देश-प्रदेश

Dynastic Political Families Of India: राजनीतिक परिवारों से भरी वंशवादी भारतीय राजनीति में पॉलिटिकल फैमिली और लीडर के बेटे-बेटियों को ही क्यों नेता बनाते हैं वर्कर और वोटर

नई दिल्ली. बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय ने जब से इंदौर नगर निगम के अधिकारियों पर बैट चलाया है और उनके पापा ने पत्रकारों से उनकी औकात पूछी है तब से ये चर्चा फिर शुरू हुई है कि नेताओं के बेटे और बेटियों को ही पार्टी के कार्यकर्ता और मतदाता नेता कैसे बनाते हैं. कोई सांसद हो या विधायक, उसकी सीट से उसका बेटा या बेटी लड़े, पॉलिटिकल वर्कर इसे मंजूर कैसे करते हैं. आम तौर पर क्यों कोई दूसरा कार्यकर्ता जीते हुए या जीत रहे विधायक या सांसद की सीट से टिकट नहीं हासिल कर पाता है. इस मनोदशा को समझने के लिए आपको समझना होगा कि भारतीय राजनीति में सांसद और विधायक होने का मतलब क्या है. सबसे पहले ये समझिए कि नेताओं के बच्चों को ये फैसिलिटी कैसे मिलती है कि वो तुरंत नेता बन जाते हैं.

अब मान लीजिए कि कोई नेता जी किसी सीट से विधायक या सांसद हैं तो जाहिर तौर पर वो राज्य की राजधानी या देश की राजधानी में ठीक-ठाक समय बिताते होंगे. कभी सदन का सत्र, कभी मीटिंग, कभी दौरा. लोकसभा के कई सांसद शनिवार और रविवार को अपने क्षेत्र में जाते हैं लेकिन सारे नहीं. ऐसा ही रूटीन राज्यों के विधायकों का भी रहता होगा. कायदे से तो सांसद और विधायकों से जो काम हो, जनता को सांसद प्रतिनिधि या विधायक प्रतिनिधि के पास जाकर करवाना चाहिए या फिर पार्टी के दफ्तर में जाकर पार्टी संगठन के पदाधिकारियों के जरिए अपनी बात ऊपर पहुंचानी चाहिए. लेकिन व्यवहार में ये सब होता नहीं है. सांसद और विधायक का परिवार ज्यादातर जगहों पर पैरेलल पार्टी संगठन की तरह काम करता है. ये सब इसलिए भी होता है कि जनता को लगता है कि सांसद प्रतिनिधि या पार्टी के नेता को कहने पर वो सांसद या विधायक को कहेगा जिसमें समय लगेगा जबकि परिवार का सदस्य तुरंत फोन लगाएगा और काम हो जाएगा.

तो मान लीजिए कि आपको सांसद या विधायक से काम है तो आप जाएंगे क्षेत्र में उनके घर या दफ्तर या फिर राजधानी में उनके आवास पर. वहां ज्यादातर समय नेताजी मिलेंगे नहीं, लेकिन उनके बच्चे जरूर मिलेंगे. जो नेताजी अपने बच्चों को आगे राजनीति में अपनी विरासत देना चाहते हैं वो गारंटी करते हैं कि जब वो ना मिलें तो उनके बच्चे जरूर मिलें. फिर आप सांसद या विधायक के बच्चे से कहेंगे कि आपको बच्चे का एडमिशन कराना है या फलां अस्पताल में इलाज करवाना है या फलां फंड से आर्थिक मदद चाहिए या फिर ये कि सरकार की इस योजना का लाभ लेना है और सरकारी अधिकारी पैसे मांग रहा है या फाइल लटका रहा है. आप पुलिस थाने की शिकायत लेकर भी जा सकते हैं कि आपकी शिकायत नहीं सुन रहा या आपके परिवार के लोगों को झूठे केस में उठा लिया है.

