ओडिशा में अध्यक्ष सहित पूरे मंत्रिमंडल ने दिया इस्तीफा, जानिए क्या है रणनीति

भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष समेत राज्य के सभी 20 मंत्रियों ने शनिवार को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। नवीन पटनायक के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला मौका है जब अध्यक्ष सहित पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दिया है। रविवार को कैबिनेट का नया शपथ ग्रहण समारोह हो आयोजित होगा। ऐसे में नए कैबिनेट […]

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ओडिशा में अध्यक्ष सहित पूरे मंत्रिमंडल ने दिया इस्तीफा, जानिए क्या है रणनीति

Pravesh Chouhan

  • June 4, 2022 4:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

भुवनेश्वर। ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष समेत राज्य के सभी 20 मंत्रियों ने शनिवार को कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया है। नवीन पटनायक के मुख्यमंत्री बनने के बाद यह पहला मौका है जब अध्यक्ष सहित पूरे मंत्रिमंडल ने इस्तीफा दिया है। रविवार को कैबिनेट का नया शपथ ग्रहण समारोह हो आयोजित होगा। ऐसे में नए कैबिनेट में किसे शामिल किया जाएगा इसको लेकर चर्चा शुरू हो गई है।

ऐसे दिया इस्तीफा

सबसे पहले स्पीकर सूर्यनारायण पात्रा ने स्पीकर पद से इस्तीफा दे दिया है। पात्रा ने अपना इस्तीफा विधानसभा के उपाध्यक्ष को भेजा है। इसके बाद मंत्रियों के इस्तीफे का सिलसिला शुरू हो गया और एक के बाद एक मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया। मंत्रियों के इस्तीफे के बाद मुख्यमंत्री नवीन पटनायक नए मंत्रिमंडल का गठन करेंगे।

कल 11.45 बजे होगा शपथ ग्रहण समारोह

बताया गया है कि नए कैबिनेट का शपथ ग्रहण समारोह रविवार को 11:45 बजे होगा। जानकारी के अनुसार त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और नगर निगम व नगर निकाय चुनाव में मिली सफलता के बाद अब पार्टी की नजर 2024 में होने वाले आम चुनाव पर है। ऐसे में पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए पार्टी के अधिक कुशल नेताओं को दायित्व दिया जाएगा।

क्या है रणनीति

गौरतलब है कि 2019 के आम चुनाव से पहले नवीन पटनायक ने 2017 के पंचायत चुनाव के बाद कैबिनेट में बड़ा बदलाव किया था। इस रणनीति को फिर से लागू करने को लेकर चर्चा हो रही है। बीजद की यह रणनीति 2019 में सफल रही और बीजद 100 से अधिक सीटें जीतने में सफल रही।

हालांकि साल 2019 में भी 2012 की तरह एमपी की एकतरफा सीटें नहीं मिल सकीं। इस बार बीजद ने इस बार ज्यादा से ज्यादा सांसद और विधायक जीतने की रणनीति बनानी शुरू कर दी है। इसके लिए जिले, निर्वाचन क्षेत्र, संसदीय क्षेत्र में पार्टी नेताओं को पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी देने के मामले पर भी चर्चा हो रही है।

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