण भारत के राज्यों के लिए 3 बड़े स्टील प्लांट स्थापित करने की घोषणा की थी और रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए 50 करोड़ निवेश करने की घोषणा की थी.

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