Congress 134th Foundation Day: कांग्रेस का 134वां स्थापना दिवस आज, जानिए देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल से जुड़ी कुछ खास बातें
Congress 134th Foundation Day: अंगेजी शासन के आखिरी सालों में जैसे महात्मा गांधी का नेतृत्व और संचालन मशहूर हुआ तो इसी के साथ देश की कांग्रेस पार्टी ने भी लोगों के बीच अपनी जगह बनाई. उन्होंने कई ऐसे कदम उठाए की भारत की आजादी में मदद मिली. कांग्रेस पार्टी आज अपना 134 वां स्थापना दिवस मना रही हैं. जानें भारत की सबसे पुरानी पार्टी के बारे में कुछ खास बातें.
December 28, 2018 9:44 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago
नई दिल्ली. आज कांग्रेस 134 साल पुरानी हो गई है. भारत की राजनीति में कांग्रेस सबसे पुरानी पार्टी है. अभी पार्टी अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को हटाने के लिए जुझ रही है. कांग्रेस अपने नए अध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में पार्टी को युवा और नए रूप में लाने की कोशिश में जुटी है. पार्टी के 134 वें स्थापना दिवस के मौके पर कांग्रेस के आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर कई आजादी की लड़ाई लड़ने वाले स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया गया. इस मौके पर जानें आजादी की लड़ाई लड़ चुकी भारत की सबसे पुरानी पार्टी के बारे में कुछ खास बातें.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 1885 में की गई थी. ब्रिटिश सिविल सेवक और थियोसोफिकल सोसाइटी के सदस्य एलन ऑक्टेवियन ह्यूम, दादाभाई नौरोजी, सुरेंद्रनाथ बनर्जी, एमजी रानाडे, विनेश चंद्र बोनर्जी, दिनशॉ वाचा, मोनोमोहुन घोष और विलियम वेडरबर्न ने इसकी स्थापना की थी. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के पहले अध्यक्ष वोमेश चंद्र बोनर्जी थे.
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस स्वतंत्रता संग्राम के दौरान देश के लोगों की एकमात्र प्रतिनिधि रही. इसी के बाद ये भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की सबसे बड़ी चालक बन गई. ब्रिटिश शासन के अंतिम सालों में कांग्रेस महात्मा गांधी के नेतृत्व और मार्गदर्शन की तरह ही लोगों के बीच छा गई.
भारत की आजादी के लिए सबसे ज्यादा लड़ने वालों में से एक रहे कांग्रेस नेता जवाहरलाल नेहरू स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने और 17 सालों तक इस पद पर रहे.
जवाहर लाल नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी उनकी राजनीतिक उत्तराधिकारी और भारत की पहली महिला प्रधान मंत्री बनीं. 1984 में उनकी हत्या से पहले वह 15 साल तक इस पद पर रहीं.
1885 में कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिह्न ‘हल के साथ दो बैल’ थे. हालांकि बाद में 1978 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस के लिए इसे हथेली की तरफ से दाहिने हाथ के चिन्ह में बदल दिया गया था.
इंदिरा गांधी के बेटे राजीव गांधी ने उनके बाद पदभार संभाला और 1984-89 के लिए भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने. 1987 के बीच में बोफोर्स घोटाले ने उनकी भ्रष्टाचार-मुक्त छवि को नुकसान पहुंचाया और इस कारण 1989 के चुनाव में उनकी पार्टी की बड़ी हार हुई. 1991 में लिट्टे के एक आत्मघाती हमलावर द्वारा उनकी हत्या कर दी गई.
जून 1991 में प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव द्वारा चुने जाने पर राजीव गांधी को पार्टी का नेता बनाया गया. उन्हें अक्सर भारतीय आर्थिक सुधारों के पिता कहा जाता है.
1998 में राजीव गांधी की विधवा सोनिया गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बनीं. 2004 के आम चुनाव में, कांग्रेस ने कई क्षेत्रीय दलों के साथ गठबंधन किया और कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) में नई सरकार बनाई. उन्होंने प्रधान मंत्री के रूप में डॉ मनमोहन सिंह को चुना.
प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह के पहले पांच साल के कार्यकाल में मनरेगा और आरटीआई जैसी प्रमुख पहलों को बढ़ाया गया. हालांकि उनका दूसरा कार्यकाल बड़े घोटालों से प्रभावित रहा. इसके बाद विपक्ष ने पार्टी पर आरोप लगाया कि उनके कार्यकाल में अभूतपूर्व भ्रष्टाचार हुआ. 2014 के लोकसभा चुनावों में पार्टी ने अपने लोकप्रिय समर्थन को खो दिया और केवल 44 सीटें जीती थीं.
दिसंबर 2017 में सोनिया गांधी के बेटे राहुल गांधी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया. उन्होंने अपनी मां सोनिया गांधी से पार्टी का शासन लिया जिन्होंने देश की सबसे पुरानी पार्टी को 19 वर्षों तक बनाए रखा था.