मुंबई, महाराष्ट्र में आया सियासी भूचाल अब गुज़रने को है, महाराष्ट्र में हुए इस पूरे प्रकरण में भाजपा नेता देवेंद्र फडणवीस लूप में रहे. उन्हें राज्य में हो रहे घटनाक्रम की सारी जानकारी थी, रिपोर्ट्स के मुताबिक उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के आह्वान का सम्मान करने के लिए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री का पद स्वीकार किया.
इस संबंध में भाजपा के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा, “देवेंद्र फडणवीस को महाराष्ट्र में हो रहे हर डेवलपमेंट की जानकारी थी, उनके और उनके तेज राजनीतिक कौशल के बिना यह सब वास्तव में नहीं हो सकता था. इसलिए, यह कहना बहुत दूर की बात है कि फडणवीस को लूप में रखा ही नहीं गया था.” रिपोर्ट्स की मानें तो देवेंद्र फडणवीस ने पीएम मोदी के कम से कम दो बार फोन पर बात की थी, जिसके बाद ही उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली. साथ ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ-साथ केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी फडणवीस से सरकार में शामिल होने की अपील की थी.
असल में देवेंद्र फडणवीस का यह गेमप्लान ‘सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे’ की कहावत पर आधारित है, भाजपा ने यह दांव चलकर उद्धव ठाकरे से 2019 के ‘धोखे’ का बदला लिया है, भाजपा ने उस समय का बदला लिया है जब साथ मिलकर चुनाव लड़ने के बाद शिवसेना ने पलटी मारते हुए कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी. अजित पवार को तोड़कर फडणवीस ने सीएम पद की शपथ ली लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें 24 घंटों के अंदर ही कुर्सी से उतरना पड़ा. अब फडणवीस ने ठाकरे का तख्तापलट करके वह बदला पूरा कर लिया है, लेकिन इस तख्तापलट के बाद फडणवीस को सीएम ना बनाकर भाजपा ने यह संदेश देने की कोशिश की है कि सत्ता के लालच में उद्धव की सरकार नहीं गिराई गई है.
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