कर्जमाफी पर टूटी किसानों और सरकार की बात, दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर ही डाला डेरा

अपनी मांगों को लेकर अलग-अलग राज्यों से पदयात्रा में शामिल किसानों का आंदोलन बदस्तूर जारी है. केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से कुछ मांगों पर सहमति नहीं बनने और पुलिस कार्रवाई से गुस्साए किसान आज की रात दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर ही गुजारेंगे.

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कर्जमाफी पर टूटी किसानों और सरकार की बात, दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर ही डाला डेरा

Aanchal Pandey

  • October 2, 2018 9:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्लीः अपनी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों और केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के बीच बात नहीं बनी. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, किसानों की 11 सूत्रीय मांगों में से 7 पर तो बात बन गई लेकिन अहम मुद्दों जैसे कर्जमाफी, बिजली के बढ़े दामों की वापसी और गन्ने के भुगतान समेत कुछ मांगों पर पेंच फंस गया. नतीजन आज की रात आंदोलनरत किसान दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर ही रात गुजारेंगे. भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रमुख राकेश सिंह टिकैत ने सरकार के साथ फेल हुई बातचीत पर कहा कि मोदी सरकार की मंशा किसानों की बात मानने की नहीं है. सरकार के साथ आज हुई बातचीत नाकाम रही इसलिए किसान आज रात भर गाजीपुर बॉर्डर पर ही प्रदर्शन करेंगे.

‘किसान पदयात्रा’ या ‘किसान क्रांति यात्रा’, किसानों के अपनी मांगों को लेकर किए जा रहे आंदोलन को सोशल मीडिया पर यही नाम दिया जा रहा है. उत्तराखंड के हरिद्वार से चले किसानों का जत्था मंगलवार को दिल्ली में दाखिल करने ही वाला था कि उन्हें दिल्ली-यूपी गाजीपुर बॉर्डर पर ही रोक दिया गया. किसानों के आंदोलन को देखते हुए दिल्ली पुलिस ने सोमवार को ही धारा-144 लागू कर दी थी लिहाजा विवाद तो होना ही था. जिद पर अड़े किसान और उन्हें दिल्ली में दाखिल होने से रोकती पुलिस के बीच जोरदार झड़प हुई. किसानों को रोकने के लिए लाठीचार्ज, आंसू गैस, वॉटर कैनन जैसे सभी हथकंडों का इस्तेमाल किया गया. दर्जनों किसान घायल भी हुए. पुलिस के बल प्रयोग से किसानों का गुस्सा बढ़ गया और देखते ही देखते मामले ने तूल पकड़ लिया.

ये हैं किसानों की प्रमुख मांगें-
आंदोलन कर रहे किसानों की सबसे प्रमुख मांग है कर्जमाफी. उनकी मांग है कि केंद्र सरकार तत्काल किसानों का कर्ज माफ करे. मंगलवार को गृह मंत्री राजनाथ सिंह और सरकार की ओर से पैरवी कर रहे राज्यमंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने किसान नेताओं संग बातचीत में इसे वित्तीय मामला बताते हुए उनकी इस मांग पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया.

किसानों की मांग है कि उनका पिछले साल से गन्ने का बकाए का भुगतान फौरन कराया जाए और ऐसा न करने वाले मिल मालिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए.

किसानों की मांग है कि सरकार बिजली के बढ़े दाम वापस ले. किसानों ने कहा कि पिछले कुछ समय में बिजली के दाम ढाई गुना तक बढ़ा दिए गए है. डीजल पर 30 से 35 रुपए टैक्स वसूला जा रहा है. ऐसे में किसान क्या कमाएगा और क्या खाएगा, लिहाजा बिजली और डीजल की कीमतों को कम किया जाए.

किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द स्वामीनाथन कमेटी की सिफारिशों को लागू करे. इस रिपोर्ट में कृषि क्षेत्र में काफी अहम सुधारों की सिफारिश की गई है.

60 साल की उम्र से ज्यादा के किसानों को पेंशन दी जाए.

कर्जदार किसानों और खुदकुशी कर चुके किसानों के परिजनों को सरकारी नौकरी दी जाए. मृतक किसानों के परिजनों को घर भी दिया जाए.

एनजीटी द्वारा 10 साल पुराने ट्रैक्टरों पर लगी रोक को हटाया जाए.

फसलों का उचित दाम भी किसानों की बड़ी मांगों में से एक है. किसानों का कहना है कि सरकार ने फसलों के लिए डेढ़ गुना कीमत (एमएसपी) का ऐलान तो कर दिया लेकिन फसलों की खरीद तब शुरू होती है जब उपज बिक गई होती है.

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