Kailash Vijayvargiya Son Akash Thrases Indore Municipal Officer Video: इंदौर में बीजेपी नेता कैलाश विजयवर्गीय के विधायक बेटे आकाश की खुली गुंडागर्दी, क्रिकेट बैट से की नगर निगम के अधिकारियों की पिटाई, वीडियो वायरल

आम लोग इसी तरह की चीजें लेकर नेताओं के पास जाते हैं. जो काम चिट्ठी लिखने से हो सकता है उसमें नेताजी के बेटे नेताजी के पीए को लेटर हैड पर लेटर लिखकर तैयार करने कहेंगे जो बाद में नेताजी साइन कर देंगे और उसके बाद जनता को मिल जाएगा. जो काम फोन पर हो सकता है वो नेताजी के बच्चे फोन लगाकर नेताजी के प्रतिनिधि के तौर पर कर देंगे. अब सोचिए, एक सांसद या विधायक पांच साल रहता है. हर दिन इस तरह की छोटी-मोटी समस्याओं के साथ उनके दरबार में हाजिरी देने आम लोग पहुंचते हैं. नेताजी के बेटाजी या बेटीजी ऐसे काम कराते-कराते खुद ही नेताजी बन जाते हैं. फिर उस इलाके में उनके युवा हृदय सम्राट और हरदील अजीज नेता जैसे बैनर, पोस्टर लगने लगते हैं जिससे उनके पिताजी को कोई दिक्कत नहीं होती है क्योंकि वो यही चाहते हैं कि उनके बेटे को उनकी तरह संघर्ष और गुटबाजी करके टिकट और जीत का स्वाद चखने के बजाय उनके प्रोमोशन की हालत में डायरेक्ट एंट्री मिल जाए. ये तो हुई जनता की बात. आप बात करते हैं कार्यकर्ताओं की.

BJP Leader Beats up Government Official: आकाश विजयवर्गीय के बाद मध्य प्रदेश में बीजेपी नेता ने सीएमडी को लाठी-डंडों से पीट-पीटकर किया अधमरा

सांसद हो या विधायक, निर्दलीय हो या दलीय, सबके कार्यकर्ता होते हैं. संसदीय क्षेत्र बड़ा होता है तो सक्रिय कार्यकर्ता भी हजारों होते हैं. विधायक का क्षेत्र थोड़ा छोटा होता है तो सक्रिय कार्यकर्ता सैकड़ों होते हैं. कार्यकर्ता को कायदे से पार्टी के दफ्तर में सांसद और विधायक के दर्शन होने चाहिए जो आम तौर पर हो नहीं पाता. तो कार्यकर्ता को भी सांसद या विधायक के घर ही जाना पड़ता है. कार्यकर्ता को क्या चाहिए. सबसे पहले सम्मान. तो नेताजी होंगे तो खुद देंगे नहीं होंगे तो उनके बच्चे चाचा, बुआ, मौसी, फूफा, अंकल कहकर सम्मान देंगे, चाय पूछेंगे. फिर काम पूछेंगे. तो कार्यकर्ता जी बताएंगे कि उनके इलाके में नाला बनना है, सड़क बनना है, जला हुआ ट्रांसफॉर्मर बदलना है, बिजली का पोल लगना है, स्कूल में कमरा बनना है, पंचायत में मुखिया गड़बड़ी कर रहा है, प्रखंड में प्रमुख भ्रष्टाचार कर रहा है या बीडीओ या अधिकारी घूस मांग रहे हैं. कार्यकर्ता आम तौर पर अपने इलाके की ऐसी ही समस्या लेकर जाता है. नेताजी होंगे तो जरूरत के हिसाब से चिट्ठी लिखेंगे या फोन करेंगे और फॉलो अप का काम बच्चे को पकड़ाकर कह देंगे कि काम ना हो तो बच्चे से बात कर लीजिएगा. कार्यकर्ता जी अब नेताजी के साथ-साथ नेताजी के बच्चे जी को भी फोन करेंगे क्योंकि नेताजी हर बार फोन उठा लें, जरूरी नहीं. उठाने को तो बच्चे जी भी ना उठाएं, पर कार्यकर्ता और आम लोग ये खुद मान लेते हैं कि बिजी होंगे.

