विपक्ष ने दिखाये तेवर, डिप्टी स्पीकर पद दो नहीं तो चुनाव लड़कर स्पीकर पद छीन लेंगे!

नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट 4 जून को आने के बाद, एनडीए सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने कार्यभार को संभाल लिये हैं. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के मुताबिक 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा. 9 दिवसीय विशेष सत्र में स्पीकर […]

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विपक्ष ने दिखाये तेवर, डिप्टी स्पीकर पद दो नहीं तो चुनाव लड़कर स्पीकर पद छीन लेंगे!

Aniket Yadav

  • June 15, 2024 8:27 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago
  1. नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव 2024 का रिजल्ट 4 जून को आने के बाद, एनडीए सरकार के सभी मंत्रियों ने अपने कार्यभार को संभाल लिये हैं. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू के मुताबिक 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा और 3 जुलाई को समाप्त होगा. 9 दिवसीय विशेष सत्र में स्पीकर का चुनाव होगा और नये सदस्य शपथ लेंगे. इस बार इंडिया गठबंधन ने शानदार वापसी करते हुए 234 सीटें जीती हैं लिहाजा सदन में विपक्ष की बढ़ी हुई ताकत भी दिखेगी. उससे पहले ही गठबंधन ने तेवर दिखाने शुरू कर दिये हैं और सत्ता पक्ष को  साफ संकेत दे दिया है कि डिप्टी स्पीकर पद दीजिए नहीं तो स्पीकर के लिए अपना उम्मीदवार उतार देंगे. यदि विपक्ष को ये पद नही मिला तो विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतारेगा.

    उपाध्यक्ष पद विपक्ष को देने की परंपरा
    भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू जब चुनाव लड़कर सत्ता में आए, तब उन्होंने बिना किसी विरोध के डिप्टी स्पीकर का पद विपक्षी नेता और पंजाब की अकाली दल पार्टी के सांसद सरदार हुकम सिंह को दे दिया था. तभी से देश में परंपरा चलती आ रही है कि सरकार जिसकी भी हो लेकिन डिप्टी स्पीकर का पद विपक्ष के पास ही रहेगा. साल 2004-2014 तक मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री कार्यकाल में भी ये पद विपक्षी दल बीजेपी के ही पास था. लेकिन बीजेपी ने वर्षों से चली आ रही परंपरा को तोड़ दिया और नरेंद्र मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान एनडीए के सहयोगी दल एआईएडीएमके के सांसद एम.थंबीदुरई को 2014-19 तक डिप्टी स्पीकर बनाया गया.

    साल 2019 से खाली पड़ा है उपाध्यक्ष का पद2019 लोकसभा चुनाव के बाद यह पद किसी को नहीं दिया और लोकसभा में ये पोस्ट खाली पड़ी रही. विपक्ष कमजरो था, नेता विरोधी दल का भी पद नहीं ले पाया, ऐसे में वह डिप्टी स्पीकर का पद कैसे मांगता. लेकिन 234 सीट जीतने के बाद इस बार वह ताल ठोक रहा है और डिप्टी स्पीकर का पद मांग रहा है. न देने पर स्पीकर का चुनाव लड़ने की चुनौती दे रहा है.
  2. पूर्व लोकसभा महासचिव पीडीटी आचार्य क्या बोलेनिवर्तमान 17वीं लोकसभा में डिप्टी स्पीकर के बिना काम करना अभूतपूर्व था, नियमानुसार अध्यक्ष चुनने के तुरंत बाद लोकसभा के डिप्टी स्पीकर का चुनाव होना जरूरी है. डिप्टी स्पीकर का पद एक संवैधानिक पद है, परंपरा के अनुसार यह विपक्ष के पास जाता है. संसदीय प्रणाली में डिप्टी स्पीकर का पद एक महत्वपूर्ण स्थान की गारंटी देता है. किसी पद की नियुक्ति न करना असंवैधानिक था.

    बीजेपी विपक्ष को डिप्टी स्पीकर का पद नही देगी तो…
    यदि लोकसभा के डिप्टी स्पीकर पद पर बीजेपी और विपक्ष में सहमति नही बनती है और बीजेपी इस को खाली छोड़ती है या अपना उम्मीदवार खड़ा करती है. तब विपक्ष लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपना उम्मीदवार मैदान में उतार देगा. विपक्ष ने इशारों-इशारों में सत्ता पक्ष को आगाह कर दिया है कि यदि डिप्टी स्पीकर नही दिया तो अध्यक्ष के लिए दिक्कत हो सकती है. डिप्टी स्पीकर पद नही मिलने पर विपक्ष कोशिश करेगा की एनडीए के सहयोगी दलों टीडीपी या जेडीयू में से किसी पार्टी के सदस्य को लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए खड़ा कर दिया जाए. पूरा विपक्ष मिलकर उस टीडीपी या जेडीयू प्रत्याशी को वोट करेगी. ऐसा में एनडीए गठबंधन में फूट पड़ सकती है. हो सकता है कि सरकार भी गिर जाय. विपक्ष यदि इस कोशिश में सफल रहता है तो एक तीर से दो निशाने हो जाएंगे.

    अध्यक्ष की गैर मौजूदगी में उपाध्यक्ष संभालता है जिम्मेदारी

    बता दें कि लोकसभा को सुचारु रूप से चलाने के लिए डिप्टी स्पीकर का होना बेहद जरूरी होता है. ये पद तब और महत्वपूर्ण होता है जब लोकसभा अध्यक्ष संसद में मौजूद ना हो. ऐसी स्थिति में डिप्टी स्पीकर ही अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालता है. उस समय डिप्टी स्पीकर को लोकसभा अध्यक्ष जितनी ही शक्तियां प्राप्त होती हैं.

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