Cash For Query Scam: कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा से पहले भी इतने सांसद हुए हैं निष्कासित

नई दिल्ली: कैश फॉर क्वेरी मामले (Cash For Query Scam) में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द हो गई है। एथिक्स कमेटी द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट लोकसभा में पेश किए जाने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी है। जानकारी हो कि एथिक्स कमेटी […]

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Cash For Query Scam: कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा से पहले भी इतने सांसद हुए हैं निष्कासित

Manisha Singh

  • December 8, 2023 4:38 pm Asia/KolkataIST, Updated 12 months ago

नई दिल्ली: कैश फॉर क्वेरी मामले (Cash For Query Scam) में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द हो गई है। एथिक्स कमेटी द्वारा अपनी जांच रिपोर्ट लोकसभा में पेश किए जाने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द कर दी है। जानकारी हो कि एथिक्स कमेटी ने मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता को निष्कासित करने की सिफारिश की थी।

कैश फॉर क्वेरी मामला, 2005

महुआ मोइत्रा के पहले भी साल 2005 में कैश फॉर क्वेरी (Cash For Query Scam) मामले में कई सांसदों को निष्कासित किया गया था। साल 2005 में ‘कैश फॉर क्वेरी’ घोटाले को लेकर भाजपा के छह, बसपा के दो और कांग्रेस तथा राजद के एक-एक सदस्यों को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। बसपा के एक राज्यसभा सदस्य को भी सदन से निकाल दिया गया। दरअसल, 12 दिसंबर 2005 को एक निजी टीवी चैनल द्वारा प्रसारित ऑनलाइन समाचार साइट कोबरापोस्ट के एक स्टिंग ऑपरेशन में 11 सांसदों को संसद में सवाल उठाने के बदले नकद स्वीकार करते हुए दिखाया गया था। जिसके बाद मामले में आरोपी 11 सांसदों को सदन से निकाल दिया गया।

सदन से निष्कासित 11 सांसदों के नाम-
  1. वाई जी महाजन (बीजेपी)
  2. छत्रपाल सिंह लोढ़ा (बीजेपी)
  3. अन्ना साहेब एम के पाटिल (बीजेपी)
  4. चंद्र प्रताप सिंह (बीजेपी)
  5. प्रदीप गांधी (बीजेपी)
  6. सुरेश चंदेल (बीजेपी)
  7. राम सेवक सिंह (कांग्रेस)
  8. नरेंद्र कुमार कुशवाहा (बीएसपी)
  9. लाल चंद्र कोल (बसपा)
  10. राजा रामपाल (बसपा)
  11. मनोज कुमार (आरजेडी)

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24 दिसंबर 2005 को हुए निष्कासित

10 सदस्य लोकसभा से निष्कासित किए गए, जबकि छत्रपाल सिंह लोढ़ा (बीजेपी) को राज्यसभा से निकाला गया। इन सांसदों को 24 दिसंबर 2005 को संसद के एक ऐतिहासिक मतदान के बाद निकाला गया। उस समय सदन के नेता प्रणब मुखर्जी ने सदस्यों को निष्कासित करने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया, जबकि तत्कालीन प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में भी ऐसा ही किया।

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