Haryana Maharashtra Election Congress Rebel Crisis: महाराष्ट्र और हरियाणा में विधानसभा चुनाव के नामांकन का 4 अक्टूबर को आखिरी दिन है और दोनों राज्यों में बीजेपी की अगुवाई में एनडीए चुनाव प्रचार में पूरी ताकत से उतर चुका है. लेकिन कांग्रेस के नेता चुनाव में बीजेपी से लड़ने के बदले आपस में ही लड़ रहे हैं. हरियाणा के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने उनके मुताबिक जिताऊ 15 कैंडिडेट को टिकट नहीं देने के खिलाफ पार्टी के सारे पदों से इस्तीफा देकर दिल्ली में सोनिया गांधी के आवास 10 जनपथ पर भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ प्रदर्शन किया तो अब महाराष्ट्र में मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम बगवात पर उतर आए हैं और साफ कर दिया है कि वो महाराष्ट्र चुनाव में प्रचार नहीं करेंगे. संजय निरुपम ने एक कैंडिडेट को टिकट देने कहा था जिसे नहीं मिला. उन्होंने कहा है कि मुंबई में 3-4 सीट छोड़कर बाकी जगह कांग्रेस उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो जाएगी. निरुपम ने आरोप लगाया है कि सोनिया गांधी के करीबी बड़े नेता राहुल गांधी के बढ़ाए लोगों को परेशान कर रहे हैं और ऐसा ही चलता रहा तो वो कांग्रेस छोड़ देंगे. निरुपम ने कहा कि राहुल गांधी को बतौर कांग्रेस अध्यक्ष फेल साबित करने की साजिश रचने वाले बड़े नेता आज कांग्रेस चला रहे हैं.
नई दिल्ली. हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर की बगावत के बाद अब महाराष्ट्र में मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरूपम भी बागी हो गए हैं. राहुल गांधी के करीबी और उनके बढ़ाए दोनों नेताओं का दर्द एक जैसा है, पसंद के लोगों का टिकट कटना. चुनाव से कुछ समय पहले तक प्रदेश अध्यक्ष रहे अशोक तंवर कह रहे हैं कि 15 ऐसे कैंडिडेट को टिकट नहीं मिला जो जीतने की हालत में थे. संजय निरुपम का दर्द एक सीट पर टिकट का है और उनके इलाके में बाकी सीटों पर उनसे पूछने तक की रस्म नहीं निभाने का है. अशोक तंवर ने कांग्रेस पार्टी के सारे पदों से इस्तीफा देते हुए सोनिया गांधी के आवास के बाहर प्रदर्शन किया और भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ नारेबाजी भी की. संजय निरुपम ने गुरुवार को ट्वीट किया था कि लगता है कि पार्टी को उनकी सेवा की जरूरत नहीं और शुक्रवार को खुलकर कहा कि दिल्ली में बैठे बड़े नेताओं को जमीन की समझ नहीं है. निरुपम ने सोनिया गांधी की कोर टीम के बड़े नेताओं को राहुल गांधी के करीबियों को निपटाने का आरोप भी लगाया और कहा है कि अगर ये सब कहना अनुशासनहीनता है तो पार्टी एक्शन ले सकती है.
महाराष्ट्र कांग्रेस में चुनाव से पहले मिलिंद देवड़ा और संजय निरूपम की गुटबाजी: महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव से पहले संजय निरुपम को हटाकर मिलिंद देवड़ा को मुंबई कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था. लोकसभा चुनाव में शर्मनाक हार के बाद उन्होंने भी इस्तीफा दे दिया और सितंबर की शुरुआत में एकनाथ गायकवाड़ को अध्यक्ष बनाया गया है. टिकट बंटवारे में संजय निरुपम की एक ना चली और एक वर्सोवा सीट का कैंडिडेट भी वो सेट नहीं कर सके. इससे बिगड़े और गुरुवार को ट्वीट कर दिया कि पार्टी को उनकी सेवा की जरूरत नहीं है और एक टिकट भी उनके कहने पर नहीं दिया गया है इसलिए वो चुनाव प्रचार नहीं करेंगे. शुक्रवार को मीडिया के सामने आए तो सोनिया गांधी के करीबी बड़े नेताओं की जमीनी समझ पर सवाल उठाया और कहा कि ये चमचे लोग चापलूसी करके राहुल गांधी के खिलाफ साजिश कर रहे हैं. जब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष थे तो उनको फेल करने की साजिश रचने वाले आज पार्टी चला रहे हैं.
उन्होंने कहा कि उनके जिले की सीट पर पूछना तो दूर एक सीट पर कहने के बाद भी टिकट नहीं दिया और ऐसे-ऐसे लोगों को टिकट दिया है कि 3-4 सीट छोड़कर पूरी मुंबई में कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाएगी. 2 ऐसे नेता को टिकट दिया गया है जो 30 सितंबर को बीजेपी में शामिल होने वाले थे जिससे साफ है कि पार्टी में लॉयल्टी की कोई कीमत नहीं है और बार्गेन करने वाले टिकट ले रहे हैं. मुंबई में महाराष्ट्र विधानसभा की 288 में 38 सीटें हैं. संजय निरूपम ने कहा है कि अभी तो वो पार्टी में हैं लेकिन ऐसा ही चला तो कांग्रेस छोड़ देंगे. चुनाव प्रचार तो बिल्कुल नहीं करेंगे और अब मीडिया से 24 अक्टूबर को बात करेंगे जब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आएंगे.
It seems Congress Party doesn’t want my services anymore. I had recommended just one name in Mumbai for Assembly election. Heard that even that has been rejected.
As I had told the leadership earlier,in that case I will not participate in poll campaign.
Its my final decision.— Sanjay Nirupam (@sanjaynirupam) October 3, 2019
हरियाणा में चुनाव से पहले भूपिंदर सिंह हुड्डा की ग्रांड वापसी से अशोक तंवर बागी: हरियाणा में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद से अशोक तंवर की विदाई सितंबर के पहले सप्ताह में हुई वो भी पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा के दबाव में. कुमारी शैलजा प्रदेश अध्यक्ष बनीं और हुड्डा को चुनाव समिति चेयरमैन के साथ-साथ विधायक दल का नेता बनाकर बिना कहे सीएम कैंडिडेट के तौर पर पेश किया गया. हुड्डा ने टिकट बंटवारे में किसी की ना सुनी. पांच साल से ज्यादा समय तक प्रदेश में कांग्रेस की कमान और संगठन संभाल रहे अशोक तंवर की चुनाव से ठीक एक महीना पहले अध्यक्ष पद से विदाई और टिकट में 15 नाम देने के बाद भी एक को टिकट नहीं देना ज्यादा गंभीर समस्या है. नतीजा भी गंभीर हुआ.
तंवर सीधे गांधी जयंती पर 10 जनपथ पहुंच गए और सोनिया गांधी के घर के बाहर प्रदर्शन किया, भाषण दिया. बोले कि निकाय चुनाव में पार्टी के सिंबल पर नहीं लड़ने की साजिश रचने वाले लोग आज टिकट बांटकर कांग्रेस को बर्बाद कर रहे हैं. नाराज सिर्फ तंवर नहीं हैं. पूर्व मंत्री किरण चौधरी और कैप्टन अजय यादव भी हैं पर ऐसा लगता है कि हार या जीत की जवाबदेही के साथ सोनिया गांधी ने हुड्डा को खुली छुट दे दी है.