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Karnataka : पूर्व सीएम सिद्धारमैया के गांव में जश्न का माहौल, बंट रही मिठाईयां

बेंगलुरु : कर्नाटक में अभी तक सीएम का फैसला नहीं हुआ है. बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस नेताओं के बीच हलचल मची है. सीएम के रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे चल रहे है लेकिन उनकी राह आसान नहीं है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी सीएम पद को लेकर अड़े है इसी की वजह […]

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सीएम की रेस में आगे
  • May 17, 2023 8:28 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरु : कर्नाटक में अभी तक सीएम का फैसला नहीं हुआ है. बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस नेताओं के बीच हलचल मची है. सीएम के रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे चल रहे है लेकिन उनकी राह आसान नहीं है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार भी सीएम पद को लेकर अड़े है इसी की वजह से पेंच फसा हुआ है. कर्नाटक कांग्रेस के प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा है कि अगले 48 घंटे में सीएम का फैसला हो हो जाएगा. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार डीके शिवकुमार को सोनिया गांधी के काफी करीबी माना जाता है वहीं सिद्धारमैया को राहुल गांधी सीएम बनाना चाहते हैं. इसी बीच बेंगलुरु में शपथ ग्रहण की तैयारियां भी शुरु हो गई है.

पूर्व सीएम सिद्धारमैया के गांव में जश्न का माहौल है. गांव के सभी लोग एक-दूसरे को मिठाईयां बांट रहे है.गांव के लोगों ने सिद्धारमैया की तस्वीर पर दूध चढ़ाया और जमकर डांस किया. मीडिया रिपोर्ट में खबर आ रही है कि सिद्धारमैया के नाम फाइनल हो गया है बस आधिकारिक घोषणा करना बाकी है.

इन वजहों से सिद्धारमैया बनेंगे CM

पहली वजह की बात करें तो सीएम कुर्सी की ये रेस शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच थी. सिद्धारमैया कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं जो पहले भी राज्य का मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं. इसके अलावा उन्हें गांधी परिवार का भरोसेमंद भी माना जाता है जहां सिद्धारमैया का क्षेत्रीय और राजनीतिक दलों के बीच भी खूब प्रभाव है.

डीके शिवकुमार को सीएम कुर्सी ना देने की दूसरी वजह ये है कि कांग्रेस के मानने में कर्नाटक की कमान कुरुबा समाज के नेता के पास होनी चाहिए. सिद्धारमैया कुरुबा जाति के हैं साथ ही जमीनी स्तर पर उनके प्रभावशाली वोकालिग्गा समुदाय से अच्छे संबंध हैं. ऐसे में कांग्रेस कुरुबा समाज के नेता के पास ही 2024 में लोकसभा चुनाव तक सीएम का पद चाहती है. शिवकुमार और सिद्धारमैया की जोड़ी को पार्टी साथ रखते हुए राज्य से अधिक से अधिक सीटें अपने नाम करना चाहती है.

तीसरी वजह सिद्धारमैया के पास सरकार चलाने का अनुभव होना है. 2013-18 तक वह मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं. साथ ही उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 में हुई थी. उस समय वह निर्दलीय विधायक चुने गए थे. 1994 में सिद्धारमैया जनता दल सरकार में डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं. साल 2006 से वह कांग्रेस से जुड़े हुए हैं.

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