Congress Slams Government on Consumer Spending Report, NSO ki Report ne btaya Kharch me giravat, Congress ne Sarkaar per iljaam lgaya: भारत में गरीबी बढ़ रही है? दरअसल ये सवाल हाल ही में लीक हुई एनएसओ की रिपोर्ट के बाद उठा है जिसमें कहा गया है कि लोग खाने पर कम खर्च कर रहे हैं. इसी के साथ कुपोषण की चिंता भी बढ़ गई है. इसी को लेकर कांग्रेस ने सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने कहा है कि मोदी सरकार में आर्थिक मंदी के कारण लोगों के पास नौकरियां नहीं है और बेरोजगारी से गरीबी बढ़ रही है. इसलिए लोग खर्च भी कम कर रहे हैं जो अन्य समस्याओं को बढ़ावा दे रहा है.
नई दिल्ली. चार दशकों में पहली बार भारतीयों के मासिक खर्च में गिरावट आई है, यह दर्शाता है कि भारत में गरीबी हाल के वर्षों में बढ़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-12 में उपभोक्ता खर्च की तुलना में 2017-18 में भारत में औसत उपभोक्ता खर्च में 3.7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई. विशेषज्ञों का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि सबसे अधिक चिंताजनक प्रवृत्ति यह है कि ग्रामीण भारत में खाद्य पदार्थों की खपत में 10 प्रतिशत की गिरावट आई है. इसका मतलब है देश में कुपोषण बढ़ रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रामीण भारत में यह गिरावट काफी कम है, क्योंकि इस अवधि में गांवों में उपभोक्ता खर्च में 8.8 प्रतिशत की गिरावट आई है. ग्रामीण भारत की तुलना में, शहरी केंद्रों ने उपभोक्ता खर्च में 2 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की है.
रिपोर्ट कहती है कि जिस अवधि में नरेंद्र मोदी सरकार के नोटबंदी के फैसले और जिस साल गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) को लागू किया गया था, उसके बाद एनएसओ ने अपना सर्वेक्षण किया था. बता दें कि इतने साल में रिपोर्ट सामने नहीं आई है इसको लेकर कांग्रेस ने पीएम नरेंद्र मोदी की बीजेपी, एनडीए सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस ने इसपर कहा है कि सरकार एनएसओ की रिपोर्ट को छिपाने के लिए मजबूर थी जिसमें कहा गया था कि घरेलू व्यय 40 वर्षों में पहली बार घटा है. विशेषज्ञों का सुझाव है कि खपत में गिरावट गरीबी बढ़ने का संकेत देती है और भोजन खर्च में गिरावट बढ़ती कुपोषण का संकेत है.
The govt. was forced to hide the recent NSO report that stated Household Expenditure has fallen for the first time in 40 years.
Experts suggest a dip in consumption indicates rising poverty & dip in food expenditure indicates rising malnutrition. https://t.co/qzzQwskk0n
— Congress (@INCIndia) November 15, 2019
राहुल गांधी और कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी सरकार पर इसको लेकर पलटवार किया. राहुल गांधी ने कहा, मोदीनॉमिक्स इतनी खराब है, सरकार को अपनी रिपोर्ट छिपानी पड़ती है. उन्होंने अपने ट्वीट के जरिए कहना चाहा कि मोदी सरकार के समय में इकोनॉमी खराब हो रही है और सरकार इसे छिपा रही है. वहीं कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, 2004 में गरीबों की संख्या 40.71 करोड़ थी. 2012 में यह मात्र 26.93 करोड़ रह गयी थी. कांग्रेस-यूपीए सरकार की विभिन्न सामाजिक योजनाओं के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई व देश से गरीबी भी कम हुई. लेकिन, 2014 के बाद फिर एक बार काला दौर आ गया है और उसके दुष्परिणाम सामने हैं.
Modinomics stinks so bad, the Govt has to hide its own reports. pic.twitter.com/mnXXBEQEFM
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 15, 2019
2004 में गरीबों की संख्या 40.71 करोड़ थी
2012 में यह मात्र 26.93 करोड़ रह गयी थी
कांग्रेस-UPA सरकार की विभिन्न सामाजिक योजनाओं के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत हुई व देश से गरीबी भी कम हुई
लेकिन, 2014 के बाद फिर एक बार काला दौर आ गया है और उसके दुष्परिणाम सामने हैं! pic.twitter.com/vU5MSURCYD
— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) November 15, 2019
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