नई दिल्ली. दिल्ली में भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की अहम बैठक चल रही है. इसमें भाग लेने के लिए यूपी सीएम योगी के अलावा उनके दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और बृजेश पाठक भी पहुंचे हैं. बैठक में लोकसभा चुनाव में कई राज्यों में हुई करारी हार पर चर्चा के साथ साथ चार राज्यों महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड और जम्मू-कश्मीर में प्रस्तावित चुनाव के लिए रणनीति बनेगी.
सबसे अधिक चर्चा यूपी को लेकर हो रही है. दरअसल लोकसभा चुनाव परिणाम आने के बाद से ही यूपी को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई थी. 2019 के चुनाव में पार्टी 62 सीटें जीती थी लेकिन 2024 में भाजपा महज 33 सीटों पर सिमट गई. इसका सबसे बड़ा कारण संगठन और सरकार में तालमेल का न होना और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा को माना गया.
जैसे ही परिणाम आये सीएम योगी की घेराबंदी शुरू हो गई. आमतौर पर खराब परिणाम आने के बाद संगठन और सरकार के नेताओं को इसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है लेकिन इससे दोनों कतराते नजर आये. पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा लखनऊ पहुंचे और वहां बैठक हुई, बैठक में सीएम योगी ने सरकार की पीठ थपथपाई और आत्म विश्वास बनाये रखने को कहा.
वहीं डिप्टी चीफ मिनिस्टर केशव प्रसाद मौर्य ने संगठन सरकार से बड़ा होता है का राग छेड़ दिया. माना गया कि उन्हें दिल्ली का आशीर्वाद प्राप्त है. इसी दौरान सीएम योगी ने यूपी की 10 विधानसभा सीटों पर होने वाले चुनाव को लेकर मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई लेकिन दोनों डिप्टी सीएम नदारद रहे.
खबर है कि दोनों उप मुख्यमंत्रियों के बैठक में न जाने को केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया है, जिस केशव मौर्य की पीठ पर दिल्ली का हाथ बताया गया उनके पास इस बात का जवाब नहीं है कि बैठक में क्यों नहीं गये. सपा समेत सभी विपक्षी दलों को बोलने का मौका क्यों दिया. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने तो सौ लाओ और सीएम बनो का मानसून ऑफर भी दे दिया.
योगी को हटाना केंद्रीय नेतृत्व के लिए इतना आसान नहीं है. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सीएम योगी में छत्तीस का आंकड़ा है. केशव मौर्य को भी दिल्ली से ही ऑक्सीजन मिलता है लेकिन योगी के सामने मौर्य कहीं नहीं टिकते. मौर्य पिछड़े वर्ग से हैं यही एक बात उनके फेवर में है लेकिन योगी हैवीवेट हैं और उनकी अपनी जमीन भी है जो मौर्य के पास नहीं है. मौर्य पिछला विधानसभा चुनाव सिराथू से हार गये थे. तब योगी उन्हें डिप्टी बनाने को तैयार नहीं थे, वही मौर्य अब उनके लिए सिरदर्द बन गये हैं. माना जाता है कि योगी को आरएसएस का भी आशीर्वाद है लेकिन संगठन और सरकार की लड़ाई में संघ सामने नहीं आना चाहता.
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