Chinook Helicopters Indian Air Force: लंबे इंतजार के बाद रविवार को भारतीय वायुसेना में चार चिनूक हेलीकॉप्टर को शामिल किया गया. भारत और अमेरिका के बीच हुए रक्षा डील के तहत 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने का करार हुआ था. इस डील के पहले खेप के तहत चार चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल किए गए. जानें क्या है चिनूक हेलीकॉप्टर की खासियतें और क्यों महत्त्वपूर्ण है भारत के यह डील.
नई दिल्ली. Chinook Helicopters Indian Air Force: भारतीय वायुसेना के बेड़े में रविवार को चार चिनूक हेलीकॉप्टर्स शामिल हो गए. अमेरिका के साथ हुए रक्षा करार के तहत चिनूक हेलीकॉप्टर की पहली खेम गुजरात के मुंद्रा एयरपोर्ट पर पहुंची. पहली खेप में भारत वायुसेना में चार चिनूक हेलीकॉप्टर शामिल किए गए है. गौरतलब हो कि इस मालवाहक हेलीकॉप्टर के लिए भारत और अमेरिका के बीच सितबंर 2015 में करार हुआ था. चिनूक इस समय दुनिया की सबसे उन्नत मालवाहक हेलीकॉप्टर में से एक मानी जाती है. 9.6 टन वजनी कार्गो (सामान) लेकर सफर करने वाली चिनूक के आने से भारतीय वायुसेना की क्षमता में विकास होगी.
नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद हुए शुरुआती रक्षा डीलों में से एक डील चिनूक से संबंधित था. सितंबर 2015 में भारत ने बोइंग और अमेरिकी सरकार से 15 चिनूक हेलीकॉप्टर खरीदने की योजना बनाई थी. 4168 करोड़ रुपये की लागत में भारत सरकार ने छह अपाचे लड़ाकू हेलीकॉप्टर, 15 चिनूक हेलीकॉप्टर एवं अन्य हथियार प्रणाली खरीदने का करार किया था. रविवार को भारतीय वायुसेना में शामिल हुए चिनूक हेलीकॉप्टर को दुनिया का सबसे भारी मालवाहक चॉपरों में से एक माना जाता है.
The first batch of four Chinook helicopters for the Indian Air Force arrived at the Mundra airport in Gujarat. India has procured 15 of these helicopters from the United States. pic.twitter.com/B3voBlZSPk
— ANI (@ANI) February 10, 2019
चिनूक हेलीकॉप्टर के बारे में बता दें कि यह 9.6 टन तक कार्गों ले जाने में सक्षम है. भारी मशीन, आर्टिलरी बंदूंकें और सेना के अन्य साजो-सामान को युद्ध जैसी आपातकालीन स्थिति में चिनूक गंतव्य तक पहुंचाने में सक्षम है. चिनूक पहाड़ी इलाकों में भी आसानी से उड़ाने भरने में सक्षम है. युद्ध जैसी विषम परिस्थिति के अलावा चिनूक का इस्तेमाल आपदा के समय भी किया जाएगा.
बाढ़, सुनामी, भूकंप जैसी स्थिति में चिनूक के जरिए राहत केंद्रों तक आवश्यक सामानों को जल्द पहुंचाने में मदद मिलेगी. चिनूक के भारतीय सेना में शामिल होने से वायुसेना की क्षमता बढ़ेगी. विशेषज्ञों के अनुसार चिनूक दुर्गम पहाड़ी और जंगली इलाकों में विकास के काम में भी अहम भूमिका अदा कर सकता है. जहां सड़क अथवा जल मार्ग से भारी सामान नहीं पहुंचाया जा सकता, वहां चिनूक आसानी से कॉगो को पहुंचाएगा.