अरविंद केजरीवाल ने तय कर लिया था कि मैक्स हॉस्पिटल में लापरवाही पर फैसला बड़ा और कड़ा होगा ताकि फाइव स्टार अस्पतालों में लूट रुके

मैक्स अस्पताल द्वारा जीवित नवजात को मृत बताए जाने की अमानवीय और आपराधिक लापरवाही से नाराज होकर अरविंद केजरीवाल ने अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया था. केजरीवाल के ऐसे कड़े एक्शन की उम्मीद किसी को नहीं थी.

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अरविंद केजरीवाल ने तय कर लिया था कि मैक्स हॉस्पिटल में लापरवाही पर फैसला बड़ा और कड़ा होगा ताकि फाइव स्टार अस्पतालों में लूट रुके

Aanchal Pandey

  • December 11, 2017 7:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. दिल्ली में जब से शालीमार बाग मैक्स हॉस्पिटल का लाइसेंस अरविंद केजरीवाल सरकार ने रद्द किया है मैक्स हॉस्पिटल ग्रुप मैक्स इंडिया के शेयर अब तक 6.35 परसेंट नीचे गिर चुके हैं और आज सुबह एक शेयर की कीमत 127.95 रुपए पर आ गई. ऐसा कभी होता नहीं था. ना ही हॉस्पिटल्स को ऐसी आदत थी और ना ही मीडिया को. लोगों को तो बिल्कुल भी नहीं थी. इतने कड़े और बड़े एक्शन की उम्मीद किसी को नहीं थी लेकिन नवजात बच्चे को जिंदा रहते मरा बताने की अमानवीय और आपराधिक लापरवाही से गुस्साए अरविंद केजरीवाल ने तय कर लिया था कि फाइव स्टार और कॉरपोरेट कल्चर वाले अस्पतालों में लूट के खिलाफ एक्शन लेने का समय आ गया है. आम आदमी पार्टी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक केजरीवाल ने स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन से साफ-साफ कह दिया था कि बार-बार लोगों के साथ गलत कर रहे मैक्स अस्पताल के खिलाफ कड़े एक्शन से आम लोगों का खून चूस रहे दूसरे बड़े अस्पतालों को भी संदेश मिल जाएगा.

अरविंद केजरीवाल सरकार की तरफ से स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने जैसे ही मैक्स शालीमार बाग का लाइसेंस कैंसिल करने का ऐलान किया, सोशल मीडिया पर केजरीवाल, जैन और आम आदमी पार्टी की तारीफ ट्रेंड करने लगे. इसका ऐसा राजनीतिक असर हुआ कि आनन-फानन में हरियाणा में बीजेपी की मनोहर लाल खट्टर सरकार को उससे भी कड़ा एक्शन गुड़गांव के फोर्टिस हॉस्पिटल पर लेना पड़ा. हरियाणा सरकार ने डेंगू की मरीज एक लड़की की मौत के बाद 16 लाख का बिल पकड़ाने वाले गुड़गांव फोर्टिस की जमीन का लीज कैंसिल करने का फैसला किया और साथ में एफआईआर दर्ज करने का भी. सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल और जैन के तेवर अगर नरम होते तो ये मामला भी आया-गया हो गया होता क्योंकि मैक्स अस्पताल से टकराना आसान काम नहीं था. नतीजा भी सामने है कि दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन लाइसेंस वापस नहीं करने पर मंगलवार से काम ठप करने की धमकी दे रहा है.

केजरीवाल ने मैक्स शालीमार बाग में जिंदा नवजात को मरा बताने के मामले को बहुत पर्सनल लेवल पर हैंडल किया. जैसे ही 1 दिसम्बर को खबर आई कि शालीमार बाग के मैक्स हॉस्पिटल ने एक जिंदा बच्चे को मृत बताकर घर वालों को प्लास्टिक बैग में सौंप दिया है कई प्रतिष्ठित लोगों ने इसे सोशल मीडिया पर उठाया. दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति जयहिंद ने भी इस मुद्दे को भयावह बताते हुए जांच और एक्शन की मांग की. केजरीवाल ने 1 दिसम्बर को लिखा कि “जांच का आदेश दे दिया गया है. जांच में दोषी मिले तो कड़ी कार्रवाई होगी.” हुआ भी यही. स्वास्थ्य मंत्री सतेन्द्र जैन ने एक जांच कमेटी बनाकर उसे एक हफ्ते की डेडलाइन दी. सीएम केजरीवाल की दिलचस्पी का आलम इस बात से समझ सकते हैं कि सतेन्द्र जैन का इस मामले से जुड़ा ट्वीट ही नहीं एक चैनल को दिया इंटरव्यू भी केजरीवाल ने खुद रीट्वीट किया ताकि लोगों को पता लगता रहे कि मामला उनकी नजरों में है और वो सीधे रिपोर्ट ले रहे हैं. आप अगर 1 दिसम्बर से 11 दिसम्बर तक केजरीवाल की ट्वीट और रीट्वीट देखेंगे तो पाएंगे कि उनमें से करीब 60 फीसदी ट्वीट केवल इसी मुद्दे को लेकर हैं. इससे साफ जाहिर था कि केजरीवाल ने किसी विरोधी पार्टी के मुद्दे को बड़ा बनाने के बजाए अपनी सरकार के एक्शन को ही मुद्दा बनाने की ठान ली.

