राजनीति

LG ऑफिस ने बताया: नई आबकारी नीति में क्या है ‘गड़बड़ी’ और क्यों की CBI जांच की सिफारिश

नई दिल्ली, दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार की आबकारी नीति (एक्साइज पॉलिसी) 2021-22 में नियमों के कथित उल्लंघन और प्रक्रियागत खामियों को लेकर इसकी सीबीआई जांच करवाने की सिफारिश की है, इस मामले में अधिकारियों ने बताया कि दिल्ली के मुख्य सचिव की इस महीने की शुरुआत में सौंपी गई रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है.

एलजी ऑफिस ने क्या कहा ?

एलजी ऑफिस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि इस रिपोर्ट से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार (जीएनसीटीडी) अधिनियम 1991, व्यापारिक लेनदेन की नियमावली-1993, दिल्ली आबकारी अधिनियम 2009 और दिल्ली आबकारी नियम 2010 के उल्लंघनों का पता चलता है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि शराब उत्पादन, होलसेलर और बिक्री से जुड़ा काम एक ही व्यक्ति की कंपनियों को दिया गया, जो कि आबकारी नीति का सीधे तौर पर उल्लंघन है. इसके साथ ही पॉलिसी में कई सारी वित्तीय खामियों को भी गिनाया गया है, अधिकार न होते हुए भी एक्साइज पॉलिसी में बदलाव किए जाने को लेकर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की कार्यशैली पर सवाल उठाए गए हैं. इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार ने कोरोना के नाम पर शराब ठेकेदारों को पक्षपातपूर्ण तरीके से 144 करोड़ रुपये की छूट दी और इससे दिल्ली के राजस्व का नुकसान हुआ.

रिपोर्ट में और क्या कहा गया ?

दिल्ली सरकार नई आबकारी नीति को कोरोना के डेल्टा लहर के बीच लेकर आई थी, जिसे 14 अप्रैल 2021 और फिर 21 मई 2021 को कैबिनेट बैठक में मंजूरी दी गई थी. एलजी ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, मुख्य सचिव की रिपोर्ट में कहा गया है कि निजी शराब कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा यह फैसला किया गया, जिसके बदले सरकार में सर्वोच्च स्तर के लोगों को वित्तीय लाभ दिया गया.

लाइसेंस फीस के नाम पर छूट

एलजी ऑफिस की ओर से दी गई जानकारी में कहा गया है, ”जब प्रवासी कमाई बंद होने की वजह से शहर छोड़ रहे थे, जब स्ट्रीट वेंडर्स के सामने आजीविका का संकट था, उस मुश्किल घड़ी में ढाबा, रेस्त्रां, होटल, जिम, स्कूल और दूसरे कारोबार बंद हो रहे थे. तब मनीष सिसोदिया के तहत आने वाले एक्साइज डिपार्टमेंट ने कोरोना महामारी के नाम पर लाइसेंस फीस के तौर पर 144.36 करोड़ रुपए की छूट दी गई.” रिपोर्ट में आगे लिखा गया है, ‘कारोबारियों, नौकरशाहों और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री के बीच गठजोड़ था. शराब लाइसेंसधारियों को फायदा पहुंचाने के लिए तय प्रक्रिया और नियमों का खुलेआम उल्लंघन किया गया.’

 

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Aanchal Pandey

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