नई दिल्ली, राजधानी दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच तकरार थमने की बजाय बढ़ती ही जा रही है. अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई शराब नीति पर एक और जांच का आदेश दे दिया है. जानकारी के मुताबिक, यह शिकायत न्यायविदों, वकीलों और प्रतिष्ठित नागरिकों के एक संगठन […]
नई दिल्ली, राजधानी दिल्ली की नई शराब नीति को लेकर केजरीवाल सरकार और उपराज्यपाल के बीच तकरार थमने की बजाय बढ़ती ही जा रही है. अब उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने नई शराब नीति पर एक और जांच का आदेश दे दिया है. जानकारी के मुताबिक, यह शिकायत न्यायविदों, वकीलों और प्रतिष्ठित नागरिकों के एक संगठन ने दी है, जिसपर जांच के आदेश दे दिए गए हैं. पहले वाली शिकायत के आधार पर उपराज्यपाल पहले ही सीबीआई जांच की सिफारिश कर चुके हैं.
शिकायत में कहा गया है कि दिल्ली में शराब का लाइसेंस देने में गंभीर अनियमितताएं सामने आई हैं, इस मामले में उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और उन्हें सत्यापन और जांच के आदेश दिये गए हैं. यह भी कहा गया है कि 14 दिनों (दो हफ्ते) के अंदर इसपर रिपोर्ट तैयार की जाए और इस रिपोर्ट को उन्हें और सीएम केजरीवाल को भेजें.
किस संगठन ने यह शिकायत दी है फिलहाल अब तक नहीं बताया गया है. संगठन खुद अपना नाम सामने नहीं आने देना चाहता क्योंकि उसे डर है कि ऐसा होने पर उसे उत्पीड़न और धमकियों का सामना करना पड़ सकता है.
नई एक्साइज ड्यूटी में गड़बड़ी के आरोप हैं, आरोप है कि नई आबकारी नीति के जरिए शराब लाइसेंसधारियों को अनुचित लाभ पहुंचाया गया. एलजी ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है, ”जब प्रवासी कमाई बंद होने की वजह से शहर छोड़ रहे थे, जब स्ट्रीट वेंडर्स के सामने आजीविका का संकट था, उस मुश्किल घड़ी में ढाबा, रेस्त्रां, होटल, जिम, स्कूल और दूसरे कारोबार बंद हो रहे थे. तब मनीष सिसोदिया के तहत आने वाले एक्साइज डिपार्टमेंट ने कोरोना महामारी के नाम पर लाइसेंस फीस के तौर पर 144.36 करोड़ रुपए की छूट दी गई.” रिपोर्ट में आगे लिखा गया है, ‘कारोबारियों, नौकरशाहों और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के बीच गठजोड़ था. शराब लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाने के लिए तय प्रक्रिया और नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया.’