लखनऊः उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने पूर्व केंद्रीय गृह राज्यमंत्री और मुमुक्षु आश्रम के प्रमुख स्वामी चिन्मयानंद पर दर्ज शिष्या से रेप का केस वापस लेने का फैसला किया है. बीते 9 मार्च को इस संबंध में जिला मजिस्ट्रेट, शाहजहांपुर के कार्यालय से एक पत्र जारी किया गया है. हाल में योगी सरकार ने साल 2013 में मुजफ्फरनगर और शामली में हुए सांप्रदायिक दंगे से जुड़े 131 मामले वापस लेने का फैसला किया था. योगी सरकार के इन फैसलों को विपक्ष मनमाना रवैया करार दे रहा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 25 फरवरी को सीएम योगी आदित्यनाथ स्वामी चिन्मयानंद के आश्रम में आयोजित मुमुक्ष युवा महोत्सव में शिरकत करने के लिए शाहजहांपुर गए थे. 3 मार्च को स्वामी चिन्मयानंद के जन्मदिन पर यूपी सरकार के कई वरिष्ठ अफसर उन्हें बधाई देने पहुंचे थे. इस दौरान चिन्मयानंद के समर्थकों ने उनकी आरती भी उतारी थी. शाहजहांपुर के सीडीओ और एडीएम (प्रशासन) जितेंद्र शर्मा ने भी चिन्मयानंद की आरती उतारी. इसका एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था.
जिसके ठीक 6 दिन बाद जितेंद्र शर्मा द्वारा हस्ताक्षरित जारी पत्र में मुकदमा वापसी की प्रक्रिया शुरू करने के आदेश दिए गए हैं. वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी को भेजे गए इस पत्र में लिखा है कि शासन ने शाहजहांपुर कोतवाली में स्वामी चिन्मयानंद पर दर्ज धारा 376 और 506 आईपीसी का केस वापस लिए जाने का फैसला किया है. अतः शासनादेश के तहत कृत कार्रवाई से अवगत कराने का कष्ट करें, ताकि शासन को भी इस बारे में अवगत कराया जा सके.
क्या है मामला?
स्वामी चिन्मयानंद अटल सरकार में केंद्रीय गृह राज्यमंत्री बनाए गए थे. वह जौनपुर से सांसद चुने गए थे. बदायूं निवासी उनकी एक शिष्या ने साल 2011 में स्वामी पर हरिद्वार स्थित आश्रम में बंधक बनाकर रेप का आरोप लगाया था. साध्वी की शिकायत पर 30 नवंबर, 2011 को स्वामी चिन्मयानंद के खिलाफ शाहजहांपुर कोतवाली में रेप और जान से मारने की धमकी देने का केस दर्ज कराया गया था. गिरफ्तारी से बचने के लिए स्वामी चिन्मयानंद हाई कोर्ट पहुंचे. कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. जिसके बाद से मामला लंबित चल रहा है.
पीड़िता के पति ने जताया ऐतराज
पीड़िता के पति ने योगी सरकार के इस फैसले को खुद के साथ अन्याय बताया. उन्होंने कहा कि किसी भी सरकार का दायित्व न्याय व्यवस्था बनाए रखते हुए पीड़ितों को इंसाफ दिलाना होता है लेकिन इसके उलट योगी सरकार गुनाहगारों को ही मुक्त कर रही है. केस वापसी के फैसले के खिलाफ उन्होंने राज्यपाल से लेकर हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक गुहार लगाई है. बता दें कि रविवार को एक गैंगरेप पीड़िता ने सीएम आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश की थी. पीड़िता ने बताया कि उसने सीएम योगी से इंसाफ की गुहार लगाई लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी उसे न्याय नहीं मिला. दरअसल उन्नाव के बांगरमऊ से बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर पीड़िता से गैंगरेप का आरोप है. सोमवार सुबह उसके पिता की संदिग्ध हालात में मौत हो गई. पीड़िता ने आरोप लगाया कि विधायक ने ही उसके पिता की हत्या की है.
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