नई दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के गिनती के दिन शेष रह गए हैं और ऐसे में कांग्रेस पार्टी के घोषणा पत्र में किए गए वादे और वादाखिलाफी को लेकर जिस तरह की बयानबाजी पार्टी के अपने ही कद्दावर नेता करने लग जाएं तो इसे क्या कहेंगे? हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के कद्दावर नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की, जिन्होंने यह कहकर खलबली मचा दी है कि प्रदेश सरकार ने कर्जमाफी का जो वादा किया था उसे पूरी तरह से निभाया नहीं गया है.
सिंधिया का यह बयान कमलनाथ सरकार के खिलाफ है, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के भी खिलाफ है, जिन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान इस बात का ऐलान किया था और सरकार बनने के बाद भी कहा था कि कांग्रेस पार्टी की सरकार ने कर्जमाफी का वादा पूरा किया है.
सिंधिया का यह बयान इसलिए भी नुकसानदेह है कि आज ही हरियाणा में गुलाम नबी आजाद, भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा ने चुनाव घोषणा पत्र जारी किया है जिसमें कर्जमाफी के साथ-साथ ढेर सारे लोक-लुभावन वादे किए गए हैं. कहीं कांग्रेस का ये वादा भी कहीं वादाखिलाफी न बन जाए.
हम इस ताजा घोषणा पत्र में किए वादों की बात करेंगे लेकिन उससे पहले भिंड में एक सभा को संबोधित करने वाले कांग्रेस के दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया क्या बोले यह जानना जरूरी है. सिंधिया का कहना है कि प्रदेश के किसानों का कर्ज पूरी तरह से माफ नहीं किया गया है. केवल 50 हजार रुपये तक का कर्ज माफ किया गया है जबकि हमने कहा था कि 2 लाख रुपये तक का कर्ज माफ किया जाएगा.
हालांकि यह पहली बार नहीं है जब कांग्रेस के अंदर ही कर्जमाफी को लेकर सवाल उठे हों. इससे पहले राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह ने भी कमलनाथ सरकार की इस योजना पर सवाल उठाया था. उन्होंने किसानों की पूरी तरह से कर्जमाफी न होने पर राहुल गांधी को जनता से माफी मांगने तक की बात कही थी.
चूंकि यह वक्त चुनाव का है, 21 अक्टूबर को हरियाणा और महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने हैं जहां पहले से ही कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की आशंका जताई जा रही है और ऐसे में कांग्रेस की वादाखिलाफी से संबंधित बयान वह भी अपने नेताओं द्वारा, पार्टी को कितना नीचे गिराकर छोड़ेगी अंदाजा नहीं लगा सकते.
हरियाणा की बात करें तो पार्टी ने घोषणा पत्र जारी कर दिया है और बहुत सारे ऐसे वादे किए गए हैं जो वाकई मैच का रूख बदल सकते हैं, लेकिन बात वहीं आकर अटक जाती है कि अपने ही नेता जब पार्टी पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हों तो घोषणा पत्र में किए वादे पर मतदाता भरोसा कैसे करे. घोषणा पत्र में कांग्रेस ने हर बार की तरह इस बार भी सरकार बनने पर 24 घंटे में कर्जमाफी का वादा किया है.
भूमिहीन किसानों को भी कर्जमाफी का लाभ मिलेगा. दो एकड़ तक जमीन रखने वाले किसानों को बिजली मुफ्त देने का वादा किया गया है. प्राकृतिक आपदा से फसल खराब होने पर 12 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देने का वादा किया गया है. घोषणा पत्र में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 33 फीसदी आरक्षण का वादा किया गया है. निजी संस्थानों में भी कांग्रेस आरक्षण देगी. पंचायती राज संस्थाओं में 50 प्रतिशत आरक्षण देने का वादा किया गया है.
रोडवेज में महिलाओं को मुफ्त यात्रा कराई जाएगी. इसके लिए अलग बसें होंगी, जिनमें महिला चालक और परिचालक होंगी. शहरी निकायों में भी 50 फीसदी आरक्षण देने का वादा किया गया है. गर्भवती महिलाओं को बच्चे के जन्म तक 3500 रुपये हर माह दिए जाएंगे. उसके बाद पांच साल तक 5 हजार दिए जाएंगे. बीपीएल महिलाओं को हर महीने 2 हजार रुपये चूल्हा खर्च दिया जाएगा.
घोषणा पत्र में एससी छात्रों को वजीफा देने का वादा किया गया है. मेधावी छात्रों को दसवीं तक 12 हजार सालाना मिलेंगे. 11-12वीं के मेधावी एससी छात्रों को 15 हजार देंगे. क्रीमिलेयर सीमा 6 लाख से बढ़ाकर 8 लाख सालाना किया जाएगा. पुरानी पेंशन योजना लागू करने का वादा किया गया है. एससी कमीशन दोबारा बनाया जाएगा. बेरोजगार स्नातक को 7 हजार, एमए पास को 10 हजार भत्ता देंगे. प्रदेश के युवाओं को निजी उद्योगों में 75 प्रतिशत आरक्षण देंगे.
घोषणा पत्र में वादा किया गया है कि कांग्रेस की सरकार लोगों को 300 यूनिट तक प्रतिमाह बिजली मुफ्त देगी. 300 यूनिट से अधिक पर रेट आधा होगा. 5100 रुपये वृद्धावस्था पेंशन देंगे. नए मोटरवाहन कानून के तहत भारी भरकम जुर्माना वसूली के कानून में संशोधन करके उसे खत्म करेंगे. जूनियर और सीनियर खिलाड़ियों के लिए खास नीति बनाएंगे. रोडवेज किलोमीटर स्कीम खत्म करेंगे और 2000 नई बसें रोडवेज के बेड़े में शामिल करेंगे.
बहरहाल, भिंड से निकली ज्योतिरादित्य सिंधिया की पार्टी विरोधी आवाज हरियाणा और महाराष्ट्र में क्या गुल खिलाती है यह तो चुनाव परिणाम ही बताएगा, लेकिन पार्टी आलाकमान को ऐसे नेताओं के बोलने पर शिकंजा कसना चाहिए. कांग्रेस का हर नेता खुद को बचाने के चक्कर में पार्टी के लिए इतना पड़ा गड्ढा खोद दे रहा है कि आने वाले वक्त में अस्तित्व का संकट पैदा हो जाएगा. संजय निरूपम, अशोक तंवर, सलमान खुर्शीद और अब ज्योतिरादित्य सिंधिया ये ऐसे नाम हैं जिनके हालिया बयान से पार्टी को काफी नुकसान हुआ है.
राहुल के युवा ब्रिगेड का सोनिया के नेतृत्व के खिलाफ मुखर होना पार्टी की सेहत के लिए ठीक नहीं है. लेकिन अगर यह सिलसिला जारी रहता है तो पार्टी को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए. साथ ही चुनावी वादे को लेकर जो वादाखिलाफी की बातें कही जा रही है उसको लेकर पार्टी के बड़े नेता जनता के सामने आएं और पारदर्शी तरीके से बात को रखें. लोगों को बताएं कि सच क्या है और झूठ क्या है. अगर पार्टी ने जनता से वादा किया है तो वह कितना पूरा हुआ है यह जानने का जनता को हक है.
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