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IIM Bangalore Plea on Citizenship Amendment Bill 2019: आईआईएम बेंगलौर से विपक्ष को लिखा गया पत्र, उठाई नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध करने की मांग

IIM Bangalore Plea on Citizenship Amendment Bill 2019: आईआईएम बेंगलौर से विपक्ष को पत्र लिखा गया है और उसमें नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध करने की मांग उठाई गई है. संकाय का विचार है कि नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 'भारतीय गणराज्य' के संस्थापक सिद्धांतों के विरुद्ध है, और अपेक्षित लाभार्थियों को लाभान्वित करने के लिए अत्यधिक संभावना नहीं है.

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IIM Bangalore Plea on Citizenship Amendment Bill 2019
  • December 9, 2019 12:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. भारतीय प्रबंधन संस्थान, आईआईएम बैंगलोर की संकाय ने संसद सदस्यों को पत्र लिखकर सोमवार को लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 का विरोध करने की अपील की है. संकाय का विचार है कि यह भारत गणराज्य के संस्थापक सिद्धांतों के खिलाफ है और अत्यधिक लाभान्वितों को भी लाभ की संभावना नहीं है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 9 दिसंबर 2019 को यानि आज लोकसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक पेश करने के लिए तैयार हैं. यह विधेयक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने के लिए धार्मिक उत्पीड़न से बचना चाहता है. अमित शाह छह दशक पुराने नागरिकता अधिनियम में संशोधन करने के लिए विधेयक पेश करेंगे और बाद में दिन में, इसे व्यापार की लोकसभा सूची के अनुसार चर्चा और पारित करने के लिए लिया जाएगा.

पत्र में कहा गया है, कि भारतीय प्रबंधन संस्थान बैंगलोर के अधोहस्ताक्षरी छात्र, कर्मचारी और फैकल्टी उन्हें तत्परता के साथ लिख रहे हैं. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक (सीएबी) को मंजूरी दे दी गई है. आईआईएम बैंगलोर के सदस्यों ने कहा, सीएबी हमारे गणतंत्र के बुनियादी संस्थापक सिद्धांत के खिलाफ है – धार्मिक विश्वासों की परवाह किए बिना कानून के समक्ष समानता. आईआईएम बैंगलोर के संकाय ने कहा, सीएबी ने एक विस्तारित राष्ट्रव्यापी नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के वादे के साथ हमारे दो सौ मिलियन से अधिक मुस्लिम नागरिकों के मन में भय फैलाया है.

इसमें यह भी कहा गया है कि भारत की महान शक्ति अपनी विविधता में निहित है. अपने मूल सम्मान के दो सौ मिलियन साथी भारतीयों को भारत को महान या मजबूत नहीं बनाएंगे. इसके बजाय, यह एक देश की नींव सदा संघर्ष में रखेगा. सीएबी का विरोध करने के लिए सांसदों से आग्रह करते हुए, पत्र में लिखा गया है, सीएबी तमिलनाडु से लेकर असम तक भारत के विशाल स्वात में जातीय और सांप्रदायिक असंतोष को भड़काएगा, जबकि यहां तक ​​कि यह अपेक्षित लाभार्थियों को भी लाभ की संभावना नहीं है. हम आपसे आग्रह करते हैं. संसद में सीएबी का विरोध करना. संकाय ने यह कहते हुए हस्ताक्षर किया, आने वाली पीढ़ी हमारे गणतंत्र के संस्थापक सिद्धांतों की रक्षा के लिए 2019 में उठाए गए रुख को सलाम करेगी.

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