जाट आंदोलन को लेकर खट्टर सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है. हरियाणा के गृह सचिव एस.एस. प्रसाद ने बताया कि हरियाणा सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लेगी. हरियाणा सरकार 11 जिलों में दर्ज किए गए कुल 70 केस वापस लेगी. केस वापस लेने को लेकर हरियाणा सरकार ने जिले के सभी उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी थी. बताते चलें कि सरकार के इस फैसले से करीब 850 आरोपियों को राहत मिलेगी. बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जताई है.
चंडीगढ़ः जाट आंदोलन को लेकर खट्टर सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है. हरियाणा के गृह सचिव एस.एस. प्रसाद ने बताया कि हरियाणा सरकार जाट आरक्षण आंदोलन के दौरान दर्ज केस वापस लेगी. हरियाणा सरकार 11 जिलों में दर्ज किए गए कुल 70 केस वापस लेगी. केस वापस लेने को लेकर हरियाणा सरकार ने जिले के सभी उपायुक्तों से रिपोर्ट मांगी थी. बताते चलें कि सरकार के इस फैसले से करीब 850 आरोपियों को राहत मिलेगी.
गृह सचिव एस.एस. प्रसाद ने बताया कि सरकार के इस फैसले को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के दौरे से जोड़कर न देखें. उन्होंने कहा कि इसके लिए पिछले काफी वक्त से कार्यवाही चल रही थी. दूसरी ओर ‘बलिदान दिवस’ को लेकर गृह सचिव ने कहा कि हरियाणा सरकार ने पूरी पुख्ता तैयारियां कर ली हैं. इसके लिए सरकार ने केंद्र सरकार से मदद मांगी है. उन्हें उम्मीद है कि ‘बलिदान दिवस’ पर आयोजित कार्यक्रम शांतिपूर्वक संपन्न हो जाएंगे.
दूसरी ओर बीजेपी सांसद राजकुमार सैनी ने सरकार के इस फैसले पर नाराजगी जाहिर की है. उन्होंने कहा कि सरकार ने दबाव में घुटने टेके हैं. ऐसे फैसले करने से भविष्य में ज्यादा माहौल खराब होगा. किसी के दबाव में आकर ऐसे केस वापस नहीं लेने चाहिए, इससे भविष्य में ज्यादा उत्पात होगा. सैनी ने कहा कि सरकार को यह फैसला लेने से पहले उन लोगों से पूछना चाहिए था जिनके घर जले हैं. सांसद ने सवाल उठाते हुए पूछा कि सरकार के इस फैसले से अदालत के क्या मायने रह जाएंगे? सैनी ने कहा कि सरकार को इसपर पुनर्विचार करना चाहिए.
जाट आंदोलन
अखिल भारतीय जाट आरक्षण समिति ने फरवरी 2017 में आरक्षण की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया था. आंदोलन को देखते हुए राज्य सरकार ने बड़ी तैयारियां की थीं लेकिन रोहतक में सड़कों पर उतरे आंदोलनकारी हिंसक हो गए. 14 फरवरी को रोहतक के सांपला में जाट आरक्षण को लेकर सम्मेलन बुलाया गया. सम्मेलन के फौरन बाद आंदोलनकारियों ने रोहतक-दिल्ली हाईवे को जाम कर दिया. आंदोलन आग की तरह तेजी से फैलने लगा. अलग-अलग जिलों से हिंसक वारदातों की खबरें आने लगीं. हिंसक आंदोलन में 30 से अधिक लोगों की मौत हुई. कई महिलाओं से रेप की भी खबरें आईं और करोड़ों की सरकारी-निजी संपत्ति नष्ट हो गई.
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