पटना: बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को होने जा रही विपक्षी दलों की महापंचायत से पहले विपक्षी पार्टी कांग्रेस में हलचल देखने को मिल रही है. गौरतलब है कि ये लोकसभा चुनाव के लिए एकतत्रित हुए विपक्षी दलों के मुखियाओं की पहली बैठक होगी. इस महाबैठक ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस की […]
पटना: बिहार की राजधानी पटना में 23 जून को होने जा रही विपक्षी दलों की महापंचायत से पहले विपक्षी पार्टी कांग्रेस में हलचल देखने को मिल रही है. गौरतलब है कि ये लोकसभा चुनाव के लिए एकतत्रित हुए विपक्षी दलों के मुखियाओं की पहली बैठक होगी. इस महाबैठक ने सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी कांग्रेस की चिंता बढ़ा दी है जो अपने रोडमैप को लेकर असमंजस में दिखाई दे रही है.
दरअसल गैर भाजपाई दलों की बैठक से पहले से कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और वरिष्ठ नेताओं के बीच पार्टी रणनीति को अंतिम रूप देने को लेकर चर्चा हो रही है. इस समय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी भी विदेश दौरे पर हैं जो 20 जून को वापस लौटेंगे इसके बाद ही बैठक का मसौदा तैयार किया जाएगा. आइए जानते हैं विपक्षी दलों की बैठक से पहले कांग्रेस को किन बातों की चिंता सता रही है.
सभी क्षेत्रीय दलों का दबाव होगा कि लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अधिक से अधिक सीटें लेकर आए.
दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर कई राज्य इकाइयां खिलाफ हैं.
आम आदमी पार्टी के अध्यादेश के खिलाफ पार्टी का फैसला ना ले पाना.
उत्तर प्रदेश में सीटों की तनातनी.
लेफ्ट के साथ रहने के लिए बंगाल में ममता का विरोध रहा हैं, ऐसे में सीएम ममता को लेकर कांग्रेस का रूख साफ़ करना भी बाकी है.
यही कारण है कि कांग्रेस ने पटना बैठक को प्रिलिमिनरी बैठक करार दिया है. क्योंकि विपक्षी दलों के बीच काफी कुछ असमंजस है जिसे लेकर भविष्य में इस तरह की बैठकों की सीरीज होने की बात कही जा रही है. पटना बैठक को लेकर कांग्रेस की कोशिश है कि मोदी सरकार के खिलाफ जनता से जुड़े मुद्दों को तय कर लिया जाए. न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर भी बात हो और विपक्षी दलों के बीच समन्वय के लिए नीतीश या शरद पवार जैसे वरिष्ठ नेता की देख-रेख में सब ग्रुप का गठन बनाया जाए.