Indra Sawhney on Narendra Modi Upper Caste Reservation: नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को 10 परसेंट आरक्षण देने के लिए लोकसभा और राज्यसभा से पास संविधान संशोधन को मशहूर वकील इंदिरा साहनी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती हैं. इंदिरा साहनी वो वकील हैं जिन्होंने नरसिम्हा राव के 10 परसेंट सवर्ण आरक्षण के खिलाफ केस किया था और जिस केस में सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों की संविधान पीठ ने ऐतिहासिक फैसला दिया था जिसे मंडल कमीशन जजमेंट भी कहा जाता है. इस केस में वीपी सिंह सरकार के 27 परसेंट ओबीसी आरक्षण को जारी रखा गया था लेकिन नरसिम्हा राव के 10 परसेंट सवर्ण आरक्षण को असंवैधानिक करार देकर खारिज कर दिया गया था.
नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार के द्वारा आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को 10 परसेंट आरक्षण के फैसले के खिलाफ मशहूर वकील इंदिरा साहनी सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकती हैं. इंदिरा साहनी ही वो वकील हैं जिनके केस को मंडल कमीशन केस के नाम से जाना जाता है और जिस केस में 9 जजों की संविधान पीठ ने वीपी सिंह के ओबीसी आरक्षण और पीवी नरसिम्हा राव के सवर्ण आरक्षण पर ऐतिहासिक फैसला देते हुए आर्थिक आधार पर आरक्षण को नकारते हुए कुल आरक्षण की सीमा 50 परसेंट तय कर दी थी. मोदी सरकार के सवर्ण आरक्षण बिल को लोकसभा और राज्यसभा ने पास कर दिया है.
अंग्रेजी समाचार चैनल न्यूज 18 से बातचीत में 67 साल की वकील इंदिरा साहनी ने कहा है कि वो नरेंद्र मोदी सरकार के सवर्णों को 10 परसेंट आरक्षण देने के फैसले की संवैधानिक समीक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट जाने का मन बना रही हैं. इंदिरा साहनी ने नरसिम्हा राव सरकार द्वारा 1991 में आर्थिक आधार पर गरीब सवर्णों को 10 परसेंट आरक्षण देने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में केस किया था जो केस पहले दो जज की बेंच, फिर तीन जज की बेंच, फिर पांच जज की बेंच, फिर सात जज की बेंच और आखिर में 9 जजों की बेंच में जाकर तय हुआ. इंदिरा साहनी के इस केस को देश के कानूनी इतिहास में मंडल कमीशन जजमेंट के नाम से जाना जाता है और आरक्षण पर विवाद के तमाम मामलों में कोर्ट इस केस के फैसले के आधार पर अपने फैसले सुनाते रहे हैं.
न्यूज 18 से बातचीत में इंदिरा साहनी ने कहा- “इसे कोर्ट में चुनौती दी जाएगी. मुझे सोचने दीजिए कि क्या मैं इस संविधान संशोधन के खिलाफ केस करना चाहती हूं.. लेकिन इससे आरक्षण की सीमा 60 परसेंट तक बढ़ जाएगी और इससे सामान्य कैटेगरी के लोगों को नुकसान होगा. ये संविधान संशोधन कोर्ट से खारिज हो जाएगा.” साहनी ने कहा कि मोदी सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 में जो संशोधन किया है उसे सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया जाएगा जैसा 1992 में हुआ था. उन्होंने कहा कि ये संविधान की मूल भावना के खिलाफ है.
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