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KARNATAKA : सीएम का अता-पता नहीं, बेंगलुरु में जोरों पर चल रही तैयारियां

बेंगलुरु : कांग्रेस में सीएम को लेकर मंथन चल रहा है इसी बीच बेंगलुरु में सीएम के शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयारियां जोरो से चल रही है. सीएम की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे चल रहे है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिद्धारमैया का नाम तय हो गया है बस आधिकारिक घोषणा करनी बाकी है. […]

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KARNATAKA : सीएम का अता-पता नहीं, बेंगलुरु में जोरों पर चल रही तैयारियां
  • May 17, 2023 8:08 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

बेंगलुरु : कांग्रेस में सीएम को लेकर मंथन चल रहा है इसी बीच बेंगलुरु में सीएम के शपथ ग्रहण समारोह के लिए तैयारियां जोरो से चल रही है. सीएम की रेस में सिद्धारमैया सबसे आगे चल रहे है. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सिद्धारमैया का नाम तय हो गया है बस आधिकारिक घोषणा करनी बाकी है. विधानसभा चुनाव के नतीजे 13 मई को आ गए थे. उसमें कांग्रेस ने 135 सीटों पर जीत दर्ज की थी.

14 मई से ही कांग्रेस में बैठकों का दौर चल रहा है. बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस नेताओं की बैठक चल रही है लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकल पाया है. कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार सीएम के अलावा कोई भी पद लेने को तैयार नहीं है ऐसे में कांग्रेस मुश्किल में फंस गई है. अभी सीएम का मामला सुलझा नहीं है लेकिन बेंगलुरु में शपथ ग्रहण की तैयारियां जोरों पर चल रही है. शपथ ग्रहण समारोह की तैयारी कंटीरवा आउटडोर स्टेडियम में जोरों पर चल रही है.

इन वजहों से सिद्धारमैया बनेंगे CM

पहली वजह की बात करें तो सीएम कुर्सी की ये रेस शिवकुमार और सिद्धारमैया के बीच थी. सिद्धारमैया कांग्रेस के सबसे लोकप्रिय नेता माने जाते हैं जो पहले भी राज्य का मुख्यमंत्री पद संभाल चुके हैं. इसके अलावा उन्हें गांधी परिवार का भरोसेमंद भी माना जाता है जहां सिद्धारमैया का क्षेत्रीय और राजनीतिक दलों के बीच भी खूब प्रभाव है.

डीके शिवकुमार को सीएम कुर्सी ना देने की दूसरी वजह ये है कि कांग्रेस के मानने में कर्नाटक की कमान कुरुबा समाज के नेता के पास होनी चाहिए. सिद्धारमैया कुरुबा जाति के हैं साथ ही जमीनी स्तर पर उनके प्रभावशाली वोकालिग्गा समुदाय से अच्छे संबंध हैं. ऐसे में कांग्रेस कुरुबा समाज के नेता के पास ही 2024 में लोकसभा चुनाव तक सीएम का पद चाहती है. शिवकुमार और सिद्धारमैया की जोड़ी को पार्टी साथ रखते हुए राज्य से अधिक से अधिक सीटें अपने नाम करना चाहती है.

तीसरी वजह सिद्धारमैया के पास सरकार चलाने का अनुभव होना है. 2013-18 तक वह मुख्यमंत्री पद पर रह चुके हैं. साथ ही उनके राजनीतिक करियर की शुरुआत 1983 में हुई थी. उस समय वह निर्दलीय विधायक चुने गए थे. 1994 में सिद्धारमैया जनता दल सरकार में डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं. साल 2006 से वह कांग्रेस से जुड़े हुए हैं.

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