कार्यकर्ताओं में एक और कैटेगरी होती है जो आम कार्यकर्ता नहीं होते, खास कार्यकर्ता होते हैं. चुनाव के समय चंदा देते हैं, चंदा लाते हैं, लाठी-डंडा जुटाते हैं. इनकी नजर ना सांसद बनने पर होती है और ना विधायक, इनकी नजर होती है उनके सांसद कोष और विधायक कोष पर. सांसद कोष और विधायक कोष से जो काम होते हैं, वो डीआरडीए करवाता है. डीआरडीए सांसद और विधायकों की सिफारिश पर उनके कोटे के फंड से कई बार बिना कहे इशारे में समझकर और कई बार कहने पर किसी खास सरकारी एजेंसी को काम देता है जो एजेंसी उसी तर्ज पर नेताजी के पसंदीदा खास कार्यकर्ता जी को काम देती है. सरकारी अधिकारी नेताजी की ज्यादातर बात सुन लेते हैं क्योंकि उन्हें डर रहता है कि अगर उनके पसंद का ठेकेदार नहीं हुआ तो काम में क्वालिटी को लेकर नेताजी बवाल कर देंगे, फिर जांच होगी, फिर कोई सस्पेंड हो सकता है, कोई जेल भी जा सकता है. और जिला में डीएम से लेकर बिल क्लर्क तक, सबका कट फिक्स होता है जिसे आम लोग ईमानदारी कहते हैं. इसमें कोई मांगता नहीं है, सबको पता होता है कि 1 परसेंट सबसे बड़े साहब को जाएगा, 1 परसेंट दूसरे नंबर के साहब को जाएगा, 1 परसेंट एसई को जाएगा, 2 परसेंट एग्जीक्युटिव इंजीनियर को जाएगा, 2 परसेंट जूनियर इंजीनियर को जाएगा. विधायक या सांसद का कट होता है या नहीं होता है, ये कार्यकर्ताओं को पता होता है लेकिन नेताजी का मतलब इस बात से है कि काम उनके पसंद के आदमी को मिल जाए जो चुनाव में फिर काम आए.

नेताजी बड़े प्यार से सदन और मीटिंग वगैरह की व्यस्तता की वजह से घर पर गैरहाजिरी को अपने बच्चे को पॉलिटिक्स में घुसाने का प्लेटफॉर्म बनाते हैं. आम जनता के काम नेताजी और उनके बच्चे कराते हैं. कार्यकर्ताओं के काम नेताजी और बच्चे कराते हैं. नेताजी के बच्चे की राजनीति में एंट्री में सिर्फ एक बाधा होती है, पार्टी का संगठन और पार्टी के जिलाध्यक्ष और उनके सरीखे दूसरे पदाधिकारी जो गुटबाजी की वजह से या नेताजी की सीट से ही अपना राजनीतिक भविष्य देखने के कारण, बच्चा जी को टिकट मिलने का विरोध करते हैं या कर सकते हैं. ऐसी स्थिति में नेताजी का जनता और कार्यकर्ता से संवाद और काम कराने का काम बच्चा जी को सौंपने का रिजल्ट दिखता है. प्रदेश के नेता और टिकट बांटने वाले नेताओं के पास इलाके के आम कार्यकर्ता भेजे जाते हैं कि जाकर बताओ कि हमारे बच्चा जी ने बहुत मेहनत किया है, आपका काम किया है, आपका काम करवाया है, उनको टिकट दिलवाओ. कई बार ये दांव काम कर जाता है और कई बार नहीं कर पाता है. जब कर जाता है तो नेताजी के बेटे भी सांसद या विधायक बन जाते हैं. आम तौर पर विधायक का बेटा विधायक तब बन पाता है जब बाप या मां सांसद हो जाएं तो उनकी सीट खाली हो और उप-चुनाव में पार्टी नेताजी को नाराज ना करने का रिस्क लेकर बच्चे को टिकट दे दे. हार से सबको डर लगता है. नेताजी से ज्यादा उनकी पार्टी को. मुख्यमंत्री स्तर का नेता तो अपने बच्चों को सीधे सांसद का टिकट दिलाता है और लोकसभा में पहुंचाता है. इसलिए किस नेता का बेटा या बेटी कितने बड़े नेता बनेंगे, ये इस बात पर निर्भर होता है कि नेताजी खुद कितने बड़े हैं.

Akash Vijayvargiya Send to Jail: निगम कर्मचारियों की बल्ले से पिटाई करने वाले बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गी के विधायक बेटे आकाश विजयवर्गीय की जमानत याचिका खारिज, 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेजा गया जेल

मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान की सरकार में सबसे पावरफुल मंत्री रहे बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पहली बार विधायक बने बेटे आकाश विजयवर्गीय को जब नगर निगम अधिकारियों को पीटने के केस में जेल भेज दिया गया तो शहर में पोस्टर लग गए- सैल्यूट आकाश जी. ये पोस्टर लगाने वाले लोग वो ही हैं जिन्हें आपने ऊपर आम जनता, आम कार्यकर्ता और खास कार्यकर्ता के तौर पर जाना. इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता कि आकाश ने जो किया है वो एक विधायक को करना चाहिए या नहीं, वो काम गैर-कानूनी है या सही. उन्हें बस इतना पता है कि कैलाश विजयवर्गीय बड़े नेता हैं और बड़े नेता के गुड बुक में रहने के लिए जूनियर नेता के पीछे खड़ा होना है और ये बताना है कि हम आकाश के पीछे खड़े हैं. सांसद और विधायक और मंत्री बनकर नेता ऐसे ही अपने बच्चों को नेता बनाते हैं. खुद को डेली के कामकाज से बाहर कर लो और बच्चों के जरिए जनता और कार्यकर्ता के दुख-दर्द दूर करो. जनता और कार्यकर्ता दोनों खुद ही बच्चों को नेता बना देंगे.

अब इतनी लंबी बात पढ़ ली तो ये भी पढ़ लीजिए कि हमारे भारत देश में कितने राजनीतिक परिवार हैं जहां पैदा होने वाले बच्चे वंशवाद के दम पर सांसद, विधायक और मंत्री बनते रहे हैं. सुनील दत्त की बेटी प्रिया दत्त और पीएम सईद के बेटे हमदुल्ला सईद जैसे बहुत नाम हैं लेकिन हम अपने पिता या माता की वजह से राजनीति में आए, चमके और छाए कुछ चुनिंदा राजनीतिक परिवारों की चर्चा कर रहे हैं जिनके अलग-अलग लोग आज अलग-अलग पार्टी में हो सकते हैं लेकिन हम सबका नाम एक जगह रख रहे हैं क्योंकि वो चाहे जिस पार्टी में हों, वो वहां इसलिए हैं क्योंकि वो उस परिवार से हैं.

कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद

  1. नेहरू गांधी परिवार, कांग्रेस: मोतीलाल नेहरू, जवाहरलाल नेहरू, विजयलक्ष्मी पंडित, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी. बीजेपी- मेनका गांधी, वरुण गांधी
  2. प्रणब मुखर्जी परिवार, कांग्रेस- प्रणब मुखर्जी, अभिजीत मुखर्जी, शर्मिष्ठा मुखर्जी
  3. कैप्टन परिवार, कांग्रेस- कैप्टन अमरिंदर सिंह, परनीत कौर, रणिंदर सिंह
  4. अर्जुन सिंह परिवार, कांग्रेस- अर्जुन सिंह, अजय सिंह
  5. दिग्विजय सिंह परिवार, कांग्रेस- दिग्विजय सिंह, राज्यवर्धन सिंह
  6. बंशीलाल परिवार, कांग्रेस- बंशीलाल, सुरेंद्र चौधरी, किरन चौधरी, श्रुति चौधरी
  7. भजनलाल परिवार, कांग्रेस- भजनलाल, कुलदीप बिश्नोई, रेणुका बिश्नोई, भव्य बिश्नोई, चंद्र मोहन
  8. हुड्डा परिवार, कांग्रेस- रणबीर सिंह हुड्डा, भूपिंदर सिंह हुड्डा, दीपेंद्र हुड्डा
  9. जिंदल परिवार, कांग्रेस- ओपी जिंदल, सावित्री जिंदल, नवीन जिंदल
  10. मिर्धा परिवार, कांग्रेस- नाथूराम मिर्धा, भानु प्रकाश मिर्धा, ज्योति मिर्धा
  11. वीरभद्र सिंह, कांग्रेस- वीरभद्र सिंह, प्रतिभा सिंह, विक्रमादित्य सिंह
  12. लाल बहादुर शास्त्री परिवार, कांग्रेस- लाल बहादुर शास्त्री, अनिल शास्त्री, आदर्श शास्त्री, सुनील शास्त्री, सिद्धार्थनाथ सिंह
  13. दीक्षित परिवार, कांग्रेस- उमा शंकर दीक्षित, शीला दीक्षित, संदीप दीक्षित
  14. सिंधिया परिवार- माधवराव सिंधिया, ज्योतिरादित्य सिंधिया
  15. पायलट परिवार, कांग्रेस- राजेश पायलट, रमा पायलट, सचिन पायलट
  16. बहुगुणा परिवार, कांग्रेस- हेमवती नंदन बहुगुणा, विजय बहुगुणा, साकेत बहुगुणा, रीता बहुगुणा जोशी
  17. हरीश रावत परिवार, कांग्रेस- हरीश रावत, आनंद रावत
  18. चव्हाण परिवार, कांग्रेस- शंकरराव चव्हाण, अशोक चव्हाण, अमिता चव्हाण
  19. सोलंकी परिवार, कांग्रेस- माधव सिंह सोलंकी, भरत सिंह सोलंकी
  20. सत्पथी परिवार, कांग्रेस- नंदिनी सत्पथी, देवेंद्र सत्पथी, तथागत सत्पथी
  21. संतोष मोहन देव परिवार, कांग्रेस- संतोष मोहन देव, बिथिका देव, सुष्मिता देव
  22. गोगोई परिवार, कांग्रेस- तरुण गोगोई, गौरव गोगोई
  23. देब बर्मन परिवार, कांग्रेस- किरीट बिक्रब देब बर्मन, बिभु देवी, प्रद्योत देब बर्मन

