नई दिल्ली, दिल्ली में GNCTD (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021) के खिलाफ दिल्ली सरकार ने बीते दिनों याचिका दायर की थी. इसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र को दस दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अधिकारों को लेकर छिड़ी ये जंग अब पहले से और ज्यादा तीखी हो गई […]
नई दिल्ली, दिल्ली में GNCTD (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (संशोधन) अधिनियम 2021) के खिलाफ दिल्ली सरकार ने बीते दिनों याचिका दायर की थी. इसपर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र को दस दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा है. अधिकारों को लेकर छिड़ी ये जंग अब पहले से और ज्यादा तीखी हो गई है, इस मुद्दे पर दिल्ली सरकार की तरफ से अभिषेक मनु सिंघवी दलील रख रहे थे, तो केंद्र का पक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने रखा.
दिल्ली में अधिकारों को लेकर जो केंद्र बनाम राज्य सरकार की लड़ाई छिड़ी है, वो अब पहले से और ज्यादा तीखी हो गई है. यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में सुनवाई के दौरान केंद्र को दस दिनों में हलफनामा दाखिल करने को कहा है, जबकि केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हलफनामा दाखिल करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से और समय की मांग की है.
बता दें सुनवाई के दौरान, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि GNCTD (संशोधन) अधिनियम, 2021 और अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग का मामला एक-दूसरे से जुड़ा है इसलिए दोनों मामलों को एक साथ ही सुना जाना चाहिए. वहीं दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि इस अधिनियम की वजह से दिल्ली सरकार कामकाज नहीं कर पा रही है. उन्होंने अपनी दलील रखते हुए कहा कि दिल्ली सरकार विभाग A से B में ट्रांसफर नहीं कर सकती, ऐसा हुआ तो सरकार कैसे चलेगी, उन्होंने आगे कहा कि जब प्रशासित किए जा रहे व्यक्ति को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता तो सरकार की क्या क्षमता रहेगी, इसलिए सेवा मामले को अलग से सुना जाना चाहिए.
बता दें इस पूरे मामले की CJI एनवी रमना की अगुवाई में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई की, सुप्रीम कोर्ट अब 27 अप्रैल को मामले की अगली सुनवाई करने वाला है.