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चिराग पासवान ने कि ‘दुकानों पर नाम लिखने’ के आदेश की निंदा, बोले- धर्म के नाम पर विभाजन

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में पुलिस की ओर से जारी एडवाइजरी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली सभी दुकानों के मालिकों को आदेश दिया गया था कि वो दुकान के बाहर अपना और काम करने वर्कर्स का नाम लिखें. जिसपर चिराग पासवान ने […]

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  • July 19, 2024 7:23 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 months ago

नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने हाल ही में पुलिस की ओर से जारी एडवाइजरी, जिसमें कहा गया था कि कांवड़ यात्रा के दौरान रास्ते में पड़ने वाली सभी दुकानों के मालिकों को आदेश दिया गया था कि वो दुकान के बाहर अपना और काम करने वर्कर्स का नाम लिखें. जिसपर चिराग पासवान ने कहा, “जाति या धर्म के नाम पर किसी भी विभाजन का मैं बिल्कुल समर्थन नहीं करता हूं.”

पुलिस की एडवाइजरी को लेकर चिराग ने कहा, “मैं इसका समर्थन नहीं करता.”

चिराग पासवान ने कहा, “जहां भी जाति और मजहब के नाम पर विभाजन हो, मैं उसका कतई समर्थन नहीं करता हूं और ना ही उसे बढ़ावा देना चाहता हूं. मैं 21वीं सदी का पढ़ा-लिखा युवा हूं. मेरी लड़ाई ही जातीयता और सांप्रदायिकता के खिलाफ है. जातीयता और सांप्रदायिकता ने ही सबसे ज्यादा मेरे राज्य बिहार का नुकसान किया है.”

आगे उन्होंने कहा,”जात-पात, मजहब आदि को नहीं मानता. मैं सिर्फ मानता हूं कि एक अमीर वर्ग है और दूसरा गरीब वर्ग है, दोनों में हर जात-पात और मजहब के लोग मिलेंगे. इन दोनों के बीच की खाई हमें पाटने की जरूरत है.”

बिहार से ही आने वाले केंद्रीय मंत्री और बीजेपी नेता गिरिराज सिंह ने भी कांवड़ियों के रास्ते में पड़ने वाली दुकानों पर पुलिस के निर्देश को सही बताया और कहा कि सरकार ने एक आदेश दिया है जिसका पालन होना चाहिए. यदि हमारे पास प्रमाण है तो दिखाने में किसी को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए.

बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी भी कर चुके विरोध

बता दें कि हाल ही में उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर पुलिस ने सावन महीने में कांवड़ लेकर जाने कांवड़ियों के खान-पान को लेकर आदेश जारी किया था जिसमें कहा गया था कि कांवड़ रूट में पड़ने वाले सभी दुकान मालिकों को दुकान के बाहर अपना और अपने वर्कर्स का नाम लिखना होगा. जिसके बाद इस आदेश का चारो तरफ आलोचना का सामना का करना पड़ रहा है. तो वहीं कुछ लोग इसका समर्थन भी कर रहे हैं. हाल ही में मुख्तार अब्बास नकवी ने भी इस आदेश की निंदा की थी और इसे अस्पृश्यता को सहेजना वाला आदेश बताया था.

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