रांचीः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को चारा घोटाला के नाम से मशहूर पशुपालन घोटाला के दूसरे केस में भी सीबीआई कोर्ट ने दोषी ठहरा दिया है. लालू यादव को सजा का ऐलान अगले साल यानी 3 जनवरी, 2018 को होगा. वहीं देवघर कोषागार से जुड़े चारा घोटाला के इस मामले में लालू के साथ आरोपी रहे पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा को कोर्ट ने बरी कर दिया है. सीबीआई जज शिवपाल सिंह ने रांची सीबीआई कोर्ट में जैसे ही लालू को दोषी ठहराया पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया और कोर्ट से लेकर सीधे रांची के ही स्पेशल जेल ले जा रही है. चारा घोटाला के इस मामले में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा समेत 22 आरोपी थे. लालू समेत 15 लोग दोषी साबित हुए हैं जबकि जगन्नाथ मिश्रा समेत 7 लोग बरी हो गए हैं. लालू यादव इससे पहले चारा घोटाला के एक मामले में 5 साल की सजा काट रहे हैं.
क्या है चारा घोटाला का देवघर ट्रेजरी से जुड़ा ये मामला
साल 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से पशु चारे के नाम पर अवैध तरीके से 89 लाख 27 हजार रुपये निकालने का आरोप है. इस दौरान लालू यादव बिहार के मुख्यमंत्री थे. हालांकि चारा घोटाला 950 करोड़ रुपये का है जिसमें से एक केस देवघर कोषागार से जुड़ा है. सीबीआई ने इस मामले में 27 अक्टूबर, 1997 को मुकदमा दर्ज किया था. करीब 20 साल बाद इस मामले में फैसला आया है. इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 70 लाख रुपये की अवैध निकासी वाले चारा घोटाले के मामले में लालू यादव को 2013 में 5 साल की सजा हुई थी जिसके बाद से उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगा हुआ है.
लालू यादव के अलावा इस केस में ये भी आरोपी
इस केस में लालू प्रसाद और जगन्नाथ मिश्रा के अलावा बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, पूर्व सांसद आरके राणा, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह, बेक जूलियस एवं महेश प्रसाद, कोषागार अधिकारी एसके भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डा. केके प्रसाद के साथ-साथ चारा आपूर्तिकर्ता आरोपी थे. सीबीआई ने जब एफआईआर किया था तो 38 आरोपियों के नाम थे जिनमें 11 की मौत हो चुकी है और 3 सीबीआई के गवाह बन गए. 2 ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया था जिन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी. इस तरह कोर्ट के सामने कुल 22 आरोपियों पर आज फैसला होना था जिसमें 15 दोषी और 7 बरी हो गए हैं.
लालू यादव को कितनी हो सकती है सजा
कानूनी जानकारों के अनुसार इस मामले में लालू यादव और जिनको भी दोषी ठहराया जाता है तो उन्हें अधिकतम 7 साल और न्यूनतम 1 साल की कैद हो सकती है. वैसे सीबीआई अधिकारियों के मुताबिक इस मामले में गबन की धारा 409 के तहत 10 साल और धारा 467 के तहत आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है.
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