भारतीय जनता पार्टी बीजेपी में परिवारवाद

  1. राजनाथ सिंह परिवार, बीजेपी- राजनाथ सिंह, पंकज सिंह
  2. रमन सिंह परिवार, बीजेपी- रमन सिंह, अभिषेक सिंह
  3. शिवराज सिंह चौहान परिवार, बीजेपी- शिवराज सिंह चौहान, साधना सिंह, कार्तिकेय चौहान
  4. प्रमोद महाजन परिवार, बीजेपी- प्रमोद महाजन, पूनम महाजन
  5. गोपीनाथ मुंडे परिवार, बीजेपी- गोपीनाथ मुंडे, पंकजा मुंडे, प्रीतम मुंडे, पंडितराव मुंडे, धनंजय मुंडे
  6. येदियुरप्पा परिवार, बीजेपी- बीएस येदियुरप्पा, बीएस राघवेंद्र, बीएस विजयेंद्र
  7. धूमल परिवार, बीजेपी- प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर
  8. वर्मा परिवार, बीजेपी- साहिब सिंह वर्मा, परवेश वर्मा
  9. खुराना परिवार, बीजेपी- मदन लाल खुराना, हरीश खुराना
  10. सिंधिया परिवार, बीजेपी- विजयराजे सिंधिया, वसुंधरा राजे सिंधिया, दुष्यंत सिंह, यशोदरा राजे सिंधिया
  11. जसवंत सिंह परिवार, बीजेपी- जसवंत सिंह, मानवेंद्र सिंह
  12. यशवंत सिन्हा परिवार, बीजेपी- यशवंत सिन्हा, जयंत सिन्हा
  13. खंडूरी परिवार, बीजेपी- बीसी खंडूरी, मनीष खंडूरी

अन्य राष्ट्रीय दलों में परिवारवाद

  1. मायावती परिवार, बीएसपी- मायावती, आनंद कुमार, आकाश कुमार
  2. ममता बनर्जी परिवार, तृणमूल कांग्रेस- ममता बनर्जी, अभिषेक बनर्जी
  3. पवार परिवार, एनसीपी- शरद पावर, सुप्रिया सुले, अजित पवार, पार्थ पवार

उत्तर भारत के क्षेत्रीय दलों में फैमिली पॉलिटिक्स

  1. मुलायम परिवार, एसपी- मुलायम सिंह यादव, अखिलेश यादव, डिंपल यादव, प्रतीक यादव, अपर्णा यादव, शिवपाल सिंह यादव, आदित्य यादव, रामगोपाल यादव, अक्षय यादव, धर्मेंद्र यादव, तेजप्रताप यादव
  2. लालू परिवार, आरजेडी- लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव, तेज प्रताप यादव, मीसा भारती, साधु यादव, सुभाष यादव
  3. पासवान परिवार, एलजेपी: रामविलास पासवान, चिराग पासवान, रामचंद्र पासवान, पशुपति पारस
  4. सोरेन परिवार, जेएमएम- शिबू सोरेन, हेमंत सोरेन, दुर्गा सोरेन, सीता सोरेन, बसंत सोरेन
  5. अब्दुल्ला परिवार, नेशनल कॉन्फ्रेंस: शेख अब्दुल्ला, फारूख अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला
  6. सईद परिवार, पीडीपी: मुफ्ती मोहम्मद सईद, महबूबा मुफ्ती
  7. बादल परिवार, अकाली दल- प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, हरसिमरत कौर बादल, मनप्रीत सिंह बादल
  8. चंद्रशेखर परिवार, सजपा- चंद्रशेखर, नीरज शेखर, पंकज शेखर
  9. देवीलाल परिवार, लोकदल- देवीलाल, ओम प्रकाश चौटाला, अभय चौटाला, करन चौटाला, अर्जुन चौटाला, अजय चौटाला, नैना चौटाला, दुष्यंत चौटाला, दिग्विजय चौटाला
  10. चौधरी चरण सिंह परिवार, लोकदल- चौधरी चरण सिंह, अजित सिंह, जयंत चौधरी
  11. जोगी परिवार, छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस- अजित जोगी, रेणु जोगी, अमित जोगी, ऋचा जोगी

