हालांकि मान तो ये पहले चरण के चुनावों से पहले ही ये लिया गया था कि बीजेपी गुजरात में फिर से सरकार बनाने जा रही है, लेकिन पहले चरण की वोटिंग के बाद इस अनुमान पर पुख्ता मोहर जैसी लग गई है कि बीजेपी को कम से कम इस बार तो कोई गुजरात से हटाने वाला नहीं. आखिर इतने बड़े दावे के पीछे कौन है और क्यों ये माना जा सकता है कि बीजेपी ही जीत रही है, ऐसे सवाल आपके मन में भी ये लाइनें पढ़कर उठ रहे होंगे. आप सोच रहे होंगे कि ना तो पहले चरण के एक्जिट पोल के अभी नतीजे ही आए और ना ही किसी और चैनल ने कोई नया ओपीनियन पोल दिया तो फिर ये नतीजा कैसे निकाला जा सकता है कि गुजरात में एक बार फिर से बीजेपी सरकार बनने जा रही है? दरअसल इसके अनुमान के पीछे है वो ताकत, जो ज्यादा जमीनी स्तर पर काम करती है, आम लोगों को बीच काम करती है और शायद ही कभी फेल साबित होती हो.
ये ताकत है सटोरियों की, सट्टा बाजार में भले ही क्रिकेट मैच के नतीजों में उलट नतीजे आ जाएं लेकिन माना जाता है कि चुनावी नतीजों में उनके अनुमान मुकम्मल अनुमान के काफी आसपास साबित होते हैं. साफ है कि सट्टा बाजार के रुझान से चुनावी हवा का रुख किस तरफ मौजूद है, इसे साफ भांपा जा सकता है. योगी के सत्ता में आने का रास्ता देने वाला यूपी चुनाव के नतीजे इसे बेहतर बताते हैं, भले ही सट्टा बाजार ने योगी को 30-35 सीटॆं कम दी थीं, लेकिन लोगों को ये अनुमान बखूबी हो गया था कि बीजेपी .यूपी में सरकार बनाने जा रही है.
दिलचस्प बात ये है कि यूपी के बारे में एबीपी-लोकनीति-सीएसडीएस का जो ओपीनियन पोल था उसका लब्बोलुआब ये था कि यूपी में सपा फिर से सरकार बनाने जा रही है, ऐसे में सट्टा बाजार ही था जिसने इस सम्भावना को साफ खारिज कर दिया था. दरअसल सट्टा बाजार में जो बोली लगाई जाती है, उसे हर आदमी अपने अनुमान के आधार पर, अपने इलाके में माहौल और रुख को देखकर लगाता है, चूंकि इसमें उसका खुद का पैसा फंसा होता है, तो वो झूठा अनुमान भी नहीं लगा सकता. ये अलग बात है कि उसका खुद का आकलन गलत साबित हो लेकिन अलग अलग इलाकों से अलग अलग तबकों के हजारों लाखों लोग जो सट्टा खेलते हैं, वो अपने अपने अनुमान के हिसाब से एक सामूहिक औसत भाव सट्टे का तय कर देते हैं. जो बाजार में हर पार्टी को उसकी औकात बता देता है. चूंकि इसमें गोलमाल की गुंजाइश ना के बराबर है, इसलिए ना चाहते हुए भी मीडिया ही नहीं राजनीतिक पार्टियां भी तबज्जो देती हैं. ऐसे में अगर सट्टा बाजार बीजेपी के आने की धमक बता रहा है, तो इस दावे की सम्भावनाएं काफी गुना बढ़ जाती हैं.
सट्टा बाजार बीजेपी को 107 से 110 सीटें दे रहा है और कांग्रेस को 70 से 72 सीटें दे रहा है. 100 सीटों के लिए ये रेट 1.50 रुपए है, 125 सीटों के लिए 3.50 रुपए है और 150 सीटों के लिए 7 रुपए है. इसे समझने की जरूरत है कि जिस आंकड़े .या जिस पार्टी के लिए पैसा ज्यादा लगेगा, उसका जीतना या उस आंकड़े तक पहुंचना काफी मुश्किल है. यानी आपका लगाया 1 रुपया उतना गुना हो जाएगा, अगर उस आंकड़े तक छू पाए तो. जबकि कांग्रेस के लिए 99 या 100 सीटों के लिए 3 रुपए का रेट था और 75 सीटों के लिए 1.50 रुपए का रेट था. बीजेपी का रेट 50 पैसे था और कांग्रेस का 2 रुपए था. ये सारे आंकड़े तीन से चार दिन पहले के थे. उसके बाद पाकिस्तान और अफजल गुरू विवाद भी हो चुका है.
बीजेपी के वरिष्ठ नेता तरुण विजय ने एक ट्वीट आज सुबह किया और आज का सट्टा बाजार का रेट बताया, उनके मुताबिक बीजेपी का रेट 50 पैसे है और कांग्रेस का 4 रुपए है. इससे साफ पता चलता है कि कांग्रेस की हालत बीजेपी के सामने कितनी पतली है. इतना ही नहीं वो अपनी ट्वीट में सट्टा मार्केट का वो आंकड़ा भी बता रहे हैं, जो सटोरियों ने पहले चरण के चुनाव के बाद बताया है कि कितनी सीटें बीजेपी को पहले चरण में मिलने जा रही हैं.
ये भी खासा दिलचस्प हैं कि कैसे एक्जिट पोल कई चैलन और एजेंसीज कर रहे हैं, लेकिन किसी को भी चुनाव आयोग की तरफ से 14 की शाम से पहले दिखाने की इजाजत नहीं है लेकिन सट्टा बाजार का पहले चरण का एक्जिट पोल जारी हो चुका है. तरुण विजय के ट्वीट के मुताबिक बीजेपी को पहले चरण में 68 से 73 सीटें मिलने जा रही हैं, जबकि 89 सीटों पर पहले चरण में चुनाव हुआ था. दूसरे चरण में 93 सीटों पर चुनाव होना है.
विशेषज्ञों का मानना है कि बाजार में रहने वाला आम आदमी जहां सट्टा बाजार पर भरोसा करता है, वहीं पढ़े लिखे नौकरी पेशा लोग न्यूज चैनल्स के एक्जिट पोल्स या ओपीनियन पोल्स पर. ऐसे में चूंकि ओपीनियन पोल्स अलग अलग और एकदम विपरीत आंकड़े दिखा रहे हैं, फिर भी बीजेपी के फेवर में ही दिखा रहे हैं, और एक्जिट पोल्स चुनाव खत्म होने से पहले सामने आएंगे नहीं, तो ऐसे में दूसरे चरण में वो मतदाता जो किसी का मजबूत समर्थक नहीं है, और अपना वोट जाया नहीं करना चाहता वो सट्टा बाजार के अनुमानों के आधार पर बीजेपी के पाले में जा सकता है, ऐसे में कम से कम अभी तो यही माना जा सकता है कि इन चुनावों में भी बीजेपी की सत्ता गुजरात में बरकरार रहने जा रही है.
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