182 मतदान केंद्रों पर सही पाया गया EVM और VVPAT का डेटा: चुनाव आयोग

चुनाव आयोग- चुनाव परिणाम आने के बाद हार्दिक पटेल ने ईवीएम को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा कि जब एटीएम हैक हो सकता है तो ईवीएम क्यों नहीं हैक हो सकता है? हार्दिक ने कहा कि 12-15 सीटों पर हार-जीत का अंतर 200-1000 वोटों का रहा है.

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182 मतदान केंद्रों पर सही पाया गया EVM और VVPAT का डेटा: चुनाव आयोग

Aanchal Pandey

  • December 19, 2017 10:49 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली. गुजरात में बीजेपी को जनादेश मिला है. 99 सीटें जीतकर बीजेपी छठी बार सरकार बनाने जा रही है. गुजरात चुनाव के नतीजे आने के बाद विपक्षी पार्टियों सहित हार्दिक पटेल ने EVM पर सवाल उठाए थे. इसका जवाब चुनाव आयोग ने वीवीपीएटी से निकली पर्चियों की EVM के वोटों से मिलान करके दिया है. चुनाव अयोग के सूत्रों ने बताया कि गुजरात में 182 विधानसभा क्षेत्रों में 182 मतदान केंद्रों के VVPAT और EVM का डेटा मिलान किया गया और यह पूरी तरह से सही पाया गया.

गुजरात में पहले चरण के चुनाव के दौरान ही कांग्रेस ने EVM पर सवाल उठाए थे. कांग्रेस के प्रदेश सेक्रेट्री ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका डाली थी जिसमें उन्होंने गुजरात की सभी सीटों की 25 प्रतिशत वोटों का मिलान VVPAT की पर्चियों से करने की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट ने इसे चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र बताकर याचिका को रद्द कर दिया था. लेकिन चुनाव आयोग ने सभी विधानसभा क्षेत्र की एक एक सीट पर रैन्डमली पर्चियों का मिलान EVM की वोटों से किया जोकि सही पाया गया. गुजरात चुनाव में पहली बार सभी 182 सीटों के 50,128 बूथों पर EVM को VVPAT से लिंक किया गया था.

चुनाव परिणाम आने के बाद हार्दिक पटेल ने EVM को लेकर गंभीर आरोप लगाए थे. उन्होंने कहा कि जब एटीएम हैक हो सकता है तो EVM क्यों नहीं हैक हो सकता है? हार्दिक ने कहा कि 12-15 सीटों पर हार-जीत का अंतर 200-1000 वोटों का रहा है. जिस EVM के अंदर फिर से गिनती हुई है, वहीं चेंज आए हैं. EVM टैंपरिंग एक बड़ा मुद्दा है. पाटीदार नेता ने कहा, ‘सूरत, अहमदाबाद और राजकोट के अंदर बीजेपी की जीत आश्चर्य पैदा कर रही है. बीजेपी ने जान बूझकर यह आंकड़ा रखा है ताकि कोई EVM पर शक नहीं कर सके.’ हार्दिक ने कहा, ‘जो जीता वहीं सिकंदर, गुजरात के अंदर टेंपरिंग करके चुनाव जीतने वाली बीजेपी के साथ हमारी लड़ाई जारी रहेगी.’

आपको बता दें कि EVM को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं. 2009 में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने EVM की विश्वसनियता पर सवाल उठाए थे. इसके बाद EVM इसी साल हुए यूपी विधानसभा चुनाव के बाद उस वक्त चर्चा में आई जब बसपा सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी को मिले अपार जनमत को EVM की जीत बताकर खुद की हार भी स्वीकार नहीं की थी. इसके बाद अन्य पार्टियां भी EVM के खिलाफ मोर्चा खोलने लगीं. सपा बसपा ने EVM को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका डाली. साथ ही 16 पार्टियां चुनाव आयोग पहुंचीं. यहां चुनाव आयोग ने सभी पार्टियों को EVM मशीन हैक करने की खुली छूट दे दी थी.

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