पश्चिम भारत के क्षेत्रीय दलों में फैमिली पॉलिटिक्स

  1. ठाकरे परिवार, शिवसेना- बाल ठाकरे, उद्धव ठाकरे, आदित्य ठाकरे, राज ठाकरे

पूर्वी भारत के क्षेत्रीय दलों में फैमिली पॉलिटिक्स

  1. पटनायक परिवार, बीजेडी- बीजू पटनायक, नवीन पटनायक
  2. सिंहदेव परिवार, स्वतंत्र पार्टी- राजेंद्र नारायण सिंहदेव, राज सिंहदेव, कनकवर्धन सिंहदेव, संगीता सिंहदेव, अनंग उदय सिंहदेव, कलिकेश सिंहदेव
  3. संगमा परिवार, एनपीपी- पीए संगमा, कॉनराड संगमा, अगाथा संगमा, जेम्स संगमा

दक्षिण भारत के क्षेत्रीय दलों में फैमिली पॉलिटिक्स

  1. देवगौड़ा परिवार, जेडीएस- एचडी देवगौड़ा, एचडी कुमारस्वामी, अनिता कुमारस्वामी, एचडी रेवन्ना, भवानी रेवन्ना, प्रज्जवल गौड़ा, निखिल गौड़ा
  2. करुणानिधि परिवार, डीएमके- एम करुणानिधि, एमके स्टालिन, एके अलगिरि, कणिमोई, मुरासोली मारन, दयानिधि मारन
  3. रेड्डी परिवार, वाईएसआरसीपी- वाई राजशेखर रेड्डी, जगनमोहन रेड्डी, वाईएस विजयम्मा, शर्मिला रेड्डी
  4. केसीआर परिवार, टीआरएस- के चंद्रशेखर राव, केटी रामाराव, के कविता
  5. एनटीआर परिवार, टीडीपी- एनटी रामाराव, चंद्रबाबू नायडू, हरिकृष्णा, नंदामुरी बालाकृष्णा, डी वेंकटेश्वर राव, डी पुरंदेश्वरी, लोकेश नायडू
Aanchal Pandey

Recent Posts

आ गया एग्जिट पोल! महाराष्ट्र में इस गठबंधन को स्पष्ट बहुमत, इन पार्टियों को लगेगा बड़ा झटका

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव-2024 को लेकर न्यूज चैनल्स के एक्जिट पोल्स आ गए हैं. इस दौरान…

5 minutes ago

Jaguar का बदला Logo, Elon Musk ने पूछा लिया ऐसा सवाल कि आ गया चाय पर चर्चा का निमंत्रण

जगुआर ने 89 साल पुराने अपने लोगो को बदल दिया है। बता दें 2026 से…

10 minutes ago

इंस्पेक्टर ने मुस्लिम महिलाओं पर तानी रिवॉल्वर, भड़के योगी ने लिया ऐसा एक्शन… अखिलेश भी खुश जाएंगे!

मतदाताओं को रिवॉल्वर दिखाने का वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने…

16 minutes ago

सेक्स रैकेट का हुआ खुलासा, आपत्तिजनक हालत में पकड़ाए लड़कियां-लड़के, पुलिस के उड़े होश

सेक्स रैकेट का खुलासा करते हुए पुलिस ने एक होटल से 8 युवक और 7…

30 minutes ago

यूक्रेन पर परमाणु बम दागने वाला रूस, आग-बबूला पुतिन ने दिए आदेश… अब विश्व युद्ध तय!

मंगलवार को यूक्रेन ने रूस पर मिसाइल से हमला किया था. दो साल से जारी…

35 minutes ago

महाकुंभ की सुरक्षा को लेकर योगी सरकार ने कसी कमर, सुविधाओं में कोई कमी नहीं

महाकुंभ में श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाईटेक कंट्रोल रूम बनाने का काम…

54 minutes ago