उद्धव को लगा करारा झटका, भाजपा के हाथ लगी सफलता की कुंजी

उद्धव को लगा करारा झटका, भाजपा के हाथ लगी सफलता की कुंजी मुंबई। उद्धव के लिए हर नया दिन एक नया दुख लेकर आता है। एकनाथ शिंदे के बागी हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे के लिए हर दिन एक नई मुसीबत मुंह खोले खड़ी रहती है। इस दौरान भी उद्धव ठाकरे के साथ ऐसा […]

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उद्धव को लगा करारा झटका, भाजपा के हाथ लगी सफलता की कुंजी

Farhan Uddin Siddiqui

  • November 12, 2022 12:55 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

उद्धव को लगा करारा झटका, भाजपा के हाथ लगी सफलता की कुंजी

मुंबई। उद्धव के लिए हर नया दिन एक नया दुख लेकर आता है। एकनाथ शिंदे के बागी हो जाने के बाद उद्धव ठाकरे के लिए हर दिन एक नई मुसीबत मुंह खोले खड़ी रहती है। इस दौरान भी उद्धव ठाकरे के साथ ऐसा ही कुछ हुआ है। उद्धव ठाकरे के वरिष्ठ नेता ने शिंदे गुट की सदस्यता ले ली है।

क्या है सारा मामला?

उद्धव गुट के दिग्गज एवं दमदार नेता गजानन कीर्तिकर ने मुख्यमंत्री आवास वर्षा जाकर शिंद गुट की सदस्यता ले ली है। गजानन का पार्टी छोड़कर जाना उद्धव के लिए असहनीय है। बल्कि कुछ दिनों पहले ही जब गजानन के पार्टी छोड़ने की अफवाह चल रही थी, तब गजानन ने उद्धव को विश्वास दिलाया था कि, वह सदैव उनके साथ खड़े हैं। लेकिन अचानक ही बीते दिन गजानन कीर्तिकर ने औपचारिक घोषणा कर शिंदे गुट की सदस्यता गृहण कर ली है।
गजानन को मिलाकर अब तक उद्धव गुट को क़रीब 13 सांसद छोड़ चुके हैं, साथ ही उद्धव ठाकरे के पास मात्र 5 सांसद ही रह गए हैं.

भाजपा को क्या फायदा होगा?

गजानन कीर्तिकर का उत्तर पश्चिम लोकसभा क्षेत्र में अच्छा दबदबा है कीर्तिकर अपने इस रसूख के बल पर विधानसभा एवं बीएमसी चुनावों को प्रभावित करते रहे हैं, जिसका सीधा फायदा शिवसेना को मिलता था। लेकिन कीर्तिकर के शिंदे गुट में जाने के कारण देश की सबसे धनी महानगरपालिका में भाजपा की सफलता की उम्मीदें बढ़ गई है। कीर्तिकर का रसूख कहीं न कहीं आगामी बीएमसी चुनावों में भाजपा के काम आने वाला है, भाजपा का लक्ष्य आगामी बीएमसी चुनावों में शिवसेना का पत्ता साफ करने का है। कीर्तिकर की मदद से भाजपा इस काम को अंजाम देने में सफलता प्राप्त कर सकती है।

परिवार में पड़ी दरार

गजानन कीर्तिकर के पुत्र अमोल कीर्तिकर अभी भी उद्धव गुट में ही हैं उन्होने गजानन के इस फैसले को लेकर अपनी राय स्पष्ट की है, अमोल ने कहा है कि, उन्होने पिता को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन फिर भी वह शिंदे गुट मे जाकर शामिल हो गए। साथ ही उन्होने कहा कि शिंदे गुट में शामिल होना उनके पिता का निजी फैसला है इसमें उनका कोई सरोकार नहीं है।

 

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