Former Gujarat IPS Sanjiv Bhatt Sentenced Life Term: गुजरात के बर्खास्त IPS अधिकारी संजीव भट्ट को हिरासत में मौत केस में आजीवन कारावास की सजा, पीएम नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधी को तीन दशक पुराने केस में उम्रकैद

Former Gujarat IPS Sanjiv Bhatt Sentenced Life Term: गुजरात कैडर के बर्खास्त IPS अधिकारी संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. तीन दशक पुराने हिरासत में मौत मामले में सुनवाई करने हुए जामनगर सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. संजीव भट्ट के अलावा एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. दरअसल, 1990 में जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा हुई थी. संजीव भट्ट उस वक्त जामनगर के एएसपी थे. इस दौरान 133 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिनमें 25 लोग घायल हुए थे और आठ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. न्यायिक हिरासत में रहने के बाद एक आरोपी प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मौत हो गई थी.

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Former Gujarat IPS Sanjiv Bhatt Sentenced Life Term: गुजरात के बर्खास्त IPS अधिकारी संजीव भट्ट को हिरासत में मौत केस में आजीवन कारावास की सजा, पीएम नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधी को तीन दशक पुराने केस में उम्रकैद

Aanchal Pandey

  • June 20, 2019 12:22 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के मुखर विरोधी रहे गुजरात कैडर के बर्खास्त IPS अधिकारी संजीव भट्ट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. तीन दशक पुराने हिरासत में मौत मामले में जामनगर सेशन कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है. संजीव भट्ट के अलावा एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. दरअसल, 1990 में जामनगर में भारत बंद के दौरान हिंसा हुई थी. संजीव भट्ट उस वक्त जामनगर के एएसपी थे. इस दौरान 133 लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया, जिनमें 25 लोग घायल हुए थे और आठ लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया. न्यायिक हिरासत में प्रभुदास माधवजी वैश्नानी की मौत हो गई थी. संजीव भट्ट और उनके सहयोगियों पर पुलिस हिरासत में मारपीट का आरोप लगा था. इस मामवे में संजीव भट्ट व अन्य पुलिसवालों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर किया गया था, लेकिन गुजरात सरकार ने मुकदमा चलाने की इजाजत नहीं दी. 2011 में राज्य सरकार ने भट्ट के खिलाफ ट्रायल की अनुमति दे दी.

क्या है आईपीएस संजीव भट्ट पर हिरासत में मौत के केस का मामला

मामला वर्ष 1990 के है जब जाम जोधपुर में दंगे हुए थे संजीव भट्ट तत्कालीन समय मे जिले में एडिशनल एस पी थे और तत्कालीन समय मे 150 लोगो की गिरफ्तारी हुई थी. इन 150 लोगो में प्रभुदास वैष्णव नामक शख्स भी शामिल था जिसकी तबीयत थाने में बिगड़ गई और उसने अस्पताल में दम तोड़ दिया. इसके बाद प्रभुदास के परिजनों ने संजीव भट्ट सहित 6 अन्य लोगो पर मामला दर्ज कराया था जिसका आज फैसला आया जिसमे संजीव भट्ट और प्रवीण सिंह झाला को उम्र कैद की सजा सुनाई गई है. संजीव भटट् के अलावा एक और पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह झाला को भी आजीवन कारावास की सजा मिली है.

गुजरात दंगे के लिए तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी पर भी उंगली उठा चुके हैं संजीव भट्ट

1988 बैच के आईपीएस अधिकारी भट्ट को सेवा से ‘अनधिकृत रूप से अनुपस्थित’ रहने के आधार पर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अगस्त 2015 में बर्खास्त कर दिया था. संजीव भट्ट वो अधिकारी हैं जिन्होंने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करके दावा किया कि वह गांधीनगर स्थित मोदी के आवास पर 27 फरवरी 2002 को आयोजित बैठक में शामिल थे. उन्होंने दावा किया था कि बैठक में सीएम मोदी ने शीर्ष पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया था कि गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाने की घटना के बाद आक्रोशित हिंदुओं को बदला पूरा करने दें. हालांकि शीर्ष अदालत ने उनके दावे को खारिज कर गोधरा के बाद हुए दंगों की जांच के लिए विशेष जांच टीम गठित कर दी थी.

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