राहुल गांधी ने कह दिया है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में वो नरेंद्र मोदी और बीजेपी सरकार को केंद्र से हटाने के लिए किसी महिला प्रधानमंत्री कैंडिडेट का भी समर्थन कर सकते हैं. खबर निकली है कि प्रियंका गांधी अगले साल सोनिया गांधी की रायबरेली सीट से चुनाव लड़ सकती हैं. सवाल ये कि क्या ममता बनर्जी या मायावती के बदले प्रियंका गांधी भी कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की महिला पीएम कैंडिडेट हो सकती हैं ?
नई दिल्ली. राहुल गांधी ने जब से ये कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली भाजपा और एनडीए सरकार को हराने के लिए वो महिला प्रधानमंत्री तक को समर्थन देने के लिए तैयार हैं तब से स्वाभाविक तौर पर उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी- बसपा अध्यक्ष मायावती और पश्चिम बंगाल की सीएम और तृणमूल कांग्रेस- टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी के नाम तेजी से आगे बढ़े हैं. ममता बनर्जी दिल्ली आईं थीं और सोनिया और राहुल से मिलकर उन्होंने कहा कि उनके लिए प्रधानमंत्री बनना कोई एजेंडा नहीं है, उनके एजेंडे पर बीजेपी को हराना है.
बात वही जो राहुल गांधी ने कही- जो कोई भी मोदी और बीजेपी को हराएगा, हम उसका समर्थन करेंगे. इस बात का बाकी कोई मतलब ना भी निकले तो एक मतलब ये तो निकल ही रहा है कि राहुल गांधी 2019 में खुद के अलावा भी किसी और को प्रधानमंत्री बनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार हैं. कांग्रेस पार्टी के लिए तो राहुल गांधी ही प्रधानमंत्री कैंडिडेट हैं भले ही गठबंधन सरकार बनाने की सूरत में उन्हें राहुल की दावेदारी की कुर्बानी देकर किसी और को पीएम बनाना पड़े.
कांग्रेस की सर्वोच्च बॉडी कांग्रेस वर्किंग कमिटी की शनिवार को फिर से मीटिंग है और उस मीटिंग से एक दिन पहले सूत्रों के हवाले से बाहर खबर आई है कि राहुल गांधी 2019 का चुनाव अपनी पुरानी और पारंपरिक अमेठी सीट से ही लडे़ंगे लेकिन रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी लड़ेंगी या नहीं, या उनकी जगह पर प्रियंका गांधी लड़ेंगी, ये तय नहीं है.
मतलब ये कि अब तक अमेठी और रायबरेली में मां और भाई के चुनावी प्रबंधन देख रहीं प्रियंका गांधी की सक्रिय राजनीति में एंट्री हो सकती है और वो रायबरेली सीट से लड़ सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो क्या राहुल गांधी की कांग्रेस से प्रियंका गांधी भी ‘महिला प्रधानमंत्री’ की दावेदार या उम्मीदवार हो सकती हैं.
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ये बात बहुत साफ है कि राहुल गांधी ने जब ये कहा तो जाहिर तौर पर ये सोच-समझकर कहा कि उनकी पार्टी कांग्रेस के पास अकेले इतनी सीटें नहीं होंगी कि वो अपना प्रधानमंत्री बना पाए और अगर सहयोगी या साथ देने के लिए तैयार पार्टियां उनके नाम पर तैयार ना हों तो उस स्थिति में वो नरेंद्र मोदी या बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए किसी और को प्रधानमंत्री बनाने के लिए भी तैयार हो सकते हैं. केंद्र में इस तरह की गठबंधन सरकार में कांग्रेस के समर्थन से छोटी पार्टियों के प्रधानमंत्री बने चंद्रशेखर हों या इंद्र कुमार गुजराल या फिर एचडी देवगौड़ा, कोई भी अपने राज्य में मुख्यमंत्री बनने के या तो लायक नहीं थे या लालायित नहीं थे.
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ममता बनर्जी का मामला ऐसा नहीं है. वो बंगाल छोड़कर दिल्ली आएंगे वो भी किसी गठबंधन सरकार के लिए, ये राजनीतिक अक्लमंदी नहीं होगी. मायावती इस केस में फिट बैठ सकती हैं जिनके पास उत्तर प्रदेश में ना ज्यादा विधायक हैं और ना संसद में. वो अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की चुनावी राजनीति को छोड़कर दिल्ली की कुर्सी पर नजर डाल सकती हैं.
अगर कांग्रेस प्रियंका गांधी को घोषित या अघोषित तरीके से महिला प्रधानमंत्री कैंडिडेट के तौर पर रायबरेली से लड़ा दे तो चुनावी रंग और माहौल बदल सकता है. ये कांग्रेस में सबको पता है. कांग्रेस के बाहर भी सबको पता है. राहुल गांधी को पता है या नहीं, ये आने वाले समय में पता चल जाएगा.