केजरीवाल इसमें कामयाब भी हुए. करीब 20 से 25 पत्रकार और कई ऐसे सेलिब्रिटी जो केजरीवाल के खुले समर्थक नहीं हैं, वो भी इस मामले में केजरीवाल के एक्शन की तारीफ कर चुके हैं. जानकार ये मानते हैं कि यही वो मुद्दा था जो केजरीवाल की असली इमेज को दर्शाता है. केजरीवाल ने जनता से जुड़े भ्रष्टाचार के मुद्दे के जरिए अपनी पहचान और सरकार बनाई थी. उसके बाद जनता से जुड़े मुद्दों यानी बिजली और पानी के बिल कम करके उनको काफी राहत दी थी. लेकिन साथियों के साथ झगड़े और तमाम आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति के चलते उनकी इमेज कुंद हो रही थी. फिर उन्होंने अपनी सरकार के अच्छे काम पर बात करनी शुरू कर दी और विरोधियों का नोटिस लेना कम कर दिया.

केजरीवाल एक तो अब किसी भी आरोप प्रत्यारोप के लिए बड़ी बड़ी प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से बच रहे हैं. जरूरी समझते हैं तो ट्वीट और रीट्वीट से काम चला लेते हैं. दूसरे एजुकेशन फील्ड में मनीष सिसौदिया के काम को काफी सराहना मिली तो उन्होंने ऐसे कुछ और जनता से सीधे जुड़े कामों को समय देना शुरू कर दिया. इनमें स्वाति जयहिंद का महिला आयोग वाला आक्रामक कैम्पेन और मोहल्ला क्लिनिक के बाद दिल्ली के हॉस्पिटलों की हालत सुधारने के काम के जरिए भी उन्हें तारीफ मिली है. उन्हें तब भी मीडिया ने सराहा जब मेट्रो किराया बढ़ने पर उन्होंने विरोध किया और अगले ही महीने मेट्रो के यात्री कम होने से आमदनी कम हो गई. जाहिर है मेट्रो की भी किरकिरी हुई. केजरीवाल को ये समझ आ गया है कि आम जनता जिनसे त्रस्त हैं, उन फैसलों के खिलाफ जाना है. जनता को राहत मिले, भले ही सांकेतिक हो, इसके लिए सख्त से सख्त फैसला लेने से गुरेज नहीं करना है. वैसे भी एमसीडी चुनावों में आम आदमी पार्टी की हार से पार्टी और केजरीवाल दोनों ने जनता से सीधे जुड़े मुद्दों पर अपनी रणनीति बदली है.

ऐसे में एक ही हफ्ते के अंदर मैक्स शालीमार बाग हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द करने का हैरतअंगेज फैसला लिया गया. दिल्ली सरकार का बयान था- “मैक्स अस्पताल में जो हुआ, वो बर्दाश्त से बाहर है. इस अस्पताल को ईडब्ल्यू कोटा, अतिरिक्त बेड को लेकर कई मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं. वहां भी इस अस्पताल की गलती पाई गई है. ऐसे में शालीमार बाग स्थित मैक्स अस्पताल का दिल्ली सरकार लाइसेंस रद्द करती है”. दिलचस्प बात थी कि इस हॉस्पिटल में 80 बेड्स की मंजूरी थी जिसे बढ़ाकर 250 करने की इजाजत इसी जनवरी में दी गई थी. हालांकि केजरीवाल को पता था कि ये आसान फैसला नहीं है. डॉक्टर्स और मेडिकल फ्रेटर्निटी विरोध में जा सकती है. तभी तो अपने एक और ट्वीट में केजरीवाल ने डॉक्टर्स की मेहनत की तारीफ करते हुए कॉरपोरेट हॉस्पिटल्स पर निशाना साधा.

फैसला होते ही मेडिकल एसोसिएशन को छोड़कर हर कोई तारीफ करने लगा. चूंकि आम लोग भुक्तभोगी थे. कई बार बड़ा एमाउंट ऐसे हॉस्पिटल्स को चुका चुके थे तो उनका खुश होना लाजिमी था. ऐसे में दिल्ली बीजेपी अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सवाल उठाए भी तो उनकी पार्टी ने ही उनका साथ छोड़ दिया. उलटे बीजेपी को लगा कि सारा क्रेडिट कहीं केजरीवाल के हिस्से में ना चला जाए तो हरियाणा सरकार ने डेंगू केस में मृत बच्ची के पिता से लाखों रुपए वसूलने के मामले में फोर्टिस हॉस्पिटल के जमीन लीज खत्म करने की पहल कर दी. साफ था कि अरविंद केजरीवाल ने मेडिकल एसोसिएशन की नाराजगी का जोखिम मोल लेकर एक बडा फैसला किया, जिसके चलते बीजेपी को भी उससे कड़ा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा. इससे ये भी पता चला कि केजरीवाल की छवि एक बार फिर से मजबूत नेता के तौर पर उभरी है जो जनता के हित में कड़े फैसले ले सकता है. मैक्स अस्पताल फैसले के खिलाफ अदालत जाएगी और वहां फैसला जो भी हो लेकिन केजरीवाल ने एक तरफ टेस्ट और फीस के नाम आम लोगों का पैसा चूसने वाले अस्पतालों को कड़ा संदेश दे दिया है और दूसरी तरफ आप के कार्यकर्ताओं को भी जनता के बीच नई एनर्जी से जाने का मौका.

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