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दसॉल्ट एविएशन ने फ्रांस्वा ओलांद के दावे को खारिज किया, कहा- राफेल डील के लिए रिलायंस को हमने चुना था

राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के बयान पर मचे बवाल के बाद अब दसॉल्ट एविएशन ने बयान जारी किया है. कंपनी ने कहा है कि उन्होंने खुद ही इस सौदे के लिए भारतीय कंपनी रिलांयस डिफेंस का चुनाव किया था.

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Dassault aviations clarifies rafale deal issue
  • September 22, 2018 11:52 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

पेरिस/नई दिल्लीः फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के राफेल विमान डील पर एक बयान के बाद भारत में सियासी तूफान खड़ा हो गया है. ओलांद ने दावा किया कि इस सौदे में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. भारत सरकार की ओर से रिलांयस डिफेंस का नाम प्रस्तावित किया गया था, लिहाजा विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन के पास कोई विकल्प नहीं था. अब इस पूरे मामले में दसॉल्ट एविएशन ने ओलांद के दावे को खारिज करते हुए कहा है कि कंपनी ने खुद ही इस सौदे के लिए भारतीय कंपनी रिलांयस डिफेंस को चुना था.

दसॉल्ट एविएशन ने अपने बयान में कहा कि राफेल डील को लेकर भारत सरकार और फ्रांस सरकार के बीच एक अनुबंध हुआ था. यह एक अलग तरह का करार था. इस करार के तहत दसॉल्ट एविएशन इससे जुड़े काम खरीद मूल्य के 50 प्रतिशत निवेश भारत में कराने के लिए प्रतिबद्ध था. भारत सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ की नीति के अनुसार दसॉल्ट ने रिलायंस के साथ साझेदारी करने का फैसला किया था. जिसके बाद रिलायंस ग्रुप को रक्षा प्रक्रिया 2016 के नियमों के तहत चुना गया था.

दसॉल्ट एविएशन ने खुद रिलायंस कंपनी का चुनाव किया था. यह कंपनी की पसंद थी. इसके तहत साल 2017 में महाराष्ट्र के नागपुर में संयुक्त उद्यम दसॉल्ट रिलायंस एयरोस्पेस लिमिटेड (DRAL) की शुरूआत की गई. इसके लिए नागपुर का चुनाव इसलिए किया गया था क्योंकि नागपुर साइट से हवाई अड्डे के रनवे तक सीधी पहुंच के लिए यहां पर्याप्त जमीन थी. मानकों के अनुसार, यह जगह उद्यम के लिए उपयुक्त थी. ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के रूप में रिलायंस के अलावा कई दूसरी कंपनियों से भी करार किया गया था.

क्या है राफेल विवाद?
फ्रेंच न्यूज वेबसाइट मीडियापार्ट ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद का इंटरव्यू किया था. इसमें ओलांद के हवाले से लिखा गया कि भारतीय कारोबारी अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस ग्रुप के साथ राफेल से जुड़े करार करने में फ्रांस सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. इस डील के लिए भारत सरकार ने रिलायंस ग्रुप का नाम प्रस्तावित किया था. विमान बनाने वाली कंपनी दसॉल्ट एविएशन के पास कोई और विकल्प नहीं था. ओलांद के इस खुलासे के बाद भारत में सियासी भूचाल आ गया. कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि अब राफेल का सच बाहर आ गया है और पीएम को जनता को सच बताना चाहिए.

 

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