बिहार। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतराम मांझी भगवान राम पर अपने लगातार बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. हाल ही में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक मांझी ने पुराने विचार को दोहराया कि मैं भगवान राम को नहीं मानता. महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास की कविताओं में राम केवल एक काल्पनिक पात्र थे. […]
बिहार। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतराम मांझी भगवान राम पर अपने लगातार बयानों को लेकर सुर्खियों में बने रहते हैं. हाल ही में हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक मांझी ने पुराने विचार को दोहराया कि मैं भगवान राम को नहीं मानता. महर्षि वाल्मीकि और तुलसीदास की कविताओं में राम केवल एक काल्पनिक पात्र थे. मांझी के इस बयान के बाद बिहार के राजनीतिक दलों ने मुखर होकर विरोध जताया है. अब मांझी हरियाणा में भी घिरते नजर आ रहे हैं.
अनिल विज ने कहा कि मांझी भारत के इतिहास और संस्कृति को नहीं समझते हैं. भगवान राम सभी के रोम रोम में बसे हुए हैं. इस तरह का बयान देना अपमान है. यह कहना ठीक नहीं है कि देश में इतनी बड़ी संख्या में हिंदू रहते हैं. अनिल विज ने कहा कि मांझी धरती का भार हैं.
मांझी के बयान पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश उपाध्यक्ष मिथिलेश तिवारी ने कड़ी आपत्ति जताई थी.उन्होंने कहा कि मांझी को अपने दिमाग का इलाज करवाना चाहिए. मिथिलेश ने कहा कि अगर मांझी मर्यादा पुरुषोत्तम को नहीं मानते हैं तो वह अपने नाम के साथ राम क्यों लिखते हैं?
उन्हें अपना नाम बदल लेना चाहिए. उन्होंने कहा कि जो राम को नहीं मानता वह भारत की सभ्यता और संस्कृति को नहीं जानता. बीजेपी विधायक हरिभूषण ठाकुर बचौल ने कहा था कि मांझी के नाम पर राम को हटाकर उन्हें राक्षस बना देना चाहिए. गौरतलब है कि 14 अप्रैल को मांझी ने कहा था कि मैं गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि को मानता हूं, लेकिन मैं राम को नहीं मानता. राम भगवान नहीं थे.वह गोस्वामी तुलसीदास और वाल्मीकि के काव्य चरित